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बैंकों में जमा 48262 करोड़ रुपये के 'मालिक' ढूंढ रहा RBI, कहीं आपका तो नहीं है ये पैसा?

रिजर्व बैंक ने कहा कि बैंकों द्वारा कई जागरूकता अभियान चलाए जाने के बावजूद समय के साथ बिना दावे वाली राशि लगातार बढ़ती जा रही है.

बैंकों में जमा 48262 करोड़ रुपये के 'मालिक' ढूंढ रहा RBI, कहीं आपका तो नहीं है ये पैसा?

Wednesday July 27, 2022 , 3 min Read

भारत के बैंकों में कई खातों में हजारों करोड़ रुपये ऐसे पड़े हैं, जिनका कोई दावेदार नहीं है. बैंकों में बिना दावे वाली जमा राशि बढ़ रही है. इसे देखते हुए भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने बिना दावे वाली जमा राशि के दावेदारों की तलाश के लिए एक राष्ट्रीय अभियान शुरू किया है. यह अभियान उन 8 राज्यों पर केंद्रित है, जहां बैंक खातों में बिना दावे वाली जमा सबसे अधिक है. RBI ने यह अभियान उन 8 राज्यों की भाषाओं के साथ-साथ हिंदी और अंग्रेजी में भी लॉन्च किया है.

रिजर्व बैंक की वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार, वित्त वर्ष 2021-22 में बैंकों में बिना दावे वाली राशि बढ़कर 48262 करोड़ रुपये पर पहुंच गई. इससे पिछले वित्त वर्ष में यह राशि 39264 करोड़ रुपये थी. न्यूज एजेंसी PTI के मुताबिक, रिजर्व बैंक के एक अधिकारी का कहना है कि इसमें से ज्यादातर राशि तमिलनाडु, पंजाब, गुजरात, महाराष्ट्र, बंगाल, कर्नाटक, बिहार और तेलंगाना, आंध्र प्रदेश के बैंकों में जमा हैं.

किसे माना जाता है अनक्लेम्ड अमाउंट

केंद्रीय बैंक के मानदंडों के अनुसार ऐसे बचत/चालू खाते जिनमें 10 साल तक लगातार किसी प्रकार का लेनदेन नहीं हुआ है या ऐसी एफडी (Fixed Deposit) जिसका मैच्योरिटी की तारीख से 10 साल तक कोई दावा नहीं किया गया है, उसे बिना दावा वाली जमा माना जाता है. रिजर्व बैंक ने कहा कि बैंकों द्वारा कई जागरूकता अभियान चलाए जाने के बावजूद समय के साथ बिना दावे वाली राशि लगातार बढ़ती जा रही है.

अगर न करे कोई क्लेम तो फिर क्या होता है पैसों का

बैंकों में जमा बिना दावे वाली ऐसी रकम, जिसका कोई दावेदार सामने नहीं आता, उसे जमाकर्ता शिक्षण और जागरुकता फंड’ में ट्रांसफर कर दिया जाता है. जमाकर्ता हालांकि इसके बाद भी बैंक से अपनी राशि, ब्याज के साथ पाने के हकदार हैं.

क्यों बढ़ रहा अनक्लेम्ड अमाउंट

कई बार ग्राहक नए बैंक में खाता खोल लेते हैं और पुराने खातों में सालों तक कोई लेनदेन नहीं करते हैं. इससे अनक्लेम्ड जमा बढ़ती है. इसके अलावा कुछ ग्राहक मैच्योर हो चुकी एफडी के लिए बैंकों को रिडेंप्शन क्लेम सबमिट नहीं करते हैं. इससे भी अनक्लेम्ड जमा बढ़ती है. इसके साथ ही मृत जमाकर्ताओं के खातों के मामले भी हैं, जहां नॉमिनी/कानूनी उत्तराधिकारी संबंधित बैंक के पास डिपॉजिट पर दावा करने के लिए आगे नहीं आते हैं. ऐसे जमाकर्ताओं या मृत जमाकर्ताओं के नॉमिनी/कानूनी उत्तराधिकारी को जमाराशियों की पहचान करने और उन पर दावा करने में मदद करने के लिए बैंक पहले से ही कुछ पहचान योग्य विवरणों के साथ दावा न की गई जमाराशियों की सूची अपनी वेबसाइट पर उपलब्ध कराते हैं. जनता को ऐसी जमाराशियों का दावा करने के लिए संबंधित बैंक की पहचान करने और उससे संपर्क करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है.


Edited by Ritika Singh