Brands
Discover
Events
Newsletter
More

Follow Us

twitterfacebookinstagramyoutube
Youtstory

Brands

Resources

Stories

General

In-Depth

Announcement

Reports

News

Funding

Startup Sectors

Women in tech

Sportstech

Agritech

E-Commerce

Education

Lifestyle

Entertainment

Art & Culture

Travel & Leisure

Curtain Raiser

Wine and Food

YSTV

ADVERTISEMENT
Advertise with us

सिगरेट फिल्टर से कुशन और खिलौने बना रहे हैं नोएडा के ये दो युवा, कमा रहे हैं बढ़िया मुनाफा

नोएडा के नमन गुप्ता और विशाल कनत आज सिगरेट फिल्टर को वो रूप दे रहे हैं जिस तरीके के बारे में शायद ही किसी ने सोचा हो।

सिगरेट फिल्टर से कुशन और खिलौने बना रहे हैं नोएडा के ये दो युवा, कमा रहे हैं बढ़िया मुनाफा

Friday May 28, 2021 , 3 min Read

कुछ रिपोर्ट्स के अनुसार साल 2020 तक दुनिया भर में 4.5 हज़ार अरब सिगरेट फिल्टर कचरे के रूप में पड़े हुए हैं और ये सिगरेट फिल्टर नॉन बायोडिग्रेडेबल श्रेणी में आते हैं, जिसके अनुसार ये सालों तक इसी तरह बिना नष्ट हुए कचरे के रूप में पड़े रहेंगे। नोएडा के दो युवा नमन और विशाल आज इस बड़ी गंभीर समस्या को बेहद दिलचस्प ढंग से हल करने की कोशिश कर रहे हैं।


27 साल के नमन गुप्ता और 31 साल के विशाल कनत आज सिगरेट फिल्टर को वो रूप दे रहे हैं जिस तरीके के बारे में शायद ही किसी ने सोचा हो।


नमन के अनुसार उनके कई दोस्त सिगरेट पीते थे और कई बार कमरे में रखी ऐश ट्रे सिगरेट के फिल्टर से महज कुछ ही मिनटों में भर जाती थी और उसे बार-बार खाली करना पड़ता था। पर्यावरण को लेकर जागरूक रहने वाले नमन के लिए यह थोड़ा परेशान करने वाला दृश्य भी था।

कंपनी बनाकर शुरू किया काम

नमन को इन सिगरेट फिल्टर को फेंकने के बजाय उन्हे रिसाइकल कर इस्तेमाल करने का विचार आया। मालूम हो कि आमतौर पर लोग यह समझते हैं कि सिगरेट फिल्टर कपास यानी रुई से बने होते हैं जबकि असल में इनका निर्माण प्लास्टिक पॉलीमर के जरिये किया जाता है।

नमन ने अपना यह आइडिया अपने दोस्त विशाल को बताया और दोनों इस दिशा में एकसाथ आगे बढ़ने के लिए राजी हो गए।

इसके तहत दोनों ने साल 2015 में कोड एंटरप्राइजेज एलएलपी नाम की एक कंपनी की स्थापना की। शुरुआत में नमन और विशाल को सिगरेट फिल्टर को इकट्ठा करने में काफी परेशानी का सामना करना पड़ा।

ि

सिगरेट फिल्टर से बने कुशन और खिलौने

नमन ने शहर में सिगरेट की दुकानों पर टिन बॉक्स लगाने शुरू किए। इस दौरान सिगरेट पीने वाले लोगों से यह आग्रह किया जाता था कि वो बचे हुए सिगरेट फिल्टर को टिन बॉक्स में ही डालें, हालांकि यह तरीका उतना कारगर नहीं रहा।

हजारों लोगों को मिला रोज़गार

नमन और विशाल ने तब कूड़ा बीनने वाले ऐसे लोगों को काम पर रखा जो शहर भर से सिगरेट फिल्टर इकट्ठा किया करते थे। इन कूड़ा बीनने वालों से 500 रुपये प्रति किलो की दर से सिगरेट फिल्टर खरीदे जाते थे।


आपको बता दें कि इस तरह आज करीब 5 हज़ार से अधिक लोग इनके लिए सिगरेट फिल्टर इकट्ठे करने का काम कर रहे हैं।


प्रक्रिया की बात करें तो सबसे पहले इकट्ठा किए गए सिगरेट फिल्टर से पेपर को अलग किया जाता है और उसके बाद उनकी महक को दूर करने के लिए उन्हे केमिकल से धोया जाता है। इसके बाद इन फिल्टर को मशीन के जरिये अलग-अलग किया जाता है, जिसके बाद इनके रेशे कपास की तरह मुलायम हो जाते हैं।

कमा रहे हैं मुनाफा

इन रेशों का इस्तेमाल फिर कुशन, खिलौने और चादर समेत तमाम तरह के उत्पादों के निर्माण में किया जाता है। कंपनी द्वारा सिगरेट फिल्टर के इस्तेमाल से बनाए गए उत्पादों की मांग मुख्य तौर पर ऑनलाइन अधिक है, हालांकि फेसबुक और ट्विटर के जरिये भी कंपनी अपने उत्पादों को बेचने का काम कर रही है।


नमन और विशाल आज अपने इस आइडिया के बल पर मुनाफा भी कमा रहे हैं, इसी के साथ उनके जरिये आज हजारों की संख्या में लोग रोजगार भी पा रहे हैं। नमन और विशाल अब तक कई टन सिगरेट फिल्टर रिसाइकल कर चुके हैं।


Edited by रविकांत पारीक