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आधुनिक और कलात्मक साड़ियों को शिल्प कारीगरी के साथ डिलीवर करता है पुणे का यह स्टार्टअप

आधुनिक और कलात्मक साड़ियों को शिल्प कारीगरी के साथ डिलीवर करता है पुणे का यह स्टार्टअप

Monday November 08, 2021 , 9 min Read

भारतीय कला और संस्कृति को बढ़ावा देने के उद्देश्य से पति-पत्नी की जोड़ी पुष्कर शुक्ला और आकांक्षा कंवल शुक्ला ने जून 2015 में हाथ से बुने, दस्तकारी और डिजाइनर साड़ियों के लिए एक लक्जरी डेस्टिनेशन के रूप में बीटिट्यूड ( Beatitude) को लॉन्च किया।


को-फाउंडर पुष्कर ने योरस्टोरी को बताया, "हस्तनिर्मित भारतीय साड़ियां भारतीय संस्कृति की वास्तविक भावना और गर्मजोशी को दर्शाती हैं, साथ ही इसे बढ़ावा देने से भारतीय कारीगरों को रोजीरोटी का सहारा मिलता है।"


दस्तकारी और हाथ से बुनी साड़ियों के अलावा बीटिट्यूड, दुपट्टे, कस्टमाइज डिजाइनर ब्लाउज, प्रीमियम स्टोल, एथनिक वियर और हस्तनिर्मित आभूषण भी बेचती है। यह सभी उत्पादों को मुख्य रूप से अपने पोर्टल के जरिए बेचती है और प्रीपेड ऑर्डर पर मुफ्त शिपिंग के साथ-साथ 30-दिन की रिटर्न/एक्सचेंज पॉलिसी भी ऑफर करती है।


बीटिट्यूड एक ग्लोकल (ग्लोबल + लोकल को मिला कर बना शब्द) नजरिए के साथ काम करता है, जहां यह सभी नए ग्लोबल रुझानों और ट्रेंड्स के साथ तालमेल बिठाते हुए भारत में ही उनका मैन्युफैक्चरिंग करती है। यह कपड़ा और फैशन डिजाइनरों की इन-हाउस टीम की मदद से ऐसा करती है। अपनी वेबसाइट के अलावा इंस्टाग्राम, फेसबुक और विज्ञापनों के जरिए भी यह स्टार्टअप ऑनलाइन बिक्री करता है।


पुष्कर कहते हैं, “हमारे राजस्व का लगभग 33.6 प्रतिशत सोशल मीडिया पर बिक्री से आता है, जबकि 66.4 प्रतिशत वेबसाइट से। हमारे उत्पादों को खरीदने वाले 51 प्रतिशत से अधिक ग्राहक हमारे पास दोबारा खरीदारी के लिए लौटते हैं।”

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शुरुआत

बीटिट्यूड की शुरुआत तब हुई जब पुष्कर और आकांक्षा ने महसूस किया कि आधुनिक समय की कई महिलाएं एक्सक्लूसिव पीस, किफायती डिजाइनर परिधान चाहती हैं और अपनी साड़ियों में आधुनिकता का स्पर्श चाहती हैं।


बीटिट्यूड की को-फाउंडर आकांक्षा कहती हैं, “साड़ी बाजार पहले अधिकतर पारंपरिक डिजाइनों और नकली फैब्रिक की जानकारियों से भरा हुआ था, चाहे इसकी कीमत कुछ भी हो। बीटिट्यूड के जरिए हमने इस अंतर को भरने की कोशिश की।”


वह आगे कहती हैं, “हम नहीं चाहते कि आधुनिक महिलाएं पारंपरिक पोशाक की उपेक्षा करें। वह भी सिर्फ इसलिए क्योंकी मार्केट में उपलब्ध विविध प्रोडक्ट उनके व्यक्तित्व के अनुरूप नहीं है, या हथकरघा के नाम पर उत्पाद बेचने वाले नकली स्थानीय ब्रांडों से उन्हें धोखा दिया जाता है। हम सुनिश्चित करते हैं कि हमारे द्वारा बेचे जाने वाले उत्पाद गुणवत्ता मानकों में सर्वश्रेष्ठ हों, गुणवत्ता के लिए दो बार जांचे गए हों, और पारदर्शी रूप से वर्णित हों।"


इसमें एक तरफ को-फाउंडर्स की इच्छा और मांग थी। वहीं दूसरी तरफ बुनकरों की दुर्दशा की स्थिति की समस्या थी।


आकांक्षा आगे कहती हैं, “बुनकरों को बहुत ही कम भुगतान किया जाता था और उनकी कला बड़े दर्शकों तक नहीं पहुंच रही थी। इसलिए हमने बुनकरों को बढ़ावा देने उनके परिवारों को सक्षम बनाने और यह सुनिश्चित करने के लिए 2015 में बीटिट्यूड लॉन्च किया कि उन्हें उनका सही मूल्य मिले।”

कारीगरों और बुनकरों को बढ़ावा देना

बीटिट्यूड का लक्ष्य आधुनिक और कलात्मक डिजाइन प्रदान करके एक एक खास सेगमेंट में अपनी अलग जगह बनाना है।


पुष्कर कहते हैं, “हम सुनिश्चित करते हैं कि बीच की बाधाएं खत्म हों और बुनकरों को सीधे आय मिले। उनकी कला को एक मंच देकर, हम महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, मध्य प्रदेश, जम्मू और कश्मीर और उत्तर प्रदेश में 215 से अधिक बुनकरों और 692 से अधिक कारीगरों को अपने साथ जोड़ा है। साथ ही हमारी टीम की 61 प्रतिशत से अधिक सदस्य महिलाएं हैं। हम महिला सशक्तिकरण में विश्वास करते हैं और अधिक महिलाओं को आत्मनिर्भर होने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।"


स्टार्टअप से जुड़े 1,591 से अधिक क्राफ्ट में पारंगत बुनकर हैं और उन्हें प्रोजेक्ट के आधार पर एडवांस पेमेंट किया जाता है। को-फाउंडरों का कहना है कि बीटिट्यूड टीम बुनकरों के स्किल को अपग्रेड करने और उनकी भलाई सुनिश्चित करने के लिए अक्सर उनसे और उनके परिवारों से मिलती है।

बीटिट्यूड की टीम

पुणे मुख्यालय वाली बीटिट्यूड के पास वर्तमान में 21 से अधिक लोगों की एक टीम है और देश के विभिन्न क्षेत्रों में 12 लॉजिस्टिक मैनेजर हैं।


पुष्कर और आकांक्षा बीटिट्यूड ब्रांड के को-ओनर हैं। पुष्कर स्ट्रैटजिक बिजनेस और प्रोडक्ट डिवेलपमेंट, फाइनेंस, कानूनी और लॉजिस्टिक पहलुओं का देखतें हैं जबकि आकांक्षा प्रोडक्ट सलेक्शन, क्वॉलिटी मैनेजमेंट, कस्टमर रिलेशन, डिजिटल और सोशल मार्केटिंग जैसी पहलुओं का ख्याल रखती है। वे संयुक्त रूप से रचनात्मक अवधारणा और इनोवेशन टीम के प्रमुख हैं।


इलेक्ट्रॉनिक्स में इंजीनियरिंग करने के बाद पुष्कर ने तीन साल से अधिक समय तक आईटी क्षेत्र में काम किया और यूरोप और जर्मनी में एडिडास, स्विसरे आदि जैसे क्लाइंट्स के साथ काम किया। बाद में, उन्होंने मार्केटिंग में एमबीए किया और यूरोप में ब्रिटिश टेलीकॉम जैसे शीर्ष बहुराष्ट्रीय कंपनियों के साथ काम किया।


पुष्कर आठ साल से अधिक समय तक यूरोप और यूके में रहे, जिसके बाद वे वापस भारत आ गए। लौटने के बाद, वह पुणे की एक रियल एस्टेट फर्म न्म वीपी-मार्केटिंग के रूप में शामिल हो गए, जिसके चेयरमैन एक सीरियल आंत्रप्रेन्योर, परोपकारी व्यक्ति थे और पुष्कर ने उनसे बहुत कुछ सीखा।


पुष्कर कहते हैं, "मैं आकांक्षा से चेयरमैन की अगुवाई वाले एक आंत्रप्रेन्योरशिप कार्यक्रम में मिला था।"

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इन ग्राहकों पर जोर

बीटिट्यूड की करीब 98.2 प्रतिशत ग्राहक 25 से 58 वर्ष की आयु की महिलाएं हैं।


आकांक्षा कहती हैं, “बीटिट्यूड के उत्पादों को सभी आय वर्गों के लोग नहीं खरीद सकते हैं। हमारे पास 80,000 रुपये की न्यूनतम मंथली इनकम वाले चुनिंदा ग्राहक हैं। हमारे ग्राहकों के प्रमुख शहर हैं - पुणे, मुंबई, नई दिल्ली, बेंगलुरु, चेन्नई, हैदराबाद, कोलकाता आदि।"


भारत, संयुक्त राज्य अमेरिका, यूनाइटेड किंगडम, ऑस्ट्रेलिया, बेल्जियम, कनाडा, फ्रांस और संयुक्त अरब अमीरात सहित 87 से अधिक देशों में प्रमुख उपस्थिति के साथ बीटिट्यूड के 3.17 लाख से अधिक यूजर्स हैं।


पुष्कर कहते हैं, "राजस्व के मामले में, हम वित्तीय वर्ष 2016-17 में 33.01 लाख रुपये पर थे, 2019 में हमने 13.3 करोड़ रुपये का राजस्व हासिल किया और वर्तमान में हम पहले से ही 2021-22 वित्तीय वर्ष में 25.1 करोड़ रुपये राजस्व दर्ज कर चुके हैं।"


उन्होंने आगे कहा, “पिछले छह वर्षों में, हम प्रति वर्ष औसतन 1523 प्रतिशत की दर से ग्रोथ कर रहे हैं। सालाना राजस्व की बात करें तो, हमने ढाई वर्षों के भीतर 40.2 गुना की ग्रोथ हासिल की है। वर्तमान में, हम पहले से ही 76.8 के ग्रोथ फैक्टर पर हैं, 141.7 प्रतिशत की सीएजीआर हासिल कर रहे हैं। 2022-2023 के लिए बीटिट्यूड के पास कई महत्वाकांक्षी विकास योजनाएं हैं। हाल ही में लॉन्च किए गए स्किन केयर वर्टिकल और स्ट्रैटेजिक एक्सक्लूसिव पेटेंट उत्पाद विकास के साथ, हम वित्तीय वर्ष 2022 में राजस्व में 318 प्रतिशत की वृद्धि की उम्मीद करते हैं।”

चुनौतियां

आकांक्षा बताती हैं कि दो प्राथमिक चुनौतियां थीं।


स्टार्टअप के लिए पहली चुनौती दर्शकों को यह समझाना था कि हथकरघा/हस्तशिल्प उत्पादों को पावरलूम या मशीन से बने उत्पादों की तुलना में इसे कस्टमाइज कर बनाने और उनके दरवाजे तक वितरित करने में अधिक समय लगता है।


वह कहती हैं, “इस चुनौती को दूर करने के लिए, हमने अपने ग्राहकों के साथ ब्रांड के पिलर्स में से एक यानी पूर्ण पारदर्शिता को अपनाया। हमारी टीम मास्टरपीस प्रोडक्ट को बनाने में शामिल काम के बारे में ग्राहको को शिक्षित करती थी। इस तरह उन्हें पता चलता है कि उत्पाद को उनके दरवाजे पर भेजने में लगने वाला समय के बारे में जानकारी मिलती है। साथ ही, हम बिल्कुल स्पष्ट थे कि केवल एक विशिष्ट सेगमेंट ही अवधारणा को वहन और समझ सकता है। उत्पाद डिलीवर होने के बाद, 96.2 प्रतिशत ग्राहक प्रतीक्षा करने से अधिक खुश थे। ”


दूसरी बड़ी चुनौती कैश फ्लो का मैनेजमेंट करना था।


आकांक्षा कहती हैं, "हमने दो रणनीतियां अपनाईं- पहला प्रीपेड ऑर्डर पर छूट देना और दूसरा कच्चे माल के विक्रेताओं से हमें क्रेडिट अवधि देने का अनुरोध करना।"

बाजार का आकार और अवसर

महिलाओं के वस्त्र बाजार में, साड़ी भारत में सबसे लोकप्रिय पोशाक है। लिवा फ्लूइड फैशन की एक हालिया रिपोर्ट के अनुसार, भारत में महिलाओं के वस्त्र बाजार की रिटेल वैल्यू लगभग 122,600 करोड़ रुपये ($19.2 बिलियन) होने का अनुमान है, जिसमें अकेले साड़ियों का योगदान लगभग 33 प्रतिशत है। विभिन्न सेगमेंट्स से बढ़ती मांग के कारण, सिर्फ साड़ी वाला सेगमेंट 2018 से 2023 के बीच 5-6 प्रतिशत की सीएजीआर से बढ़ा है।


हालांकि, भारतीय साड़ी बाजार में ग्रामीण बाजार का दबदबा है, जो साड़ी की कुल खपत का लगभग 60 प्रतिशत है। इस सेगमेंट में खपत होने वाली साड़ियों की कीमत कम रहती है, ऐसे में इस सेगमेंट से राजस्व योगदान बहुत कम रहने की उम्मीद है।


बीटिट्यूड ने शहरी साड़ी बाजार के 40 प्रतिशत खंड में खुद को काफी प्रमुखता से स्थापित किया है।


आकांक्षा कहती हैं, “बीटिट्यूड के पास वर्तमान में हस्तशिल्प साड़ियों का 3.2 प्रतिशत से अधिक मार्केट शेयर है, जिसमें अभी काफी अवसर तलाशने बाकी हैं। इसने अद्वितीय डिजाइन और आधुनिक स्टाइलिंग पैटर्न पेश करके एक डिमांड-आधारित मॉडल को रणनीतिक रूप से अपनाया है जो आधुनिक शहरी महिलाओं को आकर्षित करता है। बाजार पर आक्रामक रूप से कब्जा करने के लिए, ब्रांड बढ़ती मांग को और भी अधिक तेज करने के लिए फैब्रिक डिजाइनिंग की अपनी ताकत पर भरोसा कर रहा है।”


बीटिट्यूड फैबइंडिया और जयपोर को अपने प्रमुख प्रतिस्पर्धियों में गिनती है। स्टार्टअप की प्रति माह ऑर्डर की औसत संख्या 3,390 है, जिससे यह सालाना 40,680 ऑर्डर हो जाता है।


पुष्कर कहते हैं, “हमारे पास 900 से अधिक SKU हैं और उनमें से अधिकांश अद्वितीय डिजाइन हैं। 70 प्रतिशत से अधिक उत्पादों को इन-हाउस फैशन और टेक्सटाइल डिजाइनरों द्वारा डिजाइन किया गया है जो अद्वितीय अवधारणाओं को नया रहते हैं। आकांक्षा और मैं अपना लगभग 20 प्रतिशत समय डिजाइनिंग टीम के साथ बिताते हैं।”


स्टार्टअप की योजना विभिन्न कार्यक्षेत्रों में राजस्व को तेजी से बढ़ाने की योजना बना रही है। ऐसे में यह निकट भविष्य में फंडिंग जुटाने की योजना बना रही है।


पुष्कर ने बताया, “विभिन्न फंडिंग संस्थानों ने हाल ही में विशेष रूप से कोरोना महामारी के बाद अवसरों की तलाश में हमसे संपर्क किया। हालांकि, हम केवल एक ऐसे संस्थान के साथ सहयोग करने की आशा करते हैं, जिसे मजबूत वित्तीय और सामाजिक विश्वसनीयता का अच्छा संतुलन मिला हो। छह साल पहले स्थापना के समय, हमने अपनी बचत से लगभग 27 लाख रुपये का निवेश किया था।”


हाल ही में, बीटिट्यूड ने 'उत्सव' कलेक्शन लॉन्च किया, जिसमें हाथ से बुने हुए कोसा रेशमी कपड़े पर 15 से अधिक कॉपीराइट डिजाइन हैं।


उन्होंने बताया, "बीटीट्यूड के हालिया प्रोडक्ट लॉन्च और वर्टिकल विकास के साथ, हम और अधिक अंतरराष्ट्रीय विस्तार के लक्ष्य पर काम कर रहे हैं। कई री-सेलर्स और स्टोर्स ने हाल के दिनों में हमसे संपर्क किया है, लेकिन इस अवसर की खोज करने से पहले, हम चाहते हैं कि सप्लाई चेन, कानूनी पहलू, तकनीकी सुधार और सभी प्रक्रियाओं को सुव्यस्थित किया जाए।"

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Edited by Ranjana Tripathi