115 कर्मचारियों को नौकरी से निकालने लगा TISS, रतन टाटा ने दी फंडिंग; बचाई कर्मचारियों की नौकरी
देश के सबसे बड़े औद्योगिक घराने टाटा ग्रुप के चेयरमैन एमिरेटस रतन टाटा ने Tata Institute of Social Sciences (TISS) के 115 कर्मचारियों की नौकरी बचाई है. टाटा एजुकेशन ट्रस्ट ने TISS को फंडिंग दी, जिसके बाद TISS ने कर्मचारियों की बर्खास्तगी वापस ली.
टाटा ग्रुप (Tata Group) के Tata Institute of Social Sciences (TISS) ने 115 शिक्षण और गैर-शिक्षण कर्मचारियों को नौकरी से निकालने का अपना नोटिस वापस ले लिया है. Tata Education Trust (TET) के अध्यक्ष रतन टाटा (Ratan Tata) ने इस मुद्दे के समाधान के लिए आवश्यक संसाधन उपलब्ध कराने का आश्वासन दिया है.
TISS ने कहा कि उसने 55 शिक्षण और 60 गैर-शिक्षण कर्मचारियों को कॉन्ट्रैक्ट रिन्यू न करने के संबंध में दिए गए नोटिस वापस ले लिए हैं तथा उन्हें अपना काम जारी रखने को कहा है.
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, TISS ने एक बयान में कहा, "टाटा एजुकेशन ट्रस्ट के साथ चल रही चर्चाओं ने आश्वासन दिया है कि इस मुद्दे को हल करने के लिए TISS को संसाधन उपलब्ध कराए जाएंगे. टीईटी ने टीईटी परियोजना/कार्यक्रम संकाय और गैर-शिक्षण कर्मचारियों के वेतन के लिए फंड्स जारी करने के लिए प्रतिबद्धता जताई है."
सर्कुलर में कहा गया है, "सभी संबंधित टीईटी कार्यक्रम संकाय और गैर-शिक्षण कर्मचारियों को संबोधित पत्र संख्या प्रशासन/5(1) टीईटी-संकाय और कर्मचारी/2024, दिनांक 28 जून 2024 को तत्काल प्रभाव से वापस लिया जाता है."
सर्कुलर में आगे कहा गया है कि कर्मचारियों से अनुरोध है कि वे अपना काम जारी रखें तथा संस्थान को टीईटी सहायता अनुदान प्राप्त होने के बाद उनका वेतन दे दिया जाएगा.
28 जून को, TISS ने मुंबई, तुलजापुर, हैदराबाद और गुवाहाटी में अपने परिसरों में लगभग 100 कर्मचारियों को टर्मिनेशन लेटर जारी किए थे, जिसमें कहा गया था कि कॉन्ट्रैक्ट रिन्यू नहीं किया जाएगा और उनकी सेवाएं 30 जून, 2024 को समाप्त हो जाएंगी.
लेकिन रतन टाटा की अगुवाई वाले टाटा एजुकेशन ट्रस्ट (TET) ने इंस्टीट्यूट को ग्रांट बढ़ाने का भरोसा दिया है. इसके बाद संस्थान ने कर्मचारियों का टर्मिनेशन वापस ले लिया है.
टाटा ग्रुप के टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल सांइसेज (TISS) की शुरुआत साल 1936 में की गई. सर दोराबजी टाटा ने इसका नाम टाटा ग्रेजुएट स्कूल ऑफ सोशल वर्क रखा था, लेकिन साल 1944 में इसका नाम बदलकर टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज रख दिया. इस संस्थान को तब बड़ी सफलता मिली जब साल 1964 में इसे डीम्ड यूनिवर्सिटी का दर्जा मिल गया.
इस प्रतिष्ठित संस्थान को 2023 में, केंद्र ने TISS को पूरी तरह से सार्वजनिक रूप से वित्तपोषित संस्थान में बदल दिया था.
यह विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) द्वारा पूर्णतः वित्तपोषित है तथा यूजीसी के दिशानिर्देशों के तहत TISS सोसाइटी द्वारा शासित है.