कंपनियों को कार्मचारियों के बैकग्राउंड बता कर कमाई कर रहा दो भाइयों द्वारा स्थापित ये स्टार्टअप
बड़ी और छोटी दोनों ही कंपनियाँ अपने साथ नए कर्मचारियों को जोड़ने से पहले उनकी प्रष्ठभूमि को लेकर आश्वस्त हो जाना चाहती हैं, कंपनियों की इसी समस्या का समाधान कर कर रहा है दो भाइयों द्वारा स्थापित किया गया यह स्टार्टअप हैलोवैरिफ़ाई।
2019 के अंत में मीडिया रिपोर्ट्स सामने आईं जिसमें ये बताया गया कि डोनाल्ड ट्रम्प प्रशासन की एक शीर्ष अधिकारी ने पेशेवर और शैक्षिक पृष्ठभूमि के बारे में भ्रामक दावे किए थे। मीना चांग के दावों में हार्वर्ड से शिक्षा, फर्जी टाइम मैगज़ीन कवर और यहां तक कि संयुक्त राष्ट्र के पैनल में जगह को लेकर भी दावे किए गए थे।
हैलोवैरिफ़ाई के सह-संस्थापक वरुण मीरचंदानी और करण मीरचंदानी के अनुसार जो व्हाइट हाउस में हुआ वह आश्चर्यजनक नहीं है।
इन दोनों ने भाइयों ने इस तरह लोगों की प्रष्ठभूमि की जांच करने के लिए 2014 में हैलोवैरिफ़ाई की स्थापना की। एपीआई आधारित यह स्टार्टअप नौकरी, व्यावसायिक और वाणिज्यिक स्तर पर लोगों की प्रष्ठभूमि की पड़ताल करता है।
36 साल के फाउंडर वरुण मीरचंदानी कहते हैं,
"हमारी तकनीक पृष्ठभूमि की जाँच को सहज बनाती है और हमारे ग्राहकों को तेज़, अधिक सटीक और सस्ते तरीके से परिणाम प्रदान करती है। हम विश्वास और प्रौद्योगिकी को साथ लेकर काम करते हैं, और एक पारंपरिक उद्योग को भी प्रभावी सेवा प्रदान करते हैं।”
दो लोगों के साथ शुरू हुए इस स्टार्टअप में आज 325 लोग काम कर रहे हैं। स्टार्टअप ने अब तक करीब 50 लाख प्रष्ठभूमियों की जांच की है। हैलोवैरिफ़ाई फिलहाल मुनाफे की ओर बढ़ रहा है।
33 वर्षीय करण जब अमेरिका में पढ़ाई कर रहे थे, तो उन्होंने देखा कि अमेरिकी कंपनियों ने कितनी गंभीरता से नौकरी देने के लिए पृष्ठभूमि की जाँच कर रही हैं। आगे के शोध में, उन्होंने समझा कि पृष्ठभूमि की जाँच एक महंगा और समय लेने वाला काम था।
करण बताते हैं,
“भारत में पृष्ठभूमि की जांच का जटिल, महंगी, धीमी और बहुत लंबी प्रक्रिया है। तब इसका बड़े पैमाने पर केवल वरिष्ठ स्तर के कामों के लिए ही इस्तेमाल हो रहा था।”
एमबीए पूरा करने के बाद वह 2013 में भारत लौट आए और 2014 में हैलोवैरिफ़ाई पर काम करना शुरू कर दिया। दोनों भाई 6 महीने के भीतर ही सही उत्पाद तक पहुँच गए।
वरुण कहते हैं,
“हमारे पास एक सरल उपकरण था जहां ग्राहक मामले भेज और प्राप्त कर सकते थे। विभिन्न ग्राहकों की आवश्यकताओं के अनुरूप हमारे बैकएंड में कई बार फेरबदल किए गए।"
दोनों भाइयों ने पहले कुछ वर्षों के लिए स्टार्टअप को बूटस्ट्रैप किया और 2017 में वाई कंबाइनेटर द्वारा त्वरक कार्यक्रम में स्वीकार किया गया, जिसमें स्टार्टअप का मॉडल यूएस-आधारित कंपनी चेकर के समान पाया गया।
तेजी से बढ़ रहा है क्षेत्र
भारत में स्क्रीनिंग का बाजार अब धमाका कर रहा है। वरुण बताते हैं कि भारत में जॉब पोर्टल्स में 50 मिलियन से अधिक व्यक्ति और 75,000 कंपनियां भर्ती आवश्यकताओं के लिए सूचीबद्ध हैं। इसने बैकग्राउंड वेरीफिकेशन बाजार को आज $ 2 बिलियन का बना दिया है।
ग्लोबल बैकग्राउंड स्क्रीनिंग स्पेस में बहुत से खिलाड़ी मौजूद हैं, जैसे कि चेकर, ओनफिडो, और अन्य स्क्रीनिंग कंपनियों ने बड़े दौर में जगह बनाई है। चेकर अब अंतिम फंड-जुटाने के बाद $ 2.2 बिलियन मूल्य की कंपनी है। ओनफिडो ने आखिरी बार पिछले साल अपने सीरीज़ सी दौर में $ 80 मिलियन जुटाए थे। फ़र्स्ट एडवांटेज और स्टर्लिंग बैकचेक जैसे अन्य खिलाड़ी हैं, जो उबर, लिफ़्ट, और एयरबीएनबी जैसी वैश्विक कंपनियों के साथ काम कर रहे हैं।
हैलोवैरिफ़ाई उन ग्राहकों के साथ काम करता है जो सफेद और नीले-कॉलर दोनों कर्मचारियों की स्क्रीनिंग करना चाहते हैं। इन भाइयों का मानना है कि यह उन्हें दूसरों पर बढ़त देता है जो केवल एक क्षेत्र में सीमित उत्पादों के साथ काम करते हैं।
यूएसपी के बारे में बताते हुए करन कहते हैं,
“प्रतिस्पर्धा को नीली और सफेदपोश श्रमिकों की कंपनियों के साथ केटरिंग के हिसाब से विभाजित किया गया है। हमारे प्रतिस्पर्धी केंद्रित हैं और उनकी क्षेत्रीय उपस्थिति है। हम अपनी तकनीक के माध्यम से उद्यमों के लिए आसानी से बड़े पैमाने पर सुविधा दे रहे हैं। हमने ऐसे मिलान नियम बनाए हैं जो मैन्युअल हस्तक्षेप की आवश्यकता को दूर करते हैं और प्लेटफ़ॉर्म ग्राहक की आवश्यकताओं के साथ स्केल कर सकता है।"
वो आगे बताते हैं,
"हैलोवैरिफ़ाई बड़े उद्यमों, एसएमई, स्टार्टअप और यहां तक कि व्यक्तियों के भी काम कर रहा है। उन्होंने कहा, "होम रेंटल, मैट्रिमोनियल साइट्स, और पी 2 पी लेंडिंग जैसे मार्केटप्लेस में ऐसे अवसर उपलब्ध हैं, जहां ऑटोमेटेड बैकग्राउंड चेक के माध्यम से भरोसा पैदा करना एक आवश्यकता बन जाती है और हैलोवीरिफाई इसे को पूरा करता है।"
स्टार्टअप ने लोगों को अपने घरेलू कर्मचारियों जैसे ड्राइवर और घर की पृष्ठभूमि की जांच करने में मदद भी की है, और गृह स्वामियों के साथ अपने संभावित किरायेदारों कि प्रष्ठभूमि जाँचने का भी काम किया है।
बिजनेस मॉडल
रिपोर्ट के अनुसार लाभ कमाने वाला यह स्टार्टअप अपने ग्राहकों से शुल्क लेता है। ज्यादा जानकारी दिए बिना, सह-संस्थापक कहते हैं कि हैलोवैरिफ़ाई तेजी से आगे बढ़ रहा है और सभी उद्योगों में भारत की 100 से अधिक शीर्ष कंपनियों के साथ काम कर रहा है।
वरुण कहते हैं,
"हम अपने राजस्व को दोगुना करने का लक्ष्य लेकर चक रहे हैं, क्योंकि हम अपनी उद्यम बिक्री टीम के साथ उद्यम का विस्तार भी कर रहे हैं।"
भविष्य के विकास में स्टार्टअप के मुनाफे को फिर से कंपनी में निवेश किया जा रहा है।
हैलोवैरिफ़ाई चलाने और स्वामित्व रखने वाले नोएडा स्थित डेलावेयर C-Corp ने पिछले पांच वर्षों में Y कॉम्बिनेटर, डेटा कलेक्टिव, युज वेंचर्स और लीड एंजेल्स जैसे विभिन्न निवेशकों से अघोषित धन जुटाया है।
सह-संस्थापक का यह भी कहना है कि हैलोवैरिफ़ाई की टेक टीम और डेटा वैज्ञानिक वर्तमान में मशीन लर्निंग पर काम कर रहे हैं ताकि भविष्य की पेशकशों के लिए कंप्यूटर विज़न और भविष्य में नई सुविधाओं को सक्षम किया जा सके।
वरुण कहते हैं,
“हैलोवैरिफ़ाई P2P स्क्रीनिंग, सरकारी क्षेत्र और ऑनलाइन मार्केटप्लेस के लिए उत्पाद बनाकर एक बड़े अवसर पर निशाना लगाना चाहती हैं। यह हमें अगले पांच वर्षों में भारत में 100 मिलियन व्यक्तियों के एक बड़े बाजार को संबोधित करने में मदद करेगा।“