कोविड-19 मरीज के इलाज के लिये डॉक्टरों ने 'न छूने' और 'न संपर्क' में आने की नीति अपनायी
मरीज से बातचीत करने के बाद उसके लक्षण का आलकन कर डॉक्टर अब पर्दे के पीछे से ही वह उसे दवाईयां देते हैं ।
मुंबई, कोरोना वायरस मरीजों के इलाज के दौरान संक्रमित हुये महाराष्ट्र के एक डॉक्टर ने ठीक होने के बाद अपने क्लिनिक में मरीजों का इलाज दोबारा शुरू कर दिया है लेकिन उन्होंने इसके लिये मरीज को 'न छूने' एवं 'न सीधे संपर्क में आने’ की नीति अपनायी है ।
इटली से आने वाले एक कोविड—19 मरीज के संपर्क में आने के बाद मार्च में डॉ. अब्दुल खलीक भी संक्रमित हो गये थे । उन्होंने पीटीआई—भाषा को बताया कि वह कलीना स्थित अपने क्लिनिक में वापस आ गये हैं जहां वह 50 मरीजों को प्रतिदिन देखते हैं । मरीजों के साथ सामाजिक मेल जोल की दूरी को बनाये रखने के लिये वह पारदर्शी पर्दा अपने क्लिनिक में इस्तेमाल करते हैं ।
मरीज से बातचीत करने के बाद उसके लक्षण का आलकन कर पर्दे के पीछे से ही वह उसे दवाईयां देते हैं ।
अगर किसी मरीज को स्टेथोस्कोप से जांच करने की आवश्यकता होती है तो इसका इस्तेमाल केवल उसके पीठ पर किया जाता है और उसके बाद दवाईयां लिख देते हैं ।
खलीक के अनुसार उनका एक मरीज इटली से लौटा था और उसमें 24 मार्च को वायरस के संक्रमण की पुष्टि हुयी थी । बाद में अधिकारियों ने डॉक्टर एवं उनके सहायकों की जांच की थी जिसमें से उनका रिपोर्ट पॉजीटिव आया था ।
डॉक्टर का 14 दिनों तक अस्पताल में इलाज चला और उसके बाद उन्हें छुट्टी दे दी गयी थी।