विदेश में रह रहे भारतीयों को देश में सस्ता इलाज दिलाने में मदद करता है यह स्टार्टअप
विकासशील देशों में आज भी लोग अपने परिवारवालों या दोस्तों आदि की सलाह पर ही डॉक्टरों के पास परामर्श या इलाज के लिए जाते हैं। डॉक्टरों की रेटिंग मुहैया कराने वाले प्लैटफ़ॉर्म्स आज भी इन जगहों पर कुछ ख़ास कारगर नहीं हैं। इस स्थिति के चलते ही इस क्षेत्र में ई एक्सपडीज़ जैसे हेल्थटेक स्टार्टअप्स लगातार सामने आ रहे हैं, जो मरीज़ के उपचार के पूरे समय के दौरान सभी तरह के हेल्थकेयर सल्यूशन्स मुहैया कराने की जिम्मेदारी लेते हैं।
ई एक्सपडीज़ के को-फ़ाउंडर अमित शर्मा मानते हैं कि हेल्थ और वेलनेस इंडस्ट्री में डॉक्टरों, इंश्योरेन्स एजेंट्स और मेडिकल फ़ैसिलिटेटर्स का वर्चस्व है और इस वजह से मरीज़ को अपने बजट के मुताबिक़ ट्रीटमेंट प्लान चुनने या अलग-अलग प्लान्स के बीच तुलना करने की सहूलियत नहीं मिल पाती।
वह कहते हैं,
"मरीज़ों के पास सीमित विकल्प रह जाते हैं और कई बार उन्हें ज़्यादा क़ीमत चुकाने के बाद भी उपयुक्त उपचार नहीं मिल पाता।"
इस कमी को दूर करने के उद्देश्य के साथ ही, अमित ने जुलाई, 2017 में ई एक्सपडीज़ की शुरुआत की थी, जो तकनीक की मदद से आपके पूरे ट्रीटमेंट साइकल को मैनेज करता है और साथ ही, आपके बजट के हिसाब से सही ट्रीटमेंट प्लान चुनने में आपकी मदद करता है। यह स्टार्टअप देश और विदेश, दोनों ही जगहों के मरीज़ों को अपनी सुविधाएं उपलब्ध कराता है।
कैसी रही शुरुआत
स्टार्टअप के दोनों फ़ाउंडर्स अमित शर्मा (37) और कपिल चड्ढा (44) को इंश्योरेन्स और हेल्थकेयर सेक्टरों में काम करने का अच्छा अनुभव है। उन्हें घरेलू और अंतरराष्ट्रीय दोनों ही तरह के मरीज़ों के सामने पेश आने वालीं चुनौतियों की समझ है।
अमित कहते हैं,
"पिछले एक दशक में भारतीय हेल्थकेयर सेक्टर का काफ़ी विकास हुआ है। भारत के हेल्थकेयर सेक्टर में अब अत्याधुनिक मेडिकल उपकरणों और तकनीकों की बिल्कुल भी कमी नहीं हैं और साथ ही, हमारे देश में पर्याप्त संख्या में दुनिया के जाने-माने डॉक्टर्स हैं। इसके बावजूद भी मरीज़ों की सुविधाओं पर सबसे कम ध्यान दिया जाता है।"
अमित, मेडिकल टूरिज़म असोसिशन (एमटीए) और एक इंडस्ट्री सिक्स सिग्मा ब्लैक बेल्ट की ओर से प्रमाणित एक मेडिकल और वेलनेस टूरिज़म एक्सपर्ट हैं। हेल्थकेयर, इंश्योरेन्स और वेलनेस आदि को मिलाकर अमित विभिन्न क्षेत्रों में 17 सालों का लंबा अनुभव रखते हैं।
वहीं कपिल ने पुणे विश्वविद्यालय से पढ़ाई की है और वह आईटी सेक्टर में 20 सालों का अनुभव रखते हैं। वह सहारा इंश्योरेन्स और रिलायंस इंश्योरेन्स की फ़ाउंडिंग टीमों का भी हिस्सा रह चुके हैं।
उपलब्ध होती हैं सभी ज़रूरी सुविधाएं!
इस स्टार्टअप ने मुख्य रूप से विदेश में रहने वाले भारतीयों को केंद्र में रखते हुए एक विशेष कार्यक्रम की शुरुआत की, जिसका नाम है, 'होम कंट्री ट्रीटमेंट'। अमित बताते हैं कि देश की मेडिकल टूरिज़म इंडस्ट्री का ध्यान इस बात पर अधिक है कि विदेशी उपभोक्ताओं को भारत की ओर आकर्षित किया जाए, जबकि मूलरूप से हमारे देश के नागरिक, जो विदेशों में बसे हुए हैं और मेडिकल केयर चाहते हैं, उनकी ओर कोई ख़ास ध्यान नहीं दिया जा रहा। इस बात को ध्यान में रखते हुए ई एक्सपडीज़ ने अंतरराष्ट्रीय इंश्योरेन्स कंपनियों के साथ करार किया और उन भारतीय नागरिकों की पूरी पेशेन्ट लाइफ़साइकल का प्रबंधन शुरू किया, जो उपचार के लिए अपने देश आ रहे हों।
इस कार्यक्रम के अंतर्गत ऐसे मरीज़ों को टिकट बुक करने, यात्रा से संबंधित ज़रूरतों को पूरा करने और इंश्योरेन्स पैकेज को सही तरह से भुनाने में मदद करने की सुविधाओं का भी इंतज़ाम किया गया।
अमित ने जानकारी दी कि उनका स्टार्टअप, डॉक्टरों के साथ टेलिफोनिक और विडियो कॉन्फ़्रेंसिंग की व्यवस्था भी करता है ताकि मरीज़ को इलाज के संबंध में डॉक्टर से मिलने के लिए बार-बार भारत न आना पड़े। इसके अलावा, हर मरीज़ के साथ एक रिलेशनशिप मैनेजर नियुक्त किया जाता है।
यह स्टार्टअप, मरीज़ों के रहने, यात्रा करने और साथ ही, दस्तावेज़ संबंधी सभी ज़रूरतों को पूरा करता है। यहां तक कि मेडिकल वीज़ा बनवाने में भी स्टार्टअप अपने क्लाइंट्स की मदद करता है। इतना ही नहीं, स्टार्टअप मरीज़ और हेल्थकेयर प्रोवाइडर के बीच में एक तरह के गेटकीपर की भूमिका भी निभाता है और उपचार के दौरान सभी टेस्ट्स और बिल्स की जांच करता है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि मरीज़ को इंश्योरेन्स कवर के बाहर पैसे का भुगतान न करना पड़े।
इन सुविधाओं के लिए इंश्योरेन्स कंपनियों से इंश्योर्ड मरीज़ों के लिए सर्विस फ़ीस और मेडिकल ट्रैवलर्स के लिए अस्पतालों से ऐडमिनिस्ट्रेशन और मार्केटिंग फ़ीस चार्ज की जाती है।
यह स्टार्टअप अभी तक 2 हज़ार से भी ज़्यादा मरीज़ों तक अपनी सुविधाएं पहुंचा चुका है, जिनमें से ज़्यादातर मध्य पूर्व और उत्तरी अमेरिका में रहने वाले भारतीय मूल के नागरिक हैं। क्लाइंट्स के पास सर्विस प्रोवाइडर चुनने के लिए 3,500 से ज़्यादा विकल्प होते हैं। स्टार्टअप 11 देशों में ऑपरेट करता है और इंश्योरेन्स-थर्ड पार्टी एश्योरेन्स कंपनियों के साथ मिलकर काम करता है। स्टार्टअप का दावा है कि हाल में उनका सालाना रेवेन्यू 10 करोड़ रुपए तक है।
भविष्य की योजनाओं के बारे में बात करते हुए अमित बताते हैं कि स्टार्टअप का लक्ष्य है कि 2020 तक 50 देशों में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई जा सके और साथ ही, बड़ी अंतरराष्ट्रीय कंपनियों और सरकारी एजेंसियों के साथ मिलकर काम को आगे बढ़ाया जा सके।