कबाड़ से कलाकारी करके शहर को खूबसूरत बना रही 23 साल की ये लड़की
भारत में जल प्रदूषण एक गंभीर समस्या है। गलत तरीके से अपशिष्ट निपटान ने हमारी झीलों और नदियों को विलुप्त होने के कगार पर छोड़ दिया है। मिसाल के तौर पर, बेंगलुरु की बेलंदूर झील हाल ही में अपनी गंदगीऔर जहरीले पानी के लिए चर्चा में थी। आमतौर पर साफ-सफाई की जिम्मेदारी से भागते हुए नगर पालिका और सरकारें एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप करती रहती हैं वहीं कई बार आम जनता अपने शहर को साफ करने के लिए आगे आ जाती है। कुछ ऐसा ही काम कर रही हैं केरल की 23 वर्षीय अपर्णा।
केरल के कोल्लम की रहने वाली अपर्णा बीएड की पढ़ाई कर रही हैं। वे अपने शहर की एक फेमस झील अष्टमुड़ी कायल को खूबसूरत बनाने के लिए कबाड़ और कचरे का सहारा ले रही हैं। उन्होंने पुराने और बेकार गिलास, थर्माकोल और प्लास्टिक के थैलों से कई काम की चीजें बनाई हैं जिनसे झील की सुंदरता बढ़ रही है। इस बारे में द न्यूज मिनट से बात करते हुए, अपर्णा ने कहा, 'रास्ते में बहुत सारी बोतलें पड़ी रहती थीं, खासकर अष्टमुडी झील के किनारे। मैं उनको इकट्ठा करने लगी और उन्हें लेकर घर आने लगी। मुझे हमेशा से पेंटिंग और ड्रॉइंग पसंद रही है। इसलिए मैंने बोतलों को नया रूप दे दिया और वे सुंदर दिखने लगे।'
अपर्णा के इस शौक से न केवल बोतलों को नया आकार मिला बल्कि इससे झील को साफ करने में मदद मिली। उन्होंने इन बोतलों को बाद में बेचना भी शुरू कर दिया। वे कहती हैं, 'इस काम से मुझे काफी खुशी हुई और मुझे कई सार ऑर्डर मिलने लगे। मैं खुश थी क्योंकि हर कोई मेरी तारीफ कर रहा था। मैंने देखा कि पहले जहां लोग इन बोतलों को फेंक देते थे वहीं वे इसे सही से रखने लगे।'
अपर्णा बताती हैं कि इस पहल में बहुत सारे लोग उनके साथ जुड़े। इस अभियान में उन्होंने एक ट्रक भर बोतलें इकट्ठा कीं। पहले ये बोतलें झील में गंदगी की सबसे बड़ी वजह थीं, लेकिन अब वहां ये दिखती भी नहीं। अपर्णा के मुताबिक, 'हम अक्सर दुकान से हस्तशिल्प खरीदने में मोटी रकम खर्च करते हैं इसके बजाय हम ऐसे बेकार सामान को उपयोग में ला सकते हैं। पहले जब मैं सड़क से कचरा उठाती थी तो लोग मेरा मजाक उड़ाते थे, लेकिन अब ये स्थिति बदल गई है और वही लोग मेरी तारीफ करते हैं।'
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