इस जिलाधिकारी ने कर दिया कमाल, कोरोना काल में ही यहाँ के मजदूर बन गए मालिक
ये कहानी है बिहार के पश्चिमी चंपारण के तमाम हुनरमंद लोगों की।
कोरोना महामारी ने बड़ी संख्या में लोगों के रोजगार को छीनने का काम किया है, लेकिन इसके बावजूद कुछ हुनरमंद लोग ऐसे भी हैं जिन्होने इस कठिन समय में अपने हुनर के जरिये अपनी आजीविका को न सिर्फ बेहतर किया है, बल्कि अब वो महज कारीगर से मालिक भी बन चुके हैं। ये कहानी है बिहार के पश्चिमी चंपारण के तमाम हुनरमंद लोगों की।
गौरतलब है कि भारत में क्रिकेट का क्रेज़ देश के हर कोने में देखने को मिल जाता है और इसी के चलते कश्मीरी बल्ले की मांग भी हमेशा तेज़ बनी रहती है। कोरोना वायरस महामारी के चलते लगे लॉकडाउन के बाद अबुलैस के इस क्रिकेट बैट बनाने के हुनर ने ही उन्हे उम्मीद की रोशनी दिखाई। अबुलैस ही नहीं तमाम अन्य राज्यों से अलग-अलग कामों में पारंगत लोग भी इस दौरान अपने गृह नगर का रुख कर चुके थे, लेकिन उस समय उनके पास रोजगार का कोई साधन उपलब्ध नहीं था।
वापस आए अपने गृहजिले
अबुलैस जम्मू-कश्मीर के अनंतनाग में बाले के निर्माण का काम किया करते थे, लेकिन लॉकडाउन लगने के बाद सारा काम चौपट हो गया और वह वापस अपने गृह जिले पश्चिमी चंपारण वापस आ गए। लॉकडाउन के दौरान जब प्रवासी मजदूर अपने घरों को वापस लौट रहे थे जब जिला प्रशासन इन लोगों की आजीविका को वापस पटरी पर लाने के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध था।
जिलाधिकारी ने किया कमाल
द क्विंट की एक रिपोर्ट के अनुसार प्रवासी मजदूरों की वापसी के दौरान ही जिलाधिकारी कुन्दन कुमार उन लोगों के संपर्क में थे और इस दौरान जिलाधिकारी कुमार ने ही ऐसे लोगों के हुनर को पहचानने का काम किया और यह जिलाधिकारी का ही यह प्रयास था कि इन लोगों के लिए उनके गृह नगर में ही आजीविका के नए और बेहतर रास्ते का प्रबंध किया गया।
कुन्दन कुमार ने मीडिया से बात करते हुए बताया है कि क्वारंटीन सेंटरों में ही इनकी स्किल मैपिंग का काम शुरू कर दिया गया था, ऐसे में जो भी लोग अन्य राज्यों में अपने हुनर के अनुसार काम कर रहे थे, उन्हे उसी के अनुसार जिले में ही काम शुरू करने के लिए साधन उपलब्ध कराने का प्रयास शुरू किया गया।
शुरू किया गया स्टार्टअप ज़ोन
साल 2012 बैच के आईएएस अधिकारी कुन्दन कुमार के अनुसार इसके तहत चनपटिया में एक स्टार्टअप ज़ोन की शुरुआत की गई और इन सभी लोगों को जगह, जरूरी मशीनें और औज़ार के साथ ही बैंकों से ऋण भी उपलब्ध कराया गया। इस पहल के साथ अबुलैस ने भी बल्ले बनाने शुरू कर दिये और अब तक वो 16 सौ से अधिक बल्ले बेंच चुके हैं, जबकि उनके पास 25 सौ बल्ले बनाने का ऑर्डर है। कई कंपनियाँ भी उनके बनाए हुए बल्ले खरीदने में दिलचस्पी दिखा रही हैं।
सिर्फ बल्ले ही नहीं बल्कि मजदूर इस स्टार्टअप ज़ोन में रेडीमेड गारमेंट्स का भी निर्माण कर रहे हैं। यहाँ बने हुए रेडीमेड गारमेंट्स को देश के तमाम हिस्सों में भेजा जा रहा है। फिलहाल आलम यह है कि यहाँ बने हुए माल की मांग उसकी आपूर्ति से भी अधिक हो चुकी है।
कारीगर बन गए मालिक
लॉकडाउन के पहले जहां ये कारीगर अपने हुनर के साथ अपने मालिकों के लिए काम किया करते थे अब वही कारीगर अपने व्यवसाय के मालिक बन चुके हैं। जिलाधिकारी के अनुसार बीते 6 महीनों में यहाँ के लोग 5 करोड़ रुपये से भी अधिक का कारोबार कर चुके हैं।
जिलाधिकारी कुन्दन कुमार की इस पहल को बेशक अन्य राज्यों में भी लागू करने की जरूरत है, जिससे कोरोना काल के इस कठिन समय में हुनरमंद लोगों को अपने ही गृह राज्य में अवसर मिल सकेंगे और इसी के साथ पीएम मोदी के वोकल फॉर लोकल नारे कभी बल मिलेगा।
Edited by Ranjana Tripathi