एक प्रधानमंत्री ऐसा भी, जिसने कार खरीदने के लिए बैंक से लोन लिया था
इंदिरा गांधी ने शास्त्री जी का कार लोन माफ करना चाहा, लेकिन उनकी मृत्यु के बाद पत्नी लोन चुकाती रहीं.
27 मई, 1964 को पंडित जवाहरलाल नेहरू का निधन हो गया. वे उस वक्त देश के प्रधानमन्त्री थे. मई में उनका निधन हुआ और उसके बाद 9 जून 1964 को लाल बहादुर शास्त्री ने भारत के प्रधानमंत्री का पद ग्रहण किया. उनकी छवि साफ-सुथरी और ईमानदार नेता की थी. उनके प्रधानमंत्री बनने के एक साल बाद ही 1965 में भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध छिड़ गया.
1962 में हम एक और जंग देख चुके थे, जिसमें चीन से भारत को करारी मात मिली थी. इस बार जीतने की बारी हमारी थी. पाकिस्तान को जंग में शिकस्त देने के बाद ताशकंद में पाकिस्तान के प्रधानमन्त्री अयूब खान के साथ ताशकंद में मुलाकात होनी थी. वहां दोनों देशों के बीच युद्ध समाप्त करने के समझौते पर हस्ताक्षर किए जाने थे. लेकिन इस समझौते के अगले ही दिन 11 जनवरी, 1966 की रात लाल बहादुर शास्त्री जी का निधन हो गया. यह निधन बेहद रहस्यमयी परिस्थितियों में हुआ था.
आज 11 जनवरी है. शास्त्री जी की पुण्यतिथि. उन्हें गुजरे 56 साल हो चुके हैं, लेकिन इस देश के इतिहास और हमारी स्मृतियों में वे आज भी अमर हैं.
यूं तो शास्त्री जी की ईमानदारी, कर्मठता और सादगी के बहुत सारे किस्से हैं. लेकिन कम ही लोग जानते हैं कि उनका अपना रहन-सहन इतना सादा था कि देश का प्रधानमंत्री बनने के बाद भी उनके पास न अपना खुद का घर था और न अपनी खुद की कार.
यूं नहीं कि इसके पहले भी सरकारी पद पर रहते हुए उन्हें तंख्वाह नहीं मिलती थी. लेकिन उनकी आय का एक बड़ा हिस्सा सामाजिक कार्यों पर ही खर्च हो जाता था. कभी कोई दरवाजे पर उम्मीद से आ जाए तो खाली हाथ नहीं जाता था. जरूरतमंदों के लिए उनके घर के दरवाजे हमेशा खुले हुए थे.
1964 में प्रधानमंत्री बनने के बाद उन्होंने एक कार खरीदने की सोची. ये डिमांड भी हालांकि उनके बच्चों की थी. उन्हें लगता था किउनके पिता देश के प्राइम मिनिस्टर हैं और उनके घर में खुद की एक कार भी नहीं है.
उन्होंने कार खरीदने की सोच तो ली लेकिन उनके पास इतने पैसे नहीं थे कि वे सीधे डाउन पेमेंट करके कार खरीद पाएं. उनके बैंक अकाउंट में उस वक्त सिर्फ 7 हजार रुपए थे और कार की कीमत थी 12,000 रुपए.
लेकिन वे कार खरीदने का मन बना चुके थे. सो उन्होंने पंजाब नेशनल बैंक में कार लोन के लिए अपनी एप्लीकेशन डाल दी. उन्हें 5,000 रुपए का लोन चाहिए था. उन्होंने उस वक्त भी उतना ही लोन लिया, जितना किसी और आम नागरिक को मिल सकता था. उनका उसूल साफ था. प्रधानमंत्री होने के नाते उनके कोई विशेषाधिकार नहीं हैं. उन्हें भी वही अधिकार हासिल हैं, जो किसी अन्य नागरिक को होंगे.
1965 में उन्होंने अपने जीवन की पहली कार खरीदी और उसके एक साल बाद ही 1966 में उनका आकस्मिक निधन हो गया. उनकी मृत्यु के बाद 24 जनवरी, 1966 को इंदिरा गांधी देश की प्रधानमंत्री बनीं. उन्होंने लाल बहादुर शास्त्री की पत्नी ललिता शास्त्री जी से उनका बैंक लोन माफ करवाने की पेशकश की, लेकिन ललिता जी ने साफ इनकार कर दिया.
ललिता ने अगले चार सालों तक नियमित रूप से उस कार के लोन की किश्तें भरती रहीं. लाल बहादुर शास्त्री की वह ऐतिहासिक कार आज भी दिल्ली के लाल बहादुर शास्त्री मेमोरियल में उनके ईमानदारी और नेकी की यादगार मिसाल की तरह रखी हुई है.
Edited by Manisha Pandey