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कोरोना मरीजों की मदद के लिए अपने रिटायरमेंट से वापस आ गईं ये 66 साल की नर्स, बड़ी संख्या में मरीजों तक पहुंचाई ऑक्सीजन

संक्रमण के लगातार बढ़ते प्रकोप और कोरोना मरीजों की बदतर हालत को देखते हुए गीता ने यह तय कर लिया था कि वो फिर से जमीन पर उतरकर लोगों की सेवा करेंगी।

कोरोना मरीजों की मदद के लिए अपने रिटायरमेंट से वापस आ गईं ये 66 साल की नर्स, बड़ी संख्या में मरीजों तक पहुंचाई ऑक्सीजन

Thursday July 01, 2021 , 3 min Read

"कर्नाटक के चामराजनगर जिले के कोल्लेगल और हनूर तलुक के गांवों में बिना ऑक्सीजन के मर रहे लोगों की दुर्दशा को देखते हुए गीता ने SVYM के साथ फौरन ही जरूरतमंदों को पोर्टेबल कॉन्सेंट्रेटर पहुंचाने में मदद करने के अलावा रोगियों की देखभाल करने और उनके परिवार के सदस्यों को सलाह देने में मदद करनी शुरू कर दी।"

कोरोना महामारी की दूसरी लहर के बीच मरीजों को तड़पता हुआ देखकर कर्नाटक की रिटायर्ड नर्स फिर से वापस आकर लोगों की सेवा करने का कदम उठाया है। गौरतलब है कि रिटायरमेंट के बाद 66 वर्षीय एएस गीता अपनी आरामदायक ज़िंदगी बिता रही थीं, इसी बीच कोरोना वायरस महामारी ने उनके लिए हालातों को एकदम बदल कर रख दिया। 


संक्रमण के लगातार बढ़ते प्रकोप और कोरोना मरीजों की बदतर हालत को देखते हुए गीता ने यह तय कर लिया था कि वो फिर से जमीन पर उतरकर लोगों की सेवा करेंगी।


कोरोना वायरस महामारी की दूसरी लहर के दौरान देश भर में ऑक्सीजन और अस्पतालों में बेड की कमी के चलते कई मामले ऐसे देखने को मिले हैं जहां कोरोना मरीज की मौत तक हुई है। ऐसी ही एक परिस्थिति के बीच गीता ने लोगों की मदद के लिए आगे आने का फैसला किया था। 

द न्यू इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए गीता ने इस दौरान के अपने बुरे अनुभवों को भी साझा किया है। उन्होने बताया कि कोरोना महामारी की दूसरी लहर के दौरान ऑक्सीजन ना मिलने के चलते उनके दो परिचितों की मौत हो गई थी, यह अनुभव उनके लिए काफी विचलित करने वाला था।

बांटने शुरू किए ऑक्सीजन कन्संट्रेटर

इस बीच गीता यह सोच रही थीं कि वो किस तरह अपने स्तर पर लोगों की मदद कर सकती हैं। इस बीच गीता के भाई ने उन्हें स्वामी विवेकानन्द यूथ मूवमेंट (SVYM) के बारे में बताया जो उस दौरान जरूरतमंद कोरोना मरीजों को ऑक्सीजन कन्संट्रेटर पहुंचाने का काम कर रहे थे। इसी के साथ गीता उन्हें जॉइन करने का फैसला कर लिया। 


गीता का कहना है कि अपनी कमजोर आर्थिक स्थिति के चलते वह लोगों की आर्थिक मदद नहीं कर सकती थीं, इसीलिए उन्होने लोगों की मदद का यह रास्ता चुना।


कर्नाटक के चामराजनगर जिले के कोल्लेगल और हनूर तलुक के गांवों में बिना ऑक्सीजन के मर रहे लोगों की दुर्दशा को देखते हुए गीता ने SVYM के साथ फौरन ही जरूरतमंदों को पोर्टेबल कॉन्सेंट्रेटर पहुंचाने में मदद करने के अलावा रोगियों की देखभाल करने और उनके परिवार के सदस्यों को सलाह देने में मदद करनी शुरू कर दी।

घर बन गया ऑक्सीजन कन्संट्रेटर बैंक

इस बीच गीता ने अपने घर को ही ऑक्सीजन कन्संट्रेटर बैंक में तब्दील कर दिया, जहां से वे SVYM के सदस्यों की मदद लेते हुए जरूरतमंद कोरोना मरीजों तक ऑक्सीजन कन्संट्रेटर पहुंचाने का काम करने लगीं।


इस दौरान गीता ने 100 किलोमीटर से भी अधिक दूरी तय करते हुए रिमोट गांवों तक कोरोना मरीजों के बीच ऑक्सीजन कन्संट्रेटर बांटने का काम किया है। गीता के अनुसार इस दौरान उन्होने और SVYM के अन्य सदस्यों ने भी खुद को कोरोना संक्रमण से बचाने के लिए पर्याप्त इंतजाम किए थे, इसी के साथ वे सभी जरूरी कोरोना प्रोटोकॉल का पालन भी कर रहे थे।


मीडिया से बात करते हुए गीता ने बताया है कि उनके घर में सभी वरिष्ठ नागरिक हैं। उनकी माँ खुद 96 साल की हैं, ऐसे में परिजनों की सुरक्षा भी गीता के लिए एक बड़ा मुद्दा था। गीता के प्रयासों के लिए SVYM के सदस्यों के साथ ही स्थानीय लोग उनकी जमकर तारीफ कर रहे हैं।


Edited by Ranjana Tripathi