कोरोना महामारी में लावारिस मृतकों को सम्मान के साथ अंतिम विदाई दिला रहे हैं ये वॉलेंटियर
कोरोना के चलते काल के गाल में समा गए लोगों का सम्मान के साथ अंतिम संस्कार हो सके इसके लिए कुछ युवा लगातार सराहनीय पहल कर रहे हैं।
देश में कोरोना वायरस महामारी की दूसरी लहर ने सभी को बुरी तरह प्रभावित किया है। दूसरी लहर की शुरुआत के साथ ही एक ओर जहां लोगों को जरूरी दवाएं और ऑक्सीजन जैसे बुनियादी स्वास्थ्य सुविधाएं मिलने में परेशानी का सामना करना पड़ा है, वहीं इस दौरान देश में कोरोना संक्रमण के चलते होने वाली मौतों की संख्या भी अप्रत्याशित रूप से बढ़ गई है।
मीडिया रिपोर्ट्स के जरिये देश के तमाम हिस्सों में ऐसा देखा गया है जहां मौतों की संख्या अधिक होने के चलते मृतकों को सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार तक नसीब नहीं हो सका है।
कोरोना के चलते काल के गाल में समा गए लोगों का सम्मान के साथ अंतिम संस्कार हो सके इसके लिए कुछ युवा लगातार सराहनीय पहल कर रहे हैं।
दिल्ली-NCR में पहल
देश के अन्य हिस्सों की तरह ही दिल्ली में भी कोरोना से मरने वाले लोगों की संख्या काफी अधिक है। कोरोना से मौत होने के चलते आमतौर पर शव जलाने के दौरान या उसके बाद भी मृतक के परिजन वहाँ मौजूद नहीं होते हैं और राख़ के साथ अस्थियों के अवशेष शवदाह के बाद वहीं पड़े रह जाते हैं।
आशीष कश्यप और नमन शर्मा आज ऐसे शवदाह के बाद लावारिस शवों की अस्थियों को इकट्ठा कर रहे हैं और उनका सम्मानपूर्वक अंतिम संस्कार करने की बड़ी ज़िम्मेदारी भी निभा रहे हैं।
आशीष और नमन दिल्ली-NCR में श्री देवधन सेवा समिति के साथ मिलकर इस काम को पूरा कर रहे हैं। दोनों दिल्ली भर में स्थित शवदाह गृह जाकर वहाँ से इस तरह के लावारिस अस्थि अवशेषों को इकट्ठा करते हैं।
न्यूज़ एजेंसी रायटर्स से बात करते हुए आशीष ने बताया है कि ‘अधिकांश मामलों में कोरोना से मौत होने के बाद मृतकों के परिजनों ने संक्रमण के डर से अंतिम संस्कार में भी शामिल होने से मना कर देते हैं, जिसके बाद उन सभी की अस्थियाँ भी लावारिस हालत में ही शवदाह गृह पर पड़ी रहती हैं। वे इन सभी अस्थियों को एक साथ इकट्ठा कर लेते हैं।‘
सम्मान के साथ अंतिम विदाई
आशीष का अनुमान है कि आने वाले कुछ ही समय में वह दिल्ली-एनसीआर इलाके में करीब 10 हज़ार से अधिक लावारिस लोगो की अस्थियों को इकट्ठा कर सकते हैं, इनमें 80 प्रतिशत से अस्थियाँ उन लोगों की हैं जिनकी मौत कोरोना संक्रमण के चलते हुई है।
क्रियाकर्म को ध्यान में रखते हुए दोनों पहले इन अस्थियों को इकट्ठा करने के बाद उसके सामने प्रार्थना करते हैं और फिर पानी और दूध से उन्हे धोते हैं, इसके बाद उन अस्थियों पर गंगाजल छिड़का जाता है। रायटर्स के अनुसार आशीष और नमन संस्था के अन्य लोगों के साथ मिलकर इन सभी अस्थियों को सितंबर में हरिद्वार ले जाकर गंगा नदी में प्रवाहित कर देंगे, ताकि मरने वाले शख्स को मोक्ष की प्राप्ति हो सके।
समिति से जुड़ा समूह बीते दो दशकों से ऐसे लावारिस शवों के सम्मानपूर्वक अंतिम संस्कार की ज़िम्मेदारी उठा रहा है। बीते साल इस समूह ने करीब 37 सौ लोगों का अंतिम संस्कार किया था, लेकिन इस बार कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर के बाद इन आंकड़ों में कई गुना का इजाफा हुआ है।