वे तीन महिलाएं जो नोबेल पुरस्कार के काबिल थीं लेकिन लैंगिक भेदभाव के कारण नहीं जीत सकीं!
आज हर किसी को 'बिग बैंग' और ब्रह्मांड की उत्पत्ति के बारे में पता है। स्टीफन हॉकिंग ने अपनी कुछ किताबों में ब्रह्मांड की शुरुआत और 'समय' के इतिहास के बारे में विस्तार से जानकारी दी है। इनमें सबसे प्रसिद्ध किताब 'ए ब्रीफ हिस्ट्री ऑफ टाइम' है। विज्ञान के बारे में दिलचस्पी रखने लगभग सभी को पता है कि कि ब्रह्मांड की आयु तकरीबन 13.7 अरब वर्ष है। वे 'बैकग्राउंड रेडिएशन' के बारे में भी जानते हैं जो बिग बैंग का एक अवशेष है। लेकिन ये सारी चीजें एडविन हबल की वजह से पता लगीं जिन्होंने अपने ऑब्जर्वेशन से निष्कर्ष निकाला कि ब्रह्मांड का विस्तार हो रहा है और आकाशगंगाएं एक दूसरे से दूर जा रही हैं।
एक आकाशगंगा जितनी अधिक दूर थी उतनी ही तेजी से घट रही थी। इससे स्पष्ट निष्कर्ष निकला कि किसी समय वे सभी एक साथ थे और बिग बैंग के रूप में एक बिंदु से विकसित हुए थे। हबल यह निष्कर्ष निकाल सकीं क्योंकि वह अद्भुत महिला थीं। वहीं हेनरीटा लेविट ने दूर आकाशगंगाओं की दूरी की गणना करने का तरीका निकाला। हेविट सुन नहीं सकती थीं। उन्होंने कड़ी मेहनत करके कई वेधशालाओं से चुनिंदा कैटेगरी के तारों के हजारों फोटोग्राफिक प्लेटों का विश्लेषण किया जिन्हें 'सेफहाइड वेरिएबल्स' कहा जाता है। लेविट ने इन विश्लेषण से कुछ ऐसे पैटर्न खोजे जिनसे आकाशगंगाओं की दूरियों की सटीक गणना की जा सकती है।
हबल ने कहा था कि वह अपने काम के लिए नोबेल पुरस्कार की हकदार थीं। लेकिन उन्हें अपने जीवनकाल में वह पुरस्कार कभी नहीं मिला। स्वीडिश एकेडमी ऑफ साइंसेज ने उन्हें 1924 में नोबेल पुरस्कार के लिए नामित करने की कोशिश की थी लेकिन उसे पता चला कि हबल का तीन साल पहले ही कैंसर से देहांत हो गया है। उनकी सहेली ने उनके शोक संदेश में लिखा था, 'हबल खुश थीं। वह उन चीजों की तारीफ करती थीं जो उसके लायक होती थी। वह चमक से भरपूर थीं। उनके लिए पूरी जिंदगी खूबसूरत और अर्थ से भरी थी।'
सेसिलिया पायने एक अन्य महिला भौतिक विज्ञानी थीं, जिन्होंने 1925 में अपने डॉक्टरेट की थीसिस में बताया था कि सूर्य काफी हद तक हाइड्रोजन और हीलियम से बना है। हालांकि, जब पायने के शोध की समीक्षा की गई तो खगोलविद हेनरी नॉरिस रसेल ने उन्हें यह निष्कर्ष निकालने से रोक दिया कि सूर्य की संरचना मुख्य रूप से हाइड्रोजन थी क्योंकि यह मौजूदा वैज्ञानिक सर्वसम्मति के विपरीत होगा कि सूर्य और पृथ्वी की मौलिक संरचना समान थी। रसेल अमेरिकी भौतिक विज्ञानी हेनरी रॉलैंड के सिद्धांतों के समर्थन में थे।
पायने को यह मानने के लिए मजबूर किया गया कि उनका निष्कर्ष गलत है। रसेल को बाद में अलग-अलग तरीकों से एक ही निष्कर्ष मिला और तब उन्हें अहसास हुआ कि पायने सही थीं। उन्होंने 1929 में एक पेपर में अपने निष्कर्ष प्रकाशित किए जिसमें पायने के पहले के काम और खोज को स्वीकार किया गया था। फिर भी अक्सर पायने के निष्कर्षों का श्रेय रसेल को ही दिया जाता है।
सेसिलिया एक अंग्रेज महिला थीं। उन्होंने अपनी पढ़ाई पूरी कर ली थी लेकिन उनके जेंडर की वजह से उन्हें डिग्री नहीं दी गई। कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी 1948 तक महिलाओं को डिग्री नहीं देती थी! उन्हें महसूस हुआ कि ब्रिटेन में उनके लिए करियर एकमात्र ऑप्शन टीचर बनना है तो वह अमेरिका में चली गईं। उन्होंने पुरुष-प्रधान वैज्ञानिक समुदाय में अपनी काबिलियत का जो दीप जलाया वह कई लोगों के लिए प्रेरणास्त्रोत बन गया। मिसाल के लिए, वह एस्ट्रोफिजिसिस्ट (खगोल भौतिज्ञ) जोन फेनमैन के लिए एक रोल मॉडल बन गईं।
पायने ने शोध के लिए अपने आजीवन जुनून की बात करते हुए कहा था,
'एक युवा वैज्ञानिक का सबसे बड़ा पुरस्कार दुनिया के इतिहास में कुछ नया देखने या समझने वाला पहला शख्स होने का भावनात्मक रोमांच है। ऐसी कोई चीज नहीं है जिसके साथ इस रोमांच की तुलना की जा सकती है।'
तीन महिलाओं में आखिरी वेरा रुबिन थीं। वह 'डार्क मैटर' के आइडिया को स्वयं सिद्ध करने वाली पहली महिला थीं। अब डार्क मैटर लोकप्रिय विज्ञान के दायरे में है लेकिन साइंटिस्ट अभी भी इस बात पर एकमत नहीं हैं कि वास्तव में डार्क मैटर और डार्क एनर्जी क्या हैं। वेरा ने गैलेक्टिक रोटेशन पर अपने अध्ययन में पाया कि वे आकाशगंगाओं में तारों के बीच गुरुत्वाकर्षण खिंचाव के माध्यम से संतुलित होने की तुलना में बहुत तेज गति से घूमते हैं। उन्होंने फिर डार्क मैटर के अस्तित्व को स्वयं सिद्ध किया।
यह जानकारी और उनके द्वारा खोजा गया डेटा बेहद विवादास्पद था। वह अपने खोज को प्रस्तुत करने के लिए लड़ीं और उनके पिता ने बोस्टन में एक ठंडी और बर्फीली सर्दियों की शाम में गर्भवती वेरा को अमेरिकन एस्ट्रोनॉमिकल सोसाइटी में भेज दिया। उनकी खोज को संक्षेप में खारिज करके उनके पेपर को भुला दिया गया। उस वक्त ऑडियंस में एक भी महिला नहीं थी। उन्होंने अपनी ग्रेजुएट स्टडी के दौरान हतोत्साहित करने वाले सेक्सिज्म का दंश झेला था।
एक बार तो उन्हें वेरा को अपने एडवाइजर के ऑफिस में जाकर उनसे मिलने की अनुमति नहीं मिली थी क्योंकि महिलाओं को यूनिवर्सिटी के उस क्षेत्र में इजाजत नहीं थी।
निष्कर्ष
साइंस और टेक्नोलॉजी (एसटीईएम) मुख्य रूप से पुरुषों के दबदबे वाले क्षेत्र रहे हैं। अब चीजें बदल रही हैं लेकिन यह अभी सामाजिक पूर्वाग्रह तोड़ने के लिए पर्याप्त नहीं है। हालांकि अगर हम सभी योगदान देते हैं तो यह जल्द ही खत्म हो जाएगा और महिलाओं को भी हर क्षेत्र में पुरुषों के बराबर अवसर मिलेंगे।