इन बुजुर्गों ने मिलकर शुरू किया खुद का पॉडकास्ट, कोरोना काल में मानसिक स्वास्थ्य बेहतर रखने में मदद कर रही है ये खास मुहिम
इस खास पॉडकास्ट की शुरुआत कोरोना वायरस महामारी के चलते लागू हुए देशव्यापी लॉकडाउन के बाद हुई, जहां ये सभी वरिष्ठ नागरिक घर पर बैठे हुए बोर हो रहे थे।
‘तपोवाणी पॉडकास्ट’ के एपिसोड में संगीत के साथ ही स्टोरीटेलिंग और इंटरव्यू शामिल होते हैं। पॉडकास्ट टीम की सदस्य उमा अंतराम कृष्णन ने मीडिया से बात करते हुए बताया है कि कोरोना काल के दौरान सभी बुजुर्ग अपने घरों में कैद से हो गए थे और ऐसे में उनकी मनोस्थिति पर भी बुरा प्रभाव पड़ने लगा था। इसके बाद ही प्रोफेसर श्रीधर ने ‘तपोवाणी पॉडकास्ट’ शुरू करने का निर्णय लिया, जिसके बाद इन सभी बुजुर्गों को मानसिक रूप से भी काफी बेहतर अनुभव हासिल होने लगा।
कोरोना महामारी ने बुजुर्गों को सबसे अधिक प्रभावित करने का काम किया है। महामारी के चलते एक ओर जहां इन बुजुर्गों के लिए संक्रमण का खतरा सबसे अधिक माना गया है, वहीं ऐसे में ये बुजुर्ग घर पर कैद रहने को मजबूर है, जिससे उनके मानसिक स्वास्थ्य पर भी इसका बुरा असर पड़ रहा है।
हालांकि कुछ बुजुर्गों ने इसका बड़ा ही अनूठा तोड़ निकालने का काम किया है। ये सीनियर सिटिजन आज अपनी इन परेशानियों के समाधान के रूप में अपने खुद के पॉडकास्ट का संचालन कर रहे हैं।
दरअसल इस खास पॉडकास्ट की शुरुआत कोरोना वायरस महामारी के चलते लागू हुए देशव्यापी लॉकडाउन के बाद हुई, जहां ये सभी वरिष्ठ नागरिक महामारी के चलते लागू हुए प्रतिबंधों के बाद घर पर बैठे हुए बोर हो रहे थे।
मानसिक स्वास्थ्य हुआ बेहतर
ये सभी वरिष्ठ नागरिक कोयंबटूर के रहने वाले हैं, जिन्होने मिलकर ‘तपोवाणी पॉडकास्ट’ शुरू किया है। इस पहल की शुरुआत में वी श्रीधर ने अहम भूमिका निभाई है, जिन्हें ब्रॉडकास्टिंग के क्षेत्र में खासा अनुभव हासिल है। ये वरिष्ठ नागरिक दरअसल तपोवन सीनियर सिटिज़न फाउंडेशन से जुड़े हुए हैं और श्रीधर भी इसी फाउंडेशन से कुछ समय पहले जुड़ गए थे।
‘तपोवाणी पॉडकास्ट’ के एपिसोड में संगीत के साथ ही स्टोरीटेलिंग और इंटरव्यू शामिल होते हैं। पॉडकास्ट टीम की सदस्य उमा अंतराम कृष्णन ने मीडिया से बात करते हुए बताया है कि कोरोना काल के दौरान सभी बुजुर्ग अपने घरों में कैद से हो गए थे और ऐसे में उनकी मनोस्थिति पर भी बुरा प्रभाव पड़ने लगा था।
इसके बाद ही प्रोफेसर श्रीधर ‘तपोवाणी पॉडकास्ट’ शुरू करने का निर्णय लिया, जिसके बाद इन सभी बुजुर्गों को मानसिक रूप से भी काफी बेहतर अनुभव हासिल होने लगा। आज यह पॉडकास्ट इन बुजुर्गों को व्यस्त रखने और उनके मन को स्वस्थ रखने का अहम जरिया बन चुका है।
मिला अच्छा फीडबैक
पॉडकास्ट के पहले एपिसोड को ऑडियो स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म आई-रेडियो पर इसी साल 13 मार्च को अपलोड किया गया था और अप्रैल महीने में ही इनकी संख्या बढ़कर 50 के पार पहुँच गई थी। पॉडकास्ट के संचालन के लिए करीब 15 वॉलंटियर्स की एक टीम अपना योगदान देती है, जिनके पास पॉडकास्ट की रिकॉर्डिंग से लेकर, उसकी एडिटिंग और अपलोडिंग की ज़िम्मेदारी होती है।
पॉडकास्ट को इसी के साथ स्पॉटिफाई और एप्पल म्यूजिक पर भी अपलोड किया जा रहा है। इस खास पॉडकास्ट को लेकर श्रोतागण से भी बेहतर फीडबैक हासिल हुआ है, हालांकि अभी कुछ ही पॉडकास्ट ऑन एयर किए गए हैं, लेकिन उन सभी को खूब पसंद किया जा रहा है।
दिख रहा है युवाओं जैसा जोश
इस पॉडकास्ट की स्थापना करने वाले श्रीधर खुद भी एक वायलिन प्लेयर हैं और उन्होने देश के पहले कम्यूनिटी रेडियो ‘अन्न कम्यूनिटी रेडियो’ को शुरू करने में अहम भूमिका निभाई थी। इस क्षेत्र में पाँच दशक के अनुभव के साथ ही उन्होने रेडियो के साथ ही टीवी के लिए भी अहम योगदान दिया है।
मीडिया से अपने नए अनुभव को साझा करते हुए श्रीधर ने बताया है, कि इन सभी वरिष्ठ नागरिकों के भीतर का जज्बा किसी नवजवान से कम नहीं है और वे लगातार सीखने की कोशिश कर रहे हैं।
पॉडकास्ट की इस सफलता को देखते हुए अब देश के तमाम हिस्सों में स्थित सीनियर सिटिज़न होम में भी इसी तरह की पहल को शुरू करने का प्लान तैयार किया जा रहा है।
Edited by Ranjana Tripathi