बेसहारा और विकलांग कुत्तों का सहारा बनीं ये महिला, शुरू की बेहद सराहनीय पहल
बेसहारा और विकलांग कुत्तों की देखभाल करने और उन्हें एक घर मुहैया कराने के उद्देश्य से दिव्या पार्थसारथी ने Tails of Compassion ट्रस्ट की शुरुआत की थी। कुत्तों के प्रति दिव्या का लगाव बचपन से ही था और आगे चलकर उन्होने कुत्तों के प्रति अपने इसी प्रेम को लेकर इस एनजीओ की स्थापना की, जो आज बड़े पैमाने पर ऐसे कुत्तों की देखरेख कर रहा है।
दिव्या के अनुसार भारत में देसी कुत्तों को गोद लेने की परंपरा कम ही रही है और ऐसे में विकलांग कुत्तों के लिए बेहद कम संख्या में लोग आगे आते थे, हालांकि अब बढ़ती जागरूकता के साथ इन कुत्तों के लिए भी लोग मदद के लिए अपने हाथ आगे बढ़ा रहे हैं।
विकलांग कुत्तों को मिला आश्रय स्थल
इस खास एनजीओ की नीव साल 2017 में रखी गई थी। उस समय दिव्या ने यह महसूस किया कि तब पशु कल्याण के लिए समर्पित कई संगठन पहले से मौजूद थे, लेकिन फिर भी इन जानवरों विशिष्ट आवश्यकताओं को ध्यान में रखकर तैयार किए गए आश्रय स्थलों की कमी थी।
दिव्या ने इसे लेकर रिसर्च की और वह तरीका खोज निकाला जिससे इन जानवरों का बेहतर ढंग से ध्यान रखा जा सकता था। इस तरह उन्होने Tails of Compassion के जरिये बूढ़े और विकलांग कुत्तों के लिए एक आश्रय स्थल का निर्माण करना शुरू किया।
मानवीय क्रूरता का शिकार हुए कुत्ते
मीडिया से बातचीत में दिव्या ने बताया कि ‘जिस तरह हम दुर्घटना का शिकार होकर दिव्यांग हुए व्यक्ति से प्यार करना बंद नहीं करते हैं, उसी तरह हम इन जानवरों से भी प्यार करना बंद नहीं कर सकते हैं।‘
गौरतलब है कि जब दिव्या अपने इस एनजीओ को लेकर रिसर्च कर रही थीं तब वे कुछ ऐसे चिकित्सकों से भी मिलीं जो इस तरह के विकलांग जानवरों को इच्छामृत्यु (दर्द को खत्म करने के उद्देश्य से उनके जीवन को खत्म करने) का सुझाव भी दे रहे थे, लेकिन दिव्या को यह सब नामंज़ूर था।
इन सालों में अपने मिशन की ओर बढ़ते हुए इस एनजीओ ने ऐसे कई जरूरतमंद जानवरों के लिए घर उपलब्ध कराया है।
आज दिव्यांग कुत्तों के साथ ही Tails of Compassion बकरियों और बछड़ों के लिए भी आसरे का केंद्र बन चुका है।
दिव्या के अनुसार इन जानवरों में से कुछ तो बस कुछ ही महीनों के हैं, जो किसी दुर्घटना के चलते विकलांग हो गए हैं।
दिव्या के अनुसार ज्यादातर लकवाग्रस्त कुत्ते लापरवाही से गाड़ी चलाये जाने के शिकार हैं, इसी के साथ उनके पास तमाम जानवर ऐसे भी हैं जो मानवीय क्रूरता के चलते इस स्थिति को पहुंचे हैं।
मदद की अपील
आज ऐसे कुत्तों की देखभाल के लिए दिव्या पूरी तरह से समर्पित हैं। वे चौबीसों घंटे उनकी निगरानी भी करती हैं। दिव्या के लिए यह रास्ता कतई आसान नहीं है क्योंकि विकलांग कुत्तों की देखभाल करना असल में एक बहुत बड़ा निवेश है, जहां उन्हें शारीरिक, भावनात्मक और आर्थिक रूप से उन जानवरों के लिए समर्पित होना पड़ता है।
एनजीओ लगातार अपनी सुविधा का विस्तार कर रहा है ताकि अधिक से अधिक विकलांग जानवरों को साथ लाया जा सके। इसी के साथ एनजीओ उनके इलाज की भी पूरी व्यवस्था करता है। दिव्या कॉर्पोरेट और अन्य लोगों से भी आगे आकर इन जानवरों की भलाई के लिए दान करने की गुजारिश करती हैं।
Edited by Ranjana Tripathi