समाज की सोच के ख़िलाफ जाकर Licious के को-फ़ाउंडर अभय हंजुरा ने इस तरह खड़ा किया अपना स्टार्टअप
योरस्टोरी टेकस्पार्क्स 2019 कार्यक्रम के दूसरे और आख़िरी दिन, लिसियस नाम के स्टार्टअप के को-फ़ाउंडर अभय हंजुरा ने बताया कि किस तरह से उनके स्टार्टअप्स ने बहुत से पुराने और प्रचलित तरीक़ों को चुनौती दी और नई बात लोगों के सामने रखी।
अभय हंजुरा और विवेक गुप्ता ने 2015 में ताज़े मीट और सी फ़ूड की बिक्री के लिए लिसियस (Licious) नाम से एक ईकॉमर्स प्लैटफ़ॉर्म की शुरुआत की थी। आज यह स्टार्टअप, बेंगलुरु, हैदराबाद, दिल्ली-एनसीआर, मुंबई, पुणे, चेन्नई और चंडीगढ़ में अपने ऑपरेशन्स चला रहा है। यह अभी तक 30 लाख ऑर्डर्स की सप्लाई कर चुका है।
कंपनी के को-फ़ाउंडर अभय हंजुरा ने टेकस्पार्क्स-2019 में मौजूद ऑडियंस के सामने कहा कि भारत एक ऐसा बाज़ार है, जो युवा है और यहां पर अपार संभावनाएं हैं।
अभय ने फ़ूड आइटम्स के मार्केट में आए बदलाव का ज़िक्र करते हुए कहा कि एक वक़्त आया, जब ग्राहकों को पैकेज्ड प्रोडक्ट्स अधिक रास आने लगे। अभय कहते हैं कि इसके बाद खाने के सामान खुली पैकिंग के साथ मिलते थे, वे पूरी तरह से पैकेज्ड हो गए, लेकिन कुछ चीज़ें तभी भी नहीं बदलीं। उन्होंने उदाहरण देते हुए समाझाया कि पैकेड्ज आइटम्स की मांग बढ़ने के बाद भी मीट, वही परंपरागत काले पॉलिथीन बैग्स में बिकता रहा।
अभय मानते हैं,
"यह मानसिकता के चलते होता है। हमार भारतीय लोग मीट खाने को बहुत हद तक नकारात्मक तौर पर लेते हैं। आज की तारीख़ में, लोगों को पानी से लेकर सबकुछ पैकेज्ड चाहिए, लेकिन मीट नहीं।"
अभय कहते हैं कि उनके ब्रैंड के सामने लोगों की मानसिकता को बदलने की चुनौती थी।
"भारत में हर साल 30 बिलियन डॉलर के मीट की खपत होती है और इस आंकड़े के बढ़ने के ही आसार हैं। अभय ने बताया कि इसके बावजूद मीट का बाज़ार 90 प्रतिशत तक असंगठित तौर पर काम करता है।"
इन सभी को चुनौती देते हुए अभय और विवेक ने अपने स्टार्टअप की शुरुआत की थी और उनके दोस्त और घरवाले उनके इस फ़ैसले से ख़ुश नहीं थे। उनके सगे-संबंधी अक्सर सवाल किया करते थे कि क्या उनके पास और किसी काम को करने का विकल्प नहीं है? अभय बताते हैं कि यहां तक कि कई निवेशक भी मीट बेचने वाले बिज़नेस में पैसे लगाने से कतराते थे।
अभय कहते हैं कि ऐसा माना जाता है कि भारत में रहने वाली आबादी मुख्य रूप से शाकाहारी है, लेकिन आंकड़ों की मानें तो भारत में लगभग 72 प्रतिशत लोग मीट खाते हैं। आज की तारीख़ में लिसियस हर महीने 500 टन से ज़्यादा के मीट की ख़रीद और बिक्री करता है।
अभय मानते हैं,
"आप किस प्लैटफ़ॉर्म पर काम कर रहे हैं, इसका आपकी काबिलियत और क्षमता से कोई लेना-देना नहीं होता। आपकी सफलता निर्भर करती है ग्राहकों की मांग और ज़रूरत पर। अगर मार्केट में संभावना है तो आप निश्चित तौर पर अपना ब्रैंड बनाने में कामयाब होंगे।"