टेक्नोलॉजी और हेल्थ स्टार्टअप से लोगों का इलाज हुआ आसान
भारत में आधुनिक टेक्नोलॉजी और स्टार्टअप हेल्थ सेक्टर में क्रांतिकारी बदलाव लाकर लाखों, करोड़ों लोगों की जिंदगी आसान कर रहे हैं। एक ऐसे ही रायपुर (छत्तीसगढ़) के 'मेडिक्लिक' स्टार्टअप (आशा दीदी) का वैल्युएशन कुछ ही महीनों में 15 करोड़ रुपए तक पहुंच चुका है।
इस समय हमारे देश में ऐप की मदद से 12 लाख से ज्यादा एचआइवी संक्रमित ट्रांसजेंडरों की निगरानी करते हुए उनका इलाज किया जा रहा है। स्मार्टफोन की रिलैक्सेशन तकनीक से माइग्रेन का इलाज हो रहा है तो आईआईटी के स्टूडेंट्स ने हाथ कांपने वाले मरीजों के लिए हैंड ग्लब्स डिवाइस बनाई है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की मदद से आत्महत्याएं रोकने की कोशिश की जा रही है। उल्लेखनीय है कि हमारे देश में हेल्थकेयर हमेशा से एक बड़ी चुनौती रहा है। एक अरब से अधिक लोगों को नवीनतम तकनीक और सुविधाओं की कमी को पूरा करने के लिए और लोगों के पास अच्छी स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए निजी संगठनों की सहभागिता के अलावा और कोई अन्य विकल्प नहीं है।
भारत में मध्यम वर्ग के तेजी से बढ़ने और इंटरनेट और मोबाइल ब्रॉडबैंड के बढ़ते उपयोग के साथ, गुणवत्ता और सस्ती स्वास्थ्य सेवाओं की सर्वाधिक मांग है। इस बीच पिछले कुछ वर्षों में देश में कई हेल्थकेयर स्टार्टअप्स ने जन्म लिया है। एक ओर स्वास्थ्य सेवा बाजार तेजी से 100 बिलियन से बढ़कर बढ़कर 280 बिलियन तक पहुंच चुका है, वही हेल्थकेयर और हेल्थ टेक कंपनियों और स्टार्टअप्स के लिए एक बड़ा अवसर पैदा हुआ है। भारत में इसी तरह के 15 सर्वश्रेष्ठ हेल्थ स्टार्टअप्स में ए मअर्जेंसी, लाइव हेल्थ, प्रेक्टो, निरमाई, क्योर फिट, लाइब्रेट, एडवांसेल्स, एड्रेस हेल्थ, काल हेल्थ, पॉर्टिआ, कंस्योर मेडिकल, डॉकटाक, ग्रो फिट, आइजेनेटिक, न्यूरो सिनेप्टिक की गणना हो रही है।
तीन साल पहले रायपुर (छत्तीसगढ़) के विक्रम आदित्य और प्रशांत अग्रवाल ने 'मेडिक्लिक' स्टार्टअप शुरू किया था। उसी के तहत उन्होंने चार माह पहले 'आशा दीदी' ऐप लांच किया, जिसकी रेंज में हर बीमारी का इलाज संभव हो रहा है। आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (एआई) की मदद से ये ऐप तैयार किया गया है। इस ऐप से देशभर के 15 हजार हॉस्पिटल जुड़े हैं। एक क्लिक पर उन हजारों अस्पतालों के किसी भी डॉक्टर का अपॉइंटमेंट लिया जा सकता है। तीन साल में इस स्टार्टअप कंपनी का वैल्यूएशन 15 करोड़ रुपए तक पहुंच चुका है। इस ऐप में हेल्थ से संबंधित 35 लाख पेज का कंटेंट है, जिसे एमबीबीए डॉक्टर्स और हेल्थ एक्सपर्ट्स की 40 मेंबर्स की टीम ने डेढ़ साल की मेहनत से लिखा है।
ये देश का इकलौता ऐसा ऐप है, जिसमें लगभग सभी तरह की बीमारियों और उनके इलाज से संबंधित जानकारी हिंदी में उपलब्ध है। कोई भी व्यक्ति गूगल असिस्टेंट की तरह बोलकर इस ऐप से हेल्थ संबंधी कोई भी जानकारी प्राप्त कर सकता है। इस ऐप की मदद से इलाज कराने पर चेकअप, लैब टेस्ट, दवाओं और सर्जरी तक पर 10 से 60 प्रतिशत तक का डिस्काउंट मिलता है। इस ऐप को अब तक 30 हजार लोग डाउनलोड कर चुके हैं। आईएचओ हैदराबाद ने 'आशा दीदी' ऐप को देश के टॉप 10 हेल्थ स्टार्टअप में जगह दी है।
संयुक्त राष्ट्र की संस्था यूएनएड्स के मुताबिक, एचआइवी संक्रमित लोगों की विश्व की तीसरी सबसे बड़ी आबादी भारत में है। देश में 20 लाख ट्रांसजेंडर हैं। इस समुदाय में एचआइवी संक्रमण का प्रसार 3.1 प्रतिशत है। एक तो ट्रांसजेंडर होने, साथ ही एचआइवी पॉजिटिव होने से ट्रांसजेंडर लोगों को उनके परिवार वाले घर से बाहर निकाल देते हैं। अब हेल्थ ऐप की मदद से स्वास्थ्यकर्मी एचआइवी पॉजिटिव ट्रांसजेंडर को ढूंढ कर उनकी सेहत की निगरानी कर रहे हैं, उनका एड्स वायरस दबाने के लिए उन्हें डॉक्टरों और एंटीरेट्रोवायरल थेरेपी (एआरटी) के संपर्क में ला रहे हैं।
एम्पावर ऐप को आईबीएम ने इंडिया एचआइवी/एड्स अलायन्स और ग्लोबल फण्ड टू फाइट एड्स, ट्यूबरक्लोसिस एंड मलेरिया के साथ भागीदारी में विकसित किया है। इस ऐप ने जनवरी 2018 और मार्च 2019 के बीच 12 लाख से भी ज्यादा लोगों की निगरानी की है। हाथों में मोबाइल टेबलेट लिए एचआइवी पॉजिटिव ट्रांसजेंडर आउटरीच कर्मी अपने समुदाय में एचआइवी के साथ जी रहे अन्य लोगों पर भी नजर रखती हैं।
न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटी के असिस्टेंट प्रोफेसर मिया मिनन के मुताबिक, शोधकर्ताओं ने एक स्मार्टफोन आधारित रिलैक्सेशन तकनीक विकसित की है, जो माइग्रेन से पीड़ित लोगों में सिरदर्द घटाती है। रिलैक्स अ हेड ऐप मरीजों को प्रोग्रेसिव मसल रिलैक्सेशन (पीएमआर)- यह एक प्रकार की व्यवहार थेरपी है, जिसमें रोगी के तनाव को कम करने के लिए अलग-अलग मांसपेशी समूहों को वैकल्पिक रूप से आराम और तनाव दिया जाता है। बुजुर्गों को आम तौर से पार्किसंस (हाथ कांपने) की बीमारी होती है। इसी से निजात के लिए जोधपुर आईआईटी के स्टूडेंट्स ध्रुव कृष्णा, अमन गोयल, शुभम् गट्टानी, दीपक अरजारिया व पुष्पंख कटारे ने ऐसे हैंड ग्लब्स तैयार किए हैं जिसमें फिट किया गया डिवाइस हाथ के कंपन को कम कर देता है।
उत्तर प्रदेश में राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत सभी आंगनबाड़ी केंद्रों और स्कूलों में आरबीएसके यूपी मोबाइल ऐप के माध्यम से बच्चों का स्वास्थ्य परीक्षण और उपचार किया जा रहा है। मोबाइल टीम एप के जरिए उन चिह्नित बाल मरीजों का लगातार फॉलोअप कर रही है, जिनको इलाज के लिए रेफर किया जाता है। इस ऐप में 38 प्रकार के रोगों का डिटेल हैं। जांच के समय बच्चों की बीमारी का विवरण ऐप में दर्ज हो जाता है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की मदद से आत्महत्याएं रोकने की भी कोशिशें हो रही हैं।
जर्मनी के नॉर्थराइन वेस्टफेलिया प्रांत की जेलों में कैदियों की आत्महत्या की रोकथाम के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का सहारा लिया जा रहा है। एक टेस्ट के दौरान इस बात की जांच की जाती है कि क्या आत्महत्या के इरादे का समय पर पता लगाया जा सकता है। इस प्रोजेक्ट के लिए पूरे यूरोप से निविदाएं आमंत्रित करने के बाद पूर्वी जर्मनी के केमनित्स शहर की एक कंपनी को इसका ठेका मिला है।