घर में आई इमरजेंसी से प्रेरणा लेकर बनाई भारत की दूसरी सबसे बड़ी ऐंबुलेंस रेस्पॉन्स सर्विस
शाफ़ी मैदर के लिए वह मुश्क़िलों भरी रात थी। उनकी मां सांस की गंभीर समस्या से जूझ रही थीं और उनके घरवालों को तनाव में डॉक्टर के पास तक पहुंचने के लिए ऐंबुलेंस नहीं मिल पा रही थी। किसी तरह से उन्होंने व्यवस्था की और समय पर मां को लेकर अस्पलता पहुंच सके। इत्तेफ़ाक़ से कुछ दिनों बाद (2005 में) हमारी पहचान वाले एक व्यक्ति रवि कृष्ण के यहां पर भी ऐसी ही घटना घटी। उनकी मां बीमार पड़ गईं। कुछ मिनटों में ही 911 सर्विस आई और मेडिकल सुविधा प्रदान की। इतना ही नहीं, तत्काल इलाज के लिए उन्हें अस्पताल ले जाया गया। दोनों दोस्तों ने मिलकर विचार किया और पाया कि देश में एक स्टैंडर्ड इमरजेंसी मेडिकल सुविधाओं (ईएमएस) की कमी है। दोनों ने महसूस किया उस समय (2005) भारत को एक तत्काल इमरजेंसी सर्विस की ज़रूरत थी।
लंबी रिसर्च के बाद दोनों ने मिलकर ज़िकित्ज़ा हेल्थकेयर लि. (ZHL)की शुरुआत करने का फ़ैसला लिया। उद्देश्य था कि भारत में एक बेहतरीन रेस्पॉन्स सर्विस की शुरुआत की जाए, जो यूएस की 911 और यूके की 999 सर्विस की तेज़ और भरोसेमंद हो। रवि और शाफ़ी ने अपने दोस्तों मनीष सचेती, नरेश जैन और श्वेता मंगल को भी अपने उद्देश्य में साथ बनाया। सभी ने मिलकर एक कंपनी शुरू की।
आज, ज़िकित्ज़ा 108 और 1298 नंबरों पर उपलब्ध है और यह देश की दूसरी सबसे बड़ी ऐंबुलेंस सर्विस प्रोवाइडर है। कंपनी प्रदेश सरकारों के साथ मिलकर काम करती है और यह सुनिश्चित करती है कि ज़रूरतमंदों को समय पर इमरजेंसी मेडिकल केयर मुहैया कराई जा सके। ज़िकित्ज़ा की 1298 ऐंबुलेंस सर्विस राज्य सरकारों के साथ मिलकर काम करती है। कंपनी तीन सर्विस मॉडलों के अंतर्गत काम करती है और देशभर में कंपनी के साथ 10 हज़ार कर्मचारी जुड़े हुए हैं। ज़िकित्ज़ा 16 राज्यों में अपने ऑपरेशन्स चला रही है।
मनीष बताते हैं, "हमने ऐंबुलेंस में एक कारगर जीपीएस ट्रैकिंग सिस्टम का इस्तेमाल किया है और देशभर में एक लाख से ज़्यादा ईएमटी को प्रशिक्षित किया है। हाल में ज़िकित्ज़ा मध्य प्रदेश (108 इमरजेंसी सर्विस के अंतर्गत विभिन्न ऐंबुलेंस सर्विसेज़ को जोड़ने वाला भारत का पहला राज्य) में पीपीपी आधारित प्री-हॉस्पिटल केयर और इमरजेंसी मेडिकल सर्विसेज़ का प्रबंधन कर रहा है। कंपनी पंजाब, ओडिशा, झारखंड और सिक्किम में भी ये सुविधाएं प्रदान कर रही है।"
शुरुआती दिन
टीम ने ऑपरेशन्स शुरू होने के पहले साल में 8 लाख रुपए का रेवेन्यू पैदा किया और 2019 वित्तीय वर्ष में कंपनी ने 450 करोड़ रुपए का रेवेन्यू दर्ज किया। ज़िकित्ज़ा हेल्थकेयर 2005 में 10 ऐंबुलेंस और 2 करोड़ रुपए के शुरुआती निवेश के साथ शुरू हुई थी। साल दर साल कंपनी ने विकास की राह पकड़ी और आज की तारीख़ में ऐंबुलेंस की संख्या 3,300 तक पहुंच चुकी है।
मनीष बताते हैं कि 2005 में स्टार्टअप शुरू करने के कुछ समय बाद ही निवेशकों का रुझान उनकी कंपनी की ओर बढ़ने लगा और उनकी कंपनी को ऐक्युमेन फ़ंड्स, ट्रू नॉर्थ और आईडीएफ़सी की ओर से निवेश प्राप्त हुआ, जिसने उन्हें आगे बढ़ने में काफ़ी मदद की। उन्होंने बताया कि हाल में कंपनी के दूसरे राउंड की फ़ंडिंग के लिए प्रयास कर रही है। ज़िकित्ज़ा की टीम का दावा है कि उनकी कंपनी अभी तक देशभर में 1.6 करोड़ लोगों को अपनी सुविधाएं मुहैया करा चुकी है और आज तक 44 लाख गर्भवती महिलाओं को सुरक्षित उपचार के लिए अस्पताल तक ले जा चुकी है। मनीष बताते हैं कि जब उन्होंने अपनी कंपनी की शुरुआत की थी तब भारत में एक इंटीग्रेटेड हेल्पलाइन सर्विस शुरू करना और उस हेल्पलाइन के बारे में लोगों को जागरूक करना सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक था।
हाल में ज़िकित्ज़ा एक मामले में सीबीआई की जांच के अंतर्गत है। इस बारे में बात करते हुए मनीष कहते हैं कि चूंकि अभी भी यह मामला जांच के अंतर्गत है, इसलिए वह इस बारे में जानकारी नहीं दे सकते। हालांकि वह बताते हैं, "मैं सिर्फ़ इतना बता सकता हूं कि राजस्थान में इमरजेंसी मेडिकल सर्विस ऑपरेशन्स के दौरान कुछ अंदरूनी मामलों के चलते उनकी कंपनी पर सीबीआई की जांच बैठी थी। मामला जयपुर हाई कोर्ट में लंबित है। हम कहना चाहते हैं कि ज़िकित्ज़ा ने हमेशा ही क़ानूनी प्रावधानों और प्रक्रियाओं का पालन किया है।"
कंपनी हाल में निम्नलिखित मॉडलों के अंतर्गत अपने ऑपरेशन्स चला रही हैः
डायल 1298
यह एक पेड सर्विस है, जो 8 राज्यों में मौजूद है। यह एक क्रॉस-सब्सिडी मॉडल के तहत काम करता है। ZHL 1298 हेल्पलाइन सर्विस के अंतर्गत 15 ऐंबुलेंस ऑपरेट करता है और इस्तेमाल के हिसाब से फ़ीस चार्ज करता है। इन ऐंबुलेंस में लाइफ़ सपोर्ट सिस्टम, ऑक्सीजन सिलेंडर्स, ईसीजी मशीनें इत्यादि मौजूद हैं। कंपनी राजस्थान में ऑउटसोर्सिंग के ज़रिए भी ऐंबुलेंस सर्विस मुहैया करा रही है।
डायल 108
यह एक मुफ़्त सेवा है, जो पब्लिक-प्राइवेट-पार्टनरशिप मॉडल के तहत काम करती है। यह राज्य सरकारों के साथ मिलकर काम करती है। मनीष ने जानकारी दी, "ZHL फ़िलहाल मुंबई, बिहार, केरल, पंजाब, ओडिशा, जम्मू-कश्मीर, मध्य प्रदेश और तमिलनाडु में 3,300 से ज़्यादा ऐंबुलेंस के साथ अपने ऑपरेशन्स चला रहा है।"
इसके अतिरिक्त, कंपनी ओडिशा में 102 हेल्पलाइन सर्विस भी संभालती है, जो गर्भवती महलाओं और बीमार नवजात बच्चों के लिए रेफ़रल ट्रांसपोर्ट सर्विस है। साथ ही, 104 हेल्थ हेल्पलाइन सर्विस भी ऑपरेट करती है, जो स्वास्थ्य योजनाओं, शिकायत निवारण प्रक्रिया, मां और बच्चे के ट्रैकिंग रेकॉर्ड्स के प्रबंधन और अन्य महत्वपूर्ण जानकारियां उपलब्ध कराती है। यह हेल्पलाइन स्वास्थ्य कर्मचारियों के लिए एक महत्वपूर्ण संसाधन है।
भविष्य की योजनाएं
कंपनी का अंदाज़ा है कि रेवेन्यू के संबंध में आने वाले 5 से 10 सालों में उनकी सालाना औसत विकास दर 25 प्रतिशत तक रहेगी। स्टार्टअप पीई निवेशकों की मदद से 40 मिलियन डॉलर तक फ़ंडिंग जुटाने की कोशिश में है। इनमें से 25 मिलियन डॉलर का इस्तेमाल घरेलू ऑपरेशन्स को बढ़ाने और 15 मिलियन डॉलर भारत से बाहर ऑपरेशन्स बढ़ाने में खर्च करने की योजना है। 2007 और 2010 के दो राउंड्स की फ़ंडिंग मिलाकर कंपनी अभी तक कुल 4.5 मिलियन डॉलर का निवेश जुटा चुकी है। मनीष बताते हैं कि उनकी टीम लगातार यूएई और अफ़्रीका में अपनी सुविधाएं जल्द से जल्द शुरू करने के प्रयास में लगी हुई है।