शीर्ष उद्यमियों ने देश को पांच हजार अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने के तौर तरीकों पर की चर्चा
देश को पांच हजार अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने के लिये शनिवार को उद्योग जगत के प्रतिनिधियों ने नीतिगत स्थिरता से लेकर स्थानीय वस्तुओं के निर्यात पर जोर देने जैसे मुद्दों पर चर्चा की और सुझाव दिये।
उद्योग संगठन 'फिक्की' द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में ‘भारत: पांच हजार अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था के लिये खाका’ पर आयोजित सत्र में सेल के चेयरमैन अनिल कुमार चौधरी, आईटीसी के चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक (एमडी) संजीव पुरी, कैडिला हेल्थकेयर के चेयरमैन पंकज आर. पटेल, भारती एंटरप्राइजेज के वाइस चेयरमैन राजन भारती मित्तल और जे के पेपर के वाइस चेयरमैन एवं एमडी हर्ष पति सिंघानिया ने इन विषयों पर चर्चा की।
उन्होंने देश को पांच हजार अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने के लिये भारतीय विनिर्माताओं को वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाने तथा वैश्विक मूल्य श्रृंखला का महत्वपूर्ण हिस्सा बनने की जरूरत पर जोर दिया।
सेल के चेयरमैन चौधरी ने कहा,
‘‘यदि हमें अगले पांच साल में पांच हजार अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनना है तो हमें वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनना होगा। भारत को इस्पात तथा अन्य विनिर्मित सामानों का निर्यात बढ़ाने की भी जरूरत है।’’
कैडिला हेल्थकेयर के चेयरमैन पटेल ने कहा कि किसी भी कारोबार की वृद्धि के लिये नीतिगत स्थिरता आवश्यक है।
उन्होंने कहा,
‘‘बिना नीतिगत स्थिरता के उद्योग जगत के लिये दीर्घकालिक योजनाएं बनाना असंभव है।’’
मित्तल ने सुझाव दिया कि सरकार को देश की डिजिटल रीढ़ को मजबूत बनाने पर ध्यान देना चाहिये।
सिंघानिया ने कहा कि देश के विनिर्माण क्षेत्र को सबसे पहले अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनने की जरूरत है।
पुरी ने कहा,
‘‘कृषि बड़े स्तर पर रोजगार मुहैया कराती है। उपज के बाद के प्रबंधन में रोजगार के बहुत सारे अवसर सृजित होते हैं। हमें मूल्यवर्धित कृषि उत्पादों की वैश्विक मूल्य श्रृंखला में शामिल होने की जरूरत है।’’
आपको बता दें कि इससे पहले बीते माह 21 नवंबर को भारतीय रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर सी रंगराजन ने अहमदाबाद में आईबीएस-आईसीएफएआई बिजनेस स्कूल की ओर से आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा था कि,
‘‘आज हमारी अर्थव्यवस्था 2,700 अरब डॉलर है और हम पांच साल में इसे दोगुना कर 5,000 अरब डॉलर करने की बात कर रहे हैं. इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए 9 फीसदी सलाना की दर से विकास की जरूरत है। ऐसे में 2025 तक 5,000 करोड़ रुपये की अर्थव्यवस्था बनने का सवाल ही नहीं है।’’
(Edited by रविकांत पारीक )