आम बजट 2024: क्रिप्टो कम्यूनिटी को है सरकार से ये उम्मीदें
इन प्रस्तावों का उद्देश्य क्रिप्टो करेंसी ट्रेडिंग और ब्लॉकचेन की तकनीक को अपनाने के लिए अधिक अनुकूल वातावरण बनाना है. समुदाय की इच्छा सूची के मुख्य पॉइंट यहां बताए जा रहे हैं...
जैसे-जैसे आम बजट 2024-25 की तिथि नज़दीक आ रही है, भारत में क्रिप्टो समुदाय को कई महत्वपूर्ण बदलावों की उम्मीद है जो उद्योग पर गहरा प्रभाव डाल सकती हैं. इन प्रस्तावों का उद्देश्य क्रिप्टो करेंसी ट्रेडिंग और ब्लॉकचेन की तकनीक को अपनाने के लिए अधिक अनुकूल वातावरण बनाना है. समुदाय की इच्छा सूची के मुख्य पॉइंट यह हैं:
VDAs ट्रांसफर पर TDS में कटौती
मुख्य अनुरोधों में सबसे पहले धारा 194S के अधीन वर्चुअल डिजिटल एसेट्स (VDAs) के ट्रांसफर पर टैक्स डिडक्टेड एट सोर्स (TDS) की दर को घटाकर 0.01% करना है. वर्तमान में 1% की हाई TDS दर से मार्केट में लिक्विडिटी और भागीदारी कम हो जाती है जो निवेशकों का उत्साह कम करने का काम करती है. कम TDS दर होने से अधिक लेन-देन को प्रोत्साहन मिलेगा और साथ में सुरक्षित ट्रेडिंग इकोसिस्टम को बढ़ावा मिलेगा. इसके इलावा, धारा 194S के अधीन कर कटौती की शुरुआती लिमिट पर फिर से विचार करने तथा इसे 50,000 रुपये से बढ़ाकर 5,00,000 रुपये करने का सुझाव दिया गया है.
नुकसान का समायोजन और उसे अगले वर्षों में लाना
क्रिप्टो समुदाय अन्य क्षेत्रों की तरह नुकसान का समायोजन करने और अगले वर्षों में ले जाने के अधिकार की मांग कर रहा है. अभी VDAs की ट्रेडिंग से होने वाले घाटे को भविष्य में होने वाले VDAs लाभ या किसी अन्य आय स्रोतों के समायोजन के लिए आगे नहीं लाया जा सकता है, जो दीर्घकालिक निवेश और रणनीतिक ट्रेडिंग को हतोत्साहित करता है. निवेश में इस लचीलेपन की अनुमति देने से क्रिप्टो मार्केट अन्य वित्तीय बाजारों के साथ संरेखित हो जाएगी, जिससे अधिक स्थिर और निवेशक-अनुकूल परिस्थिति को बढ़ावा मिलेगा.
VDA से होने वाली आय को समान मानना
VDAs के ट्रांसफर से होने वाली आय को मौजूदा आय स्रोतों के समान मानने की एक और महत्वपूर्ण मांग है. इसका मतलब है कि क्रिप्टो से होने वाली आय को पारंपरिक आय जैसे कि स्टॉक या म्यूचुअल फंड से प्राप्त आय को समान मान्यता देना और उस पर कर लगाना. यह बदलाव न केवल क्रिप्टो निवेशकों के लिए कर अनुपालन को सरल बनाएगा बल्कि क्रिप्टो करेंसी को एक विशेष ऐसेट वर्ग के तौर पर वैधता भी प्रदान करेगा. धारा 115BBH में संशोधन कर, टैक्स रेट को 30 प्रतिशत से कम कर के अन्य उद्योगों की ऐसेट्स के समान दर पर लाना एक सकारात्मक बदलाव होगा.
नियामक निकाय की मांग
उपर्युक्त वित्तीय समायोजनों के अलावा, क्रिप्टो लेनदेन को चलाने के लिए एक विशेष नियामक निकाय की स्थापना की मांग बढ़ रही है. ऐसी संस्था पारदर्शिता सुनिश्चित करेगी, निवेशकों की सुरक्षा करेगी तथा अनुपालन के लिए स्पष्ट मार्गदर्शन प्रदान करेगी, जिससे मार्केट में विश्वास और स्थिरता का विकास होगा.
हालांकि उद्योग ने आयकर अधिनियम में VDAs की परिभाषा को शामिल किया है, लेकिन हाई TDS दर और ऑफसेट की कमी जैसे कुछ प्रावधानों ने कई भारतीय VDA उपयोगकर्ताओं को गैर-अनुपालनीय विदेशी एक्सचेंजेस में ट्रेड करने के लिए मजबूर किया है. इससे उन्हें अपने निवेश में नुकसान होने और कानून तोड़ने का जोखिम रहता है, जिसके परिणामस्वरूप एक्सचेकर के लिए टैक्स रेविन्यू कम हो जाता है.
RBI's की अभी जून 2024 की वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट (FSR) में डीसेंट्रलाइज़्ड फाइनेंस (DeFi) और वित्तीय स्थिरता पर हो रहे इसके प्रभाव पर चर्चा की गई है. यह डिजिटल ऐसेट्स के लिए सुरक्षित और स्थिर परिस्थिति को सुनिश्चित करने के वैश्विक नियामक प्रयासों को दर्शाता है. जैसे-जैसे केंद्रीय बजट की तिथि नज़दीक आ रही है, इन दृष्टिकोणों का मजबूत नियामक फ्रेमवर्क स्थापित करके सेबी या RBI के तहत DeFi और डिजिटल ऐसेट स्पेस में स्थिरता जोखिमों को कम करने में मदद मिल सकती है, जिससे यह सुनिश्चित हो सके कि भारत इस उभरती हुई ग्लोबल मार्केट में प्रतिस्पर्धी बना रहे.
क्रिप्टो समुदाय को उम्मीद है कि वित्त मंत्रालय इन प्रस्तावों को ध्यान में रखते हुए विचार करेगा जिससे केंद्रीय बजट 2024-25 में सकारात्मक परिणाम सामने आएंगे. इन परिवर्तनों को लागू करने से, विशेष तौर पर TDS पर कटौती करने और नुकसान का सेटऑफ करने और आगे ले जाने की अनुमति देने से, क्रिप्टो मार्केट में व्यापक भागीदारी को प्रोत्साहन मिलेगा. नवाचार को प्रोत्साहित करने के लिए एक सहायक नियामक वातावरण महत्वपूर्ण है क्योंकि यह उद्योग को ब्लॉकचेन तकनीक के एकीकरण के माध्यम से मौजूदा व्यवसायों को बदलने में सक्षम बनाता है.
(लेखक WazirX के वाइस-प्रेसीडेंट हैं. आलेख में व्यक्त विचार लेखक के हैं. YourStory का उनसे सहमत होना अनिवार्य नहीं है.)
Edited by रविकांत पारीक