Brands
Discover
Events
Newsletter
More

Follow Us

twitterfacebookinstagramyoutube
Yourstory

Brands

Resources

Stories

General

In-Depth

Announcement

Reports

News

Funding

Startup Sectors

Women in tech

Sportstech

Agritech

E-Commerce

Education

Lifestyle

Entertainment

Art & Culture

Travel & Leisure

Curtain Raiser

Wine and Food

YSTV

ADVERTISEMENT
Advertise with us

म्यूचुअल फंड में पैसा लगाना चाहते हैं? तो इन 7 बातों पर जरूर कर लें गौर

निवेश कहीं भी करना हो, फैसला पूरी जांच-परख करने के बाद ही करना चाहिए.

म्यूचुअल फंड में पैसा लगाना चाहते हैं? तो इन 7 बातों पर जरूर कर लें गौर

Monday February 27, 2023 , 4 min Read

बीते कुछ वर्षों में म्यूचुअल फंड तेजी से पॉपुलर हुआ है. इस निवेश विकल्प से हासिल हुए अच्छे रिटर्न ने इसे निवेशकों के बीच आकर्षक बनाया हुआ है. लेकिन इसका अर्थ यह नहीं है कि केवल अच्छे रिटर्न को देखते हुए म्यूचुअल फंड, आंख मूंदकर पैसा लगाया जाने वाला निवेश विकल्प बन जाए. इसमें निवेश की भी अपनी सावधानियां हैं. निवेश कहीं भी करना हो, फैसला पूरी जांच-परख करने के बाद ही करना चाहिए. अगर आप भी म्यूचुअल फंड में निवेश करने का प्लान बना रहे हैं तो कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी है.

निवेश का मकसद क्या है?

यह सवाल आपको केवल म्यूचुअल फंड ही नहीं, बल्कि किसी भी इन्वेस्टमेंट स्कीम में पैसा लगाने से पहले अपने आप से करना चाहिए. आपको यह देखना होगा कि आप जिस मकसद से ​निवेश करना चाहते हैं, क्या संबंधित स्कीम उसके लिए सही है? ऐसा ही म्यूचुअल फंड में निवेश से पहले भी सोचें. खुद से यह सवाल करें कि क्या आप जिस उद्देश्य से पैसा लगा रहे हैं, क्या उसके लिए यह अच्छा विकल्प है? आप लॉन्ग टर्म की सोचकर पैसा लगाना चाहते हैं या फिर शॉर्ट टर्म के लिए निवेश करना चाहते हैं? हो सकता है कि कोई और इन्वेस्टमेंट स्कीम, आपके निवेश लक्ष्य के लिए म्यूचुअल फंड से ज्यादा बेहतर हो. किसी के कहने भर से, म्यूचुअल फंड को लेकर सब्ज बाग दिखाने भर से इसमें पैसा न लगाएं.

रिस्क फ्री नहीं है म्यूचुअल फंड

बहुत सारे निवेशक भविष्य के लिए फंड जुटाने के जोखिम-मुक्त तरीके के साथ म्यूचुअल फंड की तुलना करते हैं. यह सही नहीं है. म्युचुअल फंड प्रोफेशनल मैनेजमेंट, नियमित निवेश, बेहतर स्टॉक चयन आदि से जोखिम को बेहतर तरीके से प्रबंधित करते हैं. लेकिन यह पूरी तरह रिस्क फ्री नहीं हैं. अगर ध्यान से चुना जाए, तो कुछ म्यूचुअल फंड वास्तव में लंबी अवधि में किसी के पैसे को दोगुना करने की क्षमता रखते हैं. हालांकि, बेस्ट म्युचुअल फंड का चयन करना, और इससे भी महत्वपूर्ण अपनी आवश्यकता को पूरा करने वाले फंड को चुनना, बहुत अधिक जटिल हो जाता है.

फंड का पिछला रिकॉर्ड रखता है मायने लेकिन...

किसी भी म्यूचुअल फंड स्कीम की परफॉर्मेंस हिस्ट्री को जानना जरूरी है ताकि इसके रिटर्न का रिकॉर्ड मालूम हो सके. लेकिन यह भी ध्यान रखा जाना चाहिए कि रिस्क फैक्टर हर स्कीम के साथ हमेशा रहता है. ब्याज दरों के रुझान से लेकर किसी इंडस्ट्री से जुड़े बदलावों और देश-दुनिया के मैक्रो इकनॉमिक डेटा तक कई ऐसे फैक्टर होते हैं, जो म्यूचुअल फंड्स के प्रदर्शन पर असर डालते हैं. इसलिए पिछले वर्षों में किसी म्यूचुअल फंड स्कीम के बेहतर प्रदर्शन को आने वाले दिनों के बेहतर रिटर्न की गारंटी नहीं माना जा सकता.

SIP की मदद से निवेश बेहतर

निवेशकों को म्यूचुअल फंड में अपनी पूरी रकम एक साथ लगाने से बचना चाहिए. एकमुश्त निवेश से बेहतर है कि सिस्टेमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (SIP) की मदद ली जाए. यह एक मासिक किस्त है, जिसकी मदद से आप थोड़ा-थोड़ा करके पैसा म्यूचुअल फंड में लगा सकते हैं. इससे रिस्क कम रहता है क्योंकि इस पर बाजार के उतार चढ़ाव का ज्यादा असर नहीं पड़ता.

ओल्ड सबित हो सकता है गोल्ड

ऐसे म्यूचुअल फंड का चुनाव करें जो भारतीय बाजार में कम से कम 15 वर्षों से अस्तित्व में हो. यह सुनिश्चित करेगा कि वह बाजार के कई चक्रों से गुजरा है. फंड के एयूएम (एसेट अंडर मैनेजमेंट) का आकलन करें. यह जरूरी नहीं है कि केवल बड़े एयूएम फंड ही अच्छे हों. इसके अलावा फंड मैनेजर के अनुभव और उनके पिछले प्रदर्शन की भी जांच करें. फंड मैनेजर की योग्यता और वह कितने वक्त से मार्केट में है, यह भी काफी मायने रखता है.

पोर्टफोलियो में विविधता जरूरी

अगर निवेश की रकम या क्षमता ज्यादा है तो केवल एक म्यूचुअल फंड में सारा पैसा निवेश करने के बजाय अलग—अलग म्यूचुअल फंड स्कीम्स में लगाना समझदारी है. पोर्टफोलियो में विविधता होनी चाहिए ताकि अगर किसी एक स्कीम में नुकसान हुआ तो दूसरी संभाल ले. लेकिन इसका अर्थ यह नहीं है कि आप बहुत ज्यादा तरह के फंड्स में निवेश कर दें. यह सही नहीं है. बेहतर यही होगा कि अच्छी तरह जांच-परख करके दो-तीन अच्छी म्यूचुअल फंड स्कीम्स को चुनें और उनमें नियमित रूप से निवेश करते रहें.

आप निवेश उद्देश्यों, उम्र, निवेश की अवधि व रिस्क प्रोफाइल के आधार पर अपने म्यूचुअल फंड पोर्टफोलियो को डायवर्सिफाई कर सकते हैं. कोशिश करें कि चुनी गईं म्यूचुअल फंड स्कीम्स एक जैसी न हों. साथ ही एक ही म्यूचुअल फंड हाउस की स्कीम्स को चुनने के बजाय दूसरे म्यूचुअल फंड हाउसेज का भी रुख करें.

लिक्विडिटी भी जरूरी

ऐसे म्यूचुअल फंड को चुनें जो लिक्विडिटी प्रदान करता हो, यानी आप जरूरत पड़ने पर आसानी से शेयर/यूनिट खरीद और बेच सकते हों. ELSS और फिक्स्ड मैच्योरिटी प्लान जैसी कुछ योजनाएं निश्चित लॉक-इन पीरियड के साथ होती हैं. इसलिए इस बात को ध्यान में रखकर निवेश करें.