केरल की ये रिटायर्ड प्रोफेसर 200 से अधिक बेघरों के लिए बना चुकी हैं घर, राष्ट्रपति के हाथों मिल चुका है सम्मान
60 वर्षीय एमएस सुनील ज़ूलॉजी प्रोफेसर रह चुकी हैं। केरल के पथनमथिट्टा की रहने वाली एमएस सुनील गरीबों के उत्थान को लेकर अपने लगातार काम के जरिये अब क्षेत्र में गरीब तबके लिए एक आशा की किरण बन चुकी हैं।
"60 वर्षीय एमएस सुनील ज़ूलॉजी प्रोफेसर रह चुकी हैं। केरल के पथनमथिट्टा की रहने वाली एमएस सुनील गरीबों के उत्थान को लेकर अपने लगातार काम के जरिये अब क्षेत्र में गरीब तबके लिए एक आशा की किरण बन चुकी हैं।"
अपना घर या कहें कि सुरक्षित आसरा होना सभी के लिए एक मूलभूत जरूरत है, लेकिन कई बार यह सभी के लिए उपलब्ध नहीं हो पाता है और ऐसी दशा में लोग आसरे की तलाश में दर-दर भटकने पर मजबूर हो जाते हैं। इस समस्या को हल करने के उद्देश्य से केरल की एक रिटायर्ड प्रोफेसर बीते एक दशक से भी अधिक समय से जरूरतमंद लोगों के लिए घरों का निर्माण करने का काम कर रही हैं।
60 वर्षीय एमएस सुनील ज़ूलॉजी प्रोफेसर रह चुकी हैं। केरल के पथनमथिट्टा की रहने वाली एमएस सुनील गरीबों के उत्थान को लेकर अपने लगातार काम के जरिये अब क्षेत्र में गरीब तबके लिए एक आशा की किरण बन चुकी हैं।
कैसे हुई शुरुआत?
एमएस सुनील जिस विश्वविद्यालय में पढ़ाती थीं वहाँ उनका एक छात्र तब तंगहाली के चलते एक जर्जर घर में रह रहा था, जो उस छात्र के लिए काफी खतरनाक भी साबित हो सकता था। इसी दौरान एमएस सुनील ने एक पहल के जरिये करीब 60 हज़ार रुपये इकट्ठे करते हुए अपने उस छात्र के लिए घर के निर्माण का सराहनीय काम किया। बस यहीं से एमएस सुनील के मन में इस पहल को और बड़े स्तर पर आगे ले जाने का विचार आया।
करीब बीते 15 सालों में एमएस सुनील ने राज्य के पाँच जिलों में अब तक 200 से अधिक घरों के निर्माण में मदद की है, जिन्हे बाद में गरीब तबके के जरूरतमन्द लोगों को सौंप दिया गया है। एमएस सुनील के अनुसार इन घरों के निर्माण के लिए तमाम धनी लोग अपनी इच्छानुसार दान देते रहते हैं जिसके चलते इन जरूरतमंद लोगों के लिए घरों का निर्माण लगातार जारी रहता है।
कोरोना महामारी में भी आगे
देश में जब कोरोना महामारी ने अपने पैर पसारे और गरीब तबका इससे बुरी तरह प्रभावित होने लगा, ऐसे में एमएस सुनील ने इस दौरान ऐसे 42 परिवारों के लिए आसरे की व्यवस्था करने का काम किया है। इससे पहले साल 2018 में आई विनाशकरी बाढ़ के बाद एमएस सुनील ने अधिक प्रभावित हुए परिवारों की मदद करते हुए 24 घरों का निर्माण किया था।
एमएस सुनील के अनुसार वह खुद यह देखती हैं कि जिस व्यक्ति के लिए वह घर का निर्माण करने जा रही हैं उसकी परिस्थिति कैसी है। इन घरों के निर्माण के लिए आमतौर पर वह व्यक्ति ही जमीन उपलब्ध करा देता है, जबकि कुछ मामलों में जरूरी पर्मिशन के बाद ग्राम समाज की जमीन के छोटे से हिस्से का भी इस्तेमाल इसके लिए किया जाता है।
राष्ट्रपति कर चुके हैं सम्मानित
एमएस सुनील आज शिक्षा को लेकर भी तमाम प्रयास कर रही हैं। एमएस सुनील हर शैक्षिक सत्र में सरकारी स्कूलों में पढ़ रहे 1 हज़ार से अधिक बच्चों को शिक्षण सामग्री मुफ्त में उपलब्ध कराने का काम करती हैं। इतना ही नहीं, एमएस सुनील छात्रों को लैपटॉप व पढ़ाई के लिए जरूरी अन्य इलेक्ट्रॉनिक उपकरण भी दान करती रहती हैं।
उनका सपना है कि वह आने वाले समय के साथ जरूरतमन्द लोगों के लिए अधिक से अधिक घरों का निर्माण कर सकें, ताकि परिस्थितियाँ चाहें जैसी भी हों लेकिन हर किसी के सिर पर आसरा हो सके।
आज लोग एमएस सुनील को गरीबों के लिए काम करने वाले मसीहा की तरह पहचानते हैं। अपने इन सराहनीय प्रयासों के लिए उन्हे राष्ट्रपति रामनाथ कोविन्द के हाथों नारी शक्ति पुरस्कार सम्मान से भी नवाजा जा चुका है।
Edited by Ranjana Tripathi