दो स्टार्टअप शुरू करने वाले इस आंत्रप्रेन्योर ने आखिर क्यों लिया ग्लोबल VC फंड लॉन्च करने का फैसला?
ध्रुव वाशिष्ठ, सुरभि वाशिष्ठ और गोविंद मूंदड़ा ने सन 2020 में 'पैराडाइम शिफ्ट' नाम से एक ग्लोबल वेंचर कैपिटल फंड की शुरुआत की, जिसका लक्ष्य भारतीय स्टार्टअप्स को बढ़ावा देना था, जिससे वह वैश्विक स्तर पर विस्तार कर सकें।
कोरोना महामारी के दौरान ध्रुव वाशिष्ठ को एहसास हुआ कि भारतीय स्टार्टअप और वेंचर कैपिटल (वीसी) इकोसिस्टम के बीच एक दूरी है और यहां एक युवा वीसी फंड की आवश्यकता है, जिसका संचालन युवा लोगों के हाथों में हैं।
ध्रुव ने YourStory को बताया, "लीगेस फंड्स ने बहुत अच्छा काम किया है और वे एक अच्छे मेंटर साबित साबित हुए हैं। हालांकि मुझे लगता है कि अगला दशक युवा भारतीय संस्थापकों के नाम रहने वाला है, जो नई सोच के साथ आगे बढ़ेंगे और जिनकी चाहत ग्लोबल लेवल तक जाने की होगी। ऐसे में उनकी जरूरतों को समझने के लिए एक ऐसा फंड चाहिए जो युवा हो और इन युवा संस्थापकों के साथ मिलकर काम करे।”
इस दूरी को भरने के लिए उन्होंने अपनी बहन सुरभि वाशिष्ठ और गोविंद मूंदड़ा के साथ मिलकर 2020 में पैराडाइम शिफ्ट की शुरुआत की। यह ग्लोबल वीसी फंड उन देसी स्टार्टअप्स को सहारा देती है, जो दुनिया के नक्शे पर अपनी छाप छोड़ सके।
ध्रुव ने एक ग्लोबल वीसी फंड को शुरु करने का आइडिया सबसे पहले अपनी बहन सुरभि के साथ शेयर किया था, जिन्होंने इस विचार का समर्थन किया। सुरभि पहले वीवर्क के साथ काम करती थीं और वह देश की सबसे युवा एचआर डायरेक्टर्स में से एक थी। वहां काम करते हुए वह टीम की संख्या को एक से बढ़ाकर 500 ले गई थीं। हालांकि महामारी के दौरान वह कंपनी में छंटनी के प्रयासों का भी हिस्सा थीं।
सुरभि ने ही ध्रुव को गोविंद से मिलावाया, जो पहले वीवर्क इंडिया के सीएफओ थे। इससे पहले वह इनमोबी से जुड़े थे।
फंड का लक्ष्य क्या है?
ध्रुव कहते हैं, “फंड को आगे बढ़ाने के लिए कोर टीम का होना जरूरी है, और ये सभी बेदन शानदार पार्टनर हैं। हम सभी पहली बार फंड मैनेजर बने हैं। ऐसे में हमें भी एक स्टार्टअप के रूप में काम करने की आवश्यकता है। हम पूंजी भी बढ़ा रहे हैं। पिछले चार-पांच महीनों में हमने कुछ बहुत ही प्रेरक और दिलचस्प बातचीत की है। इंडस्ट्री के दिग्गज और फैमिली बिजनेसेज भी अब ग्लोबल लेवल स्तर पर भारतीय स्टार्टअप की मौजूदगी के विचार से सहमति जताते हैं। देश में बड़े फंड्स के साथ अपने विचार साझा करना काफी प्रेरणादायक है। हालांकि कोरोना काल के दौरान इसकी अपनी चुनौतियां हैं और अब हर कोई इसकी आदत डाल रहा है।”
ध्रुव का मानना है कि भारतीय B2B SaaS स्टार्टअप पहले ही देसी कंपनियों को दुनिया के नक्शे पर ले जाने की नींव रख चुके हैं। वह कहते हैं, "मुझे लगता है कि भारत में प्रमुख बाजारों के लिए बनी कंज्यूमर टेक्नोलॉजी और फिनटेक कंपनियों के पास वैश्विक स्तर पर जाने की गुंजाइश है।"
देश के टियर II और III शहरों में एक बड़ा अवसर मौजूद है। हालांकि इसके साथ ही वीसी फंड उन खास देसी स्टार्टअप्स को भी देख रही है जो बेंगलुरु, मुंबई और दिल्ली में अच्छा बिजनेस कर रही हैं और वैश्विक स्तर पर जाने की क्षमता रखती हैं।
ध्रुव कहते हैं कि किसी स्टार्टअप में पैराडाइम शिफ्ट के निवेश करने के पीछे सबसे बड़ा और अनोखा कारण होता कि जिस सेक्टर में वो मौजूद हैं और वे जिस समस्या को हल करने की कोशिश कर रहे हैं, उसके लिए संस्थापकों की लगन कैसी है।
वह कहते हैं, "किसी टिकाऊ चीज को बनाने और दुनिया में एक सकारात्मक बदलाव लाने के लिए संस्थापक की लगन और जुनून हमारे लिए सबसे बड़ी वजह है।"
शुरुआती यात्रा
वीसी फंड को शुरू करना ध्रुव के लिए बिल्कुल स्वाभाविक रूप से आया। 2012 में क्राइस्ट यूनिवर्सिटी से ग्रैजुएशन करने के बाद ध्रुव फ्लिपकार्ट के शुरुआती दिनों के गवाह बने थे, जब वो सिर्फ किताबें बेचती थी। वह स्टार्टअप की दुनिया से बेहद प्रभावित हुए।
2013 से 2019 के बीच उन्होंने दो स्टार्टअप्स की स्थापना की और सैन फ्रांसिस्को स्थित ड्रैपर यूनिवर्सिटी से दो महीने का आंत्रप्रेन्योरशिप कोर्स किया था।
ध्रुव ने बताया, "सब कुछ बहुत ही रोमांचकारी था। मैंने 2013 में 'चीयर्समेट नाम से एक रेस्टोरेंट्स डील मुहैया कराने वाले स्टार्टअप की स्थापना की। यह स्टार्टअप इसी सेक्टर के एक दूसरे स्टार्टअप 'ग्रुपऑन' से बिल्कुल उलट काम करता था। ग्रुपऑन मुख्य रूप से बड़े समूहों के लिए बड़े डील्स को अपने प्लेटफॉर्म पर एग्रीगेट करती थी। वहीं हमने दूसरा रास्ता अख्तियार किया और सात से अधिक लोगों के लिए एक कस्टमाइज्ड रेस्टोरेंट्स डील्स ऑफर करना शुरू किया।"
2014 में ध्रुव को ब्रिटिश सरकार की ओर से एक युवा उद्यमी पुरस्कार के लिए चुना गया। ऐसे में उन्होंने चीयर्समेट को अब यूके में ले जाने का फैसला किया। 23 साल की उम्र में, उनका स्टार्टअप किसी अच्छे आइडिया की तरह लगता था और उन्हें उनके स्टार्टअप से मार्केट को लेकर भी अच्छी जानकारी मिल गई थी।
ध्रुव ने बताया, “लेकिन मुझे वहां बेंगलुरु जैसा रोमांचकारी माहौल नहीं मिला। इसके पीछे कई वजहें थीं। सबसे बड़ी बात यह थी कि वहां चीजों की गति बहुत धीमी थी। चूंकि इसकी फंडिंग यूके सरकार की ओर से थी। इसलिए मुझे वहां जाने और प्रयोग करने के लिए पैसा मिला। लेकिन यह मेरे साथ जमा नहीं।”
ड्रैपर यूनिवर्सिटी का कार्यकाल
ध्रुव ने 2016 तक चीयर्समेट को चला, जिसके बाद यह स्टार्टअप बंद हो गया। इसके तुरंत बाद उन्होंने बेंगलुरु के लिए वापस उड़ान भरी 'एजेंल हैक विथ TiE बेंगलुरु' के नाम से एक बड़ा हैकथॉन मैराथन लॉन्च किया।
इस दौरान ध्रुव ने TiE बेंगलुरु में कई संस्थापकों से मुलाकात की और इंडस्ट्री के दिग्गजों के साथ उनके एक्सीलेटर प्रोग्राम को आगे बढ़ाने के मिलकर काम किया। इसने ध्रुव को बेंगलुरु के स्टार्टअप इकोसिस्टम से और गहराई से जुड़ने का मौका दिया।
उनके पास दो अवसर थे- पहला लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स से एक पोस्ट ग्रैजुएट डिग्री करने का और दूसरा सिलिकॉन वैली के वेंचर कैपटलिस्ट टिम ड्रेपर के स्कूल, ड्रेपर यूनिवर्सिटी से एक आंत्रप्रेन्योरशिप कोर्स करने का। उन्होंने ड्रेपर यूनिवर्सिटी के कोर्स को चुना और अमेरिका के लिए रवाना हो गए।
ध्रुव बताते हैं, “दो महीने का यह प्रोग्राम पूरे जीवन भर का अनुभव देता है। सिलिकॉन वैली में इकोसिस्टम कैसे काम करता है, इसकी यह आपको पूरी जानकारी देता है। साथ ही आपको टिम ड्रेपर से मिलवाता है। सैन फ्रांसिस्को में, आप पहली बार चीजों को बिजली की गति से होते हुए देखते हैं। इसने मुझे सम्मोहित कर दिया और मुझे एक अलग अनुभव दिया।"
ड्रेपर प्रोग्राम में दुनिया भर के 30 से 40 उद्यमी थे, जिसने उन्हें दिलचस्प लोगों से मिलने और नए विचारों से जुड़ने में मदद की।
सैन फ्रांसिस्को में ही ध्रुव का पहली बार वर्चुअल रियल्टी (वीआर) से सामना हुआ और वह यह देखकर मोहित हो गए थे कि यह तकनीक क्या-क्या कर सकती है। इसीके बाद उन्होंने शिक्षा क्षेत्र में अपना दूसरा स्टार्टअप, पीएसवी को लॉन्च किया।
वीआर और एडटेक सेक्टर
ध्रुव कहते हैं, “हम शिक्षा को मजेदार और संवादात्मक बनाने के लिए वीआर को एक माध्यम के रूप में उपयोग करना चाह रहे थे। हमने 8वीं और 9वीं कक्षा के छात्रों के लिए फिजिक्स और केमेस्ट्री के नए कोर्स मॉड्यूल लॉन्च किए। हम बूस्ट वीसी द्वारा संचालित एक एक्सीलेटर प्रोग्राम में भी शामिल हुए।”
उनके सह-संस्थापक बिट्स पिलानी के पूर्व छात्र रहे हैं और उन्होंने कार्नेगी मेलन यूनिवर्सिटी से कंप्यूटर विजन की पढ़ाई की हुई है।
ध्रुव ने बताया, “हमें सिलिकॉन वैली में भविष्य की तकनीक और लोग के सोचने के तरीके पर बहुत कुछ सीखने को मिला। हमने इसे दो साल तक किया, लेकिन हमें मार्केट के हिसाब से उपयुक्त प्रोडक्ट बनाने में चुनौती का सामना करना पड़ा। हमने इसे अमेरिका में शिक्षकों और पब्लिक स्कूलों को बेचने की कोशिश की, लेकिन यह एक बड़ी चुनौती थी। ऐसे में इसने मुझे स्टार्टअप की दुनिया में समय के महत्व का सिखाया। यदि समय सही नहीं है, तो व्यापार को बढ़ाना वास्तव में कठिन हो सकता है।”
स्टार्टअप के पास कुछ ग्राहक थे, लेकिक इसे ग्रोथ के अगले स्टेज तक ले जाने में कठिनाई का अनुभव हो रहा था। आखिरकार, यह स्टार्टअप बंद हो गया।
पैराडाइम शिफ्ट फंड को लॉन्च करने से पहले ध्रुव ने जुलाई 2019 से दिसंबर 2020 तक इलया वोलोडार्स्की के साथ इंटरनेशनल लेवल पर ग्रोथ और विस्तार पर काम किया। बता दें कि इलया वोलोडार्स्की, सेंगमेंट स्टार्टअप प्रोग्राम के को-फाउंडर हैं।
वह कहते हैं कि दो स्टार्टअप का संस्थापक होने के नाते उन्हें मार्केट में जाकर प्रयोग करने और समस्या का समाधान करने में सक्षम टीम को बनाने की सीख मिली है।
ध्रुव ने अपने पूरे करियर में टीम के महत्व, सही सलाह और मार्केट के हिसाब से उपयुक्त प्रोडक्ट के महत्व के बारे में जाना है। वह अपने फंड के साथ अब इसी पर ध्यान केंद्रित करना चाहते हैं।
ध्रुव कहते हैं, "आइडिया कई लोगों के पास होते हैं, लेकिन वे इसे लेकर आगे नहीं बढ़ पाते हैं। अगली अहम चीज सही लोगों को ढूंढना है जो आपके साथ काम कर सकें और नए आइडिया दे सकें। एक फंड के रूप में, हम यही करते हैं। हम उन लोगों को फंड करने के बारे में सोचते हैं, जो इंडस्ट्री की अच्छी समझ रखते हों और जोखिम लेने और उसे आगे बढ़ाने के लिए तैयार हों।”