उबर के मालिक ने छोड़ी कंपनी, लेकिन उनकी यह नई शुरुआत उड़ा देगी स्वीगी और जोमैटो के होश
सिलिकॉन वैली के आइकॉन रहे एवं उबर के सह संस्थापक ट्राविस कालानिक एक ऐसी शख्सियत हैं, जिन्होंने अपने अनोखे अनुभव से एक छोटे स्टार्टअप को विशाल वैश्विक कंपनी बना दिया। वह भारत में अपने 'क्लाउड किचन' प्रोजेक्ट के साथ उतरे तो जोमैटो, स्विगी जैसी कंपनियों को उनसे निश्चित ही कड़ी टक्कर मिल सकती है।
सिलिकॉन वैली के आइकॉन रहे एवं उबर के सह संस्थापक ट्राविस कालानिक अपने नए व्यावसायिक और परोपकारी उद्यमों पर ध्यान केंद्रित करने के लिए निदेशक बोर्ड से 31 दिसंबर को इस्तीफा देने जा रहे हैं। 43 वर्षीय कालानिक की छवि पुराने ढर्रों और पारंपरिक व्यापार करने के तरीकों को तोड़ कर नए उद्योग को जन्म देने और उसे सफलतापूर्वक चलाने वाले उद्यमी की रही है।
छोटे स्टार्टअप को बनाया बड़ी कंपनी
कालानिक एक ऐसी शख्सियत हैं, जिन्होंने अपने अनोखे अनुभव से एक छोटे स्टार्टअप को विशाल वैश्विक कंपनी बना दिया। अब कालानिक ने अपने नये कारोबार तथा सामाजिक कार्यों पर ध्यान देने के लिये यह फैसला लिया है। फिलहाल, वह सिटी स्टोरेज सिस्टम के सीईओ हैं। वह अब एक नया निवेश फंड स्थापित करने में जुटे हुए हैं, जिसका जोर भारत और चीन में बड़े पैमाने पर रोजगार का सृजन करना है।
इसके अलावा कालानिक ने किराये पर सामुदायिक रसोई मुहैया कराने वाली कंपनी 'क्लाउड किचन' की भी शुरुआत की है। क्लाउड किचन एक ऐसा रसोईघर होता है, जो केवल ऑनलाइन/ऑफलाइन/टेलीफोन ऑर्डरिंग सिस्टम के माध्यम से आने वाले ऑर्डर स्वीकार करता है और उनके पास एक बेस किचन होता है, जो ग्राहकों तक खाना पहुंचाता है। इस किचन में कोई भी डाइन-इन सुविधा नहीं होती, जहाँ आप बैठकर खाना खा सकें।
पेरिस यात्रा पर आया था उबर का आइडिया
गौरतलब है कि साल 2009 में उबर की नींव रखने वाले कालानिक ने जून 2017 में कंपनी के सीईओ पद से इस्तीफा दे दिया था। कंपनी को कारोबार में मिले कई झटकों, यौन उत्पीड़न समेत अन्य विवादों के जोर पकड़ने के बाद निवेशकों के दबाव में कालानिक को यह कदम उठाना पड़ा था। कलानिक दिसंबर 2008 में पेरिस यात्रा पर गये हुए थे, वहां टैक्सी खोजने में दिक्कतें होने के बाद उन्हें उबर कंपनी शुरू करने का विचार आया था। अभी पिछले महीने नवंबर में ही कालानिक ने उबर में अपनी हिस्सेदारी का बड़ा हिस्सा बेचा है। इसके साथ ही, उन्होंने हाल ही में अपने खुद के फंड के साथ नए निवेश शुरू किए हैं।
कर दी है नई शुरुआत
कालानिक रियल स्टेट स्टार्टअप 'सिटी स्टोरेज सिस्टम्स' में निवेश के साथ ही इस कंपनी के सीईओ भी बन गए हैं। सिटी स्टोरेज सिस्टम्स ही क्लाउडकिचन (CloudKitchens) प्रोजेक्ट पर काम कर रहा है, जो रिटेल स्पेस को शेफ्स के लिए लीज पर दिए जाने वाले किचन में बदल देता है। ये उन शेफ्स के लिए है, जो जो फूड-डिलीवरी का बिजनेस शुरू करना चाहते हैं।
उबर के संचालन के दौरान ही कालानिक को लगने लगा था यही वो सही समय है, जब वह अपने मौजूदा हाउस से निकलकर नए तरह के किसी व्यावसायिक और परोपकारी उद्यम पर अपना ध्यान केंद्रित कर सकते हैं। उन्हे उबर की भी उपलब्धियों पर गर्व है लेकिन वह निवेश के एक नए लाभकारी और परोपकारी उद्यम '10100' पर ध्यान केंद्रित कर चुके हैं। इसके तहत सबसे पहले उन्होंने अपना ध्यान चीन और भारत में रियल एस्टेट, ई-व्यापार और तकनीकी प्रगति से जुड़े क्षेत्रों पर केंद्रित किया है।
क्या है 'क्लाउड किचन'?
'क्लाउड किचन' प्रोजेक्ट के तहत रिहाइशी इलाकों के पास किराए पर सामुदायिक रसोई घर स्थापित कर वहां का तैयार खाना उसी इलाके में डिलीवर किया जाएगा। भारत में कालानिक के 'क्लाउडकीचेंस' को जोमैटो और स्विगी से कड़ी प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ सकता है। स्विगी ने हाल ही में भारत में क्लाउड किचन में 175 करोड़ रुपये का निवेश किया है और वह मार्च 2020 तक देश के 12 नए शहरों में क्लाउड किचन के लिए अतिरिक्त 75 करोड़ रुपये निवेश करने जा रही है।
गौरतलब है कि रेस्टोरेंट या होटल के लजीज खाने की घर-घर तक डिलीवरी पहुंचाने वाली ऑनलाइन फूड कंपनियां अब खुद ही फूड कुकिंग बिजनेस के कारेाबार में उतर गई हैं। जानकारों का कहना है कि 2023 तक ऑनलाइन फूड डिलीवरी कारोबार 1.1 लाख करोड़ का हो जाएगा। अपने ऑनलाइन प्लेटफार्म पर वे दूसरे रेस्टोरेंट के बजाय खुद के क्लाउड किचन में बने सस्ते खाने को प्रमोट कर रही हैं। इसके लिए वे छोटे शहरों तक लीज पर क्लाउड किचन खोल रही हैं।
रेस्टोरेंट पर आया संकट
कंपनियों की इस पेशकश से नए उद्यमियों को मौका मिल रहा है, लेकिन मौजूदा रेस्टोरेंट्स पर संकट खड़ा हो गया है। उनके लिए लागत के मामले में ऑनलाइन कंपनियों से मुकाबला करना मुश्किल साबित हो रहा है। ऑनलाइन फूड डिलीवरी कंपनी जोमैटो लोगों को किचन खोलने के लिए जमीन उपलब्ध कराने पर दो से चार लाख रुपए प्रतिमाह का कमाने का ऑफर दे रही है। इसी तरह का ऑफर दुनिया के अन्य देशों में उबर ईट्स भी दे रही है।
जब बिना वीजा आ गए थे भारत
कालानिक के साथ वर्ष 2016 में एक बड़ा रोचक वाकया उस समय गुजरा था, जब वह दिल्ली में बिना वीजा के लैंड कर गए। हालांकि हाईलेवल पर मामला पहुंचने के बाद उन्हें देश में एंट्री दे दी गई और कालानिक डिपोर्ट होने से बच गए। उस समय वह स्टार्टअप इंडिया इवेंट में हिस्सा लेने के लिए बीजिंग से अल सुबह की फ्लाइट लेकर दिल्ली पहुंचे थे।
कालानिक ने इसे स्कैरी मोमेंट करार देते हुए अपना अनुभव शेयर किया। उन्होंने बाद में लिखा कि मेरे लिए वह एक डरा देने वाली स्थिति थी। वीजा की गड़बड़ी से उनको तो फ्लाइट में बिठा दिया गया था और उन्हें चीन वापस भेजा जा रहा था लेकिन इस दौरान भारत सरकार के उच्चाधिकारियों की दखल के बाद उनको देश में एंट्री मिल गई। स्टार्टअप इवेंट में शिरकत के साथ ही वह उन दिनो तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी, सुपरस्टार सलमान खान, क्रिकेट आइकॉन सचिन तेंदुलकर से मिले थे।