[YS Exclusive] कोरोना काल में गांव के बच्चों को पढ़ा रही गांव की बेटी शिवानी राठौड़
ये कहानी भी एक गांव से निकली है और गांव के लिए निकली है। जहां राजस्थान के गांव की एक बेटी ने कोरोना काल में गांव का स्कूल बंद हो जाने पर बच्चों को पढ़ाना शुरू किया और इतना ही नहीं, जो बच्चे कल तक घरों में रहकर अपनी आगे की पढ़ाई को लेकर चिंतित थे, वे आज फर्राटेदार अंग्रेजी बोल रहे हैं।
कहते हैं कि भारत गांवों में बसता है और इन्हीं गांवों के लोग जब अपनी आवाज़ बुलंद करने के लिए आगे आने लगें, तो कहानी कुछ और ही रूख लेती है। ये कहानी भी एक गांव से निकली है, और गांव के लिए निकली है। जहां राजस्थान के गांव की एक बेटी ने कोरोना काल में गांव का स्कूल बंद हो जाने पर बच्चों को पढ़ाना शुरू किया, और इतना ही नहीं, जो बच्चे कल तक घरों में रहकर अपनी आगे की पढ़ाई को लेकर चिंतित थे, वे आज, फर्राटेदार अंग्रेजी बोलते हैं।
राजस्थान के नागौर जिले के परबतसर उपखंड क्षेत्र के निकटवर्ती ग्राम श्यामपुरा के रहने वाले कुँवर हेमेंद्र सिंह (गोगिबन्ना) की पुत्री शिवानी राठौड़ जो पिछले साल कोरोना काल से अपने पैतृक गांव में रह रहीं हैं। यहाँ रहते हुए शिवानी ने देखा की जब कोरोना महामारी शुरू हुई तो सभी स्कूलें बन्द हो जाने से अपने गांव और आसपास की बस्तियों के कई बच्चों को ऐसे ही घूमते-फिरते देखा, उनके रहन-सहन को देखा। इसलिए उन्हें अनुशासित करने और उनकी पढ़ाई के बारे में विचार किया ताकि इस कोरोना महामारी के दौरान इन मासूम बच्चों की पढ़ाई खराब न हो। उन्होंने बच्चों को पढ़ाने का निर्णय लिया व कोरोना गाइडलाइंस को ध्यान में रखते हुए बच्चों को अपने निजी आवास पर पढ़ाना शुरू किया।
उन्होंने बच्चों के लिए एक क्लासरूम तैयार किया है। रोजाना यहां गांव के अनेक परिवारों के बच्चे पढ़ने के लिए आते हैं। प्रतिस्पर्धा की अंधी दौड़ को दरकिनार कर नागौर जिले के परबतसर उपखंड क्षेत्र की शिवानी राठौड़ ने नायाब उदाहरण पेश किया है।
शिवानी ने अपनी स्कूलिंग Lawrence and Mayo, अजमेर से की है। उन्होंने Barry John से फिल्म मेकिंग में डिप्लोमा भी किया है। शिवानी स्व-शिक्षित दार्शनिक (self-taught philosopher) और Narcissistic Personality Disorder की साइकोलॉजिस्ट भी है। उन्होंने गरीब बच्चों को अपना बहुमूल्य समय और पैसा खर्च कर शिक्षा मुहैया कराने का बीड़ा उठाया है।
ऐसे हुई शुरुआत
शिवानी ने YourStory से बात करते हुए बताया कि वह हर रोज छात्रों को पढ़ाती है। कोरोना के दौरान स्कूलें बन्द हो जाने से उनकी पढ़ाई में कोई दिक्कत न आए, इसके लिए शिवानी ने बच्चों के भविष्य के बारे में सोचते हुए यह निर्णय लेकर उनको पढ़ाना शुरू किया है।
इसकी शुरुआत उन्होंने 1 बच्चे को पढ़ाने से की थी, अभी 5 बैच में 50 बच्चे उनके पास पढ़ने के लिए आते हैं। शिवानी इन बच्चों को सुबह 8 बजे से रात 8 बजे तक पढ़ाती है। उन्होंने कोरोना गाइडलाइंस की पालना करते हुए 7-7 बच्चों के बैच बनाये हुए है।
पढ़ाई के साथ-साथ वह बच्चों के लिए पेंटिंग व अन्य प्रतियोगिताओं का आयोजन करवाती है, जिससे कि बच्चों का मन पढ़ाई में पूरा लगा रहे।
बच्चों को सिखाया अंग्रेजी बोलना
जो बच्चे कल तक ठेठ मारवाड़ी बोला करते थे, जिनको हिन्दी बोलना भी ठीक से नहीं आता था, वे आज फर्राटेदार अंग्रेजी बोलते हैं। शिवानी का कहना है कि इन बच्चों को अभी से अंग्रेजी भाषा का ज्ञान हो जायेगा तो यह अपने भविष्य में कहीं पर भी अपनी पढ़ाई पूरी कर सकते हैं। शिवानी इन बच्चों को एक इंग्लिश मीडियम स्कूल की तरह पढ़ाई करवा रही है। साथ ही बच्चों को वर्तमान स्थिति के बारे में जागरूक कर रही है।
अभिभावक भी करते हैं सराहना
शिवानी द्वारा इन बच्चों को पढ़ाने की पहल की गांव के अन्य ग्रामीण व बच्चों के अभिभावक भी सराहना कर रहे हैं। कुछ अभिभावकों ने बताया कि हमारे बच्चों की पढ़ाई के प्रति रुचि बढ़ गई है, वे अंग्रेजी में भी काफी होशियार हो गए है, और घर पर आए मेहमानों से अंग्रेजी में बात करते है। अभिभावकों का कहना है कि हमने यह नहीं सोचा था कि गांव में रहने वाले हमारे बच्चे इस तरह अंग्रेजी में बात करना भी सिख जाएंगे। स्कूल खुल भी जाएंगे तो भी हम इन बच्चों को शिवानी के यहाँ भी जरूर पढ़ाएंगे।
कम्प्यूटर शिक्षा का भी दिया जाएगा ज्ञान
शिवानी ने बच्चों को पढ़ाने का बीड़ा उठाया। शिवानी ने बताया कि कंप्यूटर शिक्षा में भी बच्चे पिछड़े न रहें, इसके लिए बच्चों को कंप्यूटर की शिक्षा भी दी जाएगी। उन्होंने बताया कि इन बच्चों को कम्प्यूटर में प्रोग्रामिंग लैंग्वेज भी पढ़ाई जाएगी ताकि अभी से यह बच्चे कम्प्यूटर और सॉफ्टवेयर्स का ज्ञान पाकर इनमें रुचि रखते हुए पढ़ाई कर सकें ताकि इनका भविष्य बेहतर हों।
नैतिक शिक्षा भी
शिवानी बच्चों को महान लोगों की जीवनी के बारे में बताती है, बच्चों को उनके बताए मार्गों पर चलने की प्रेरणा देती है। बच्चों को नैतिक शिक्षा के बारे में पढ़ाया जाता है। इसके अलावा रहन-सहन और आदर-सत्कार के बारे में भी शिक्षा दी जाती है। शिवानी ने बताया कि बच्चों को किताबों के अलावा रहन-सहन के तरीकों के बारे में बताया जाता है, ताकि वे बाहर के लोगों के साथ सही व्यवहार कर सकें।
Edited by Ranjana Tripathi