केंद्रीय मंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने पर्यावरण की दृष्टि से जिम्मेदार आर्थिक विकास की वकालत की
केंद्रीय मंत्री ने पूर्वोत्तर भारत के नेपाल, भूटान और बांग्लादेश के साथ दक्षिण पूर्व एशियाई देशों के साथ बनाए गए समय की कसौटी पर खरे उतरे ऐतिहासिक संबंधों पर प्रकाश डाला।
केंद्रीय बंदरगाह, नौवहन और जलमार्ग तथा आयुष मंत्री, सर्बानंद सोनोवाल (Sarbananda Sonowal) ने दक्षिण पूर्व एशियाई क्षेत्र में पर्यावरण की दृष्टि से जिम्मेदार आर्थिक विकास की वकालत की। सोनोवाल गुवाहाटी में आज एशियाई संगम द्वारा आयोजित NADI बातचीत के तीसरे संस्करण के विशेष पूर्ण सत्र को संबोधित कर रहे थे।
केंद्रीय मंत्री ने पूर्वोत्तर भारत के नेपाल, भूटान और बांग्लादेश के साथ दक्षिण पूर्व एशियाई देशों के साथ बनाए गए समय की कसौटी पर खरे उतरे ऐतिहासिक संबंधों पर प्रकाश डाला। गंगा, ब्रह्मपुत्र और मेकांग के रास्ते समुद्री मार्गों ने हमेशा अन्य सामाजिक-आर्थिक प्रभावों से हटकर आगे बढ़ने के लिए क्षेत्र के लिए एक आर्थिक मूलाधार तैयार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। जलमार्ग मंत्री ने वृहत्तर असमिया समाज के निर्माण में महान चाओलुंग सुकाफा द्वारा निभाई गई भूमिका के बारे में भी बताया और कैसे उनके प्रयासों ने अंततः असम राज्य की नींव रखी।
सभा को संबोधित करते हुए सोनोवाल ने कहा, "हमारे साझा इतिहास और परिचित परिस्थितियों ने शांतिपूर्ण तथा टिकाऊ भविष्य के निर्माण के लिए एक सामान्य आधार बनाया है। मानवता, शांति, स्थिरता और समृद्धि के लाभ के लिए हमारे साझा मूल्यों और विरासत को आगे बढ़ाने के लिए भारत सरकार अपनी महत्वाकांक्षी एक्ट ईस्ट पॉलिसी की दिशा में काम करने के लिए गहराई से प्रतिबद्ध है, जिसकी हमारे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने परिकल्पना की थी। विकसित वैश्विक वास्तविकताओं के साथ, आर्थिक विकास का इंजन आगे बढ़ रहा है। हमारे पास यहां भागीदार बनने के अवसर हैं क्योंकि हिंद महासागर उभरते हुए ‘ऐज ऑफ एशिया’ का केंद्र बिन्दु बन गया है। यह नई जागृति हमारी परस्पर जुड़ी नियति, स्वच्छ पर्यावरण के लिए एक दूसरे पर निर्भरता और साझा अवसरों के हमारे विश्वास की मान्यता है। हमें, जो हमारे हिंद महासागर में और उसके आसपास रहते हैं, क्षेत्र में शांति, स्थिरता और समृद्धि की प्राथमिक जिम्मेदारी लेनी चाहिए और उसे वहन करना चाहिए।"
सरकार की एक्ट ईस्ट नीति के बारे में जलमार्ग मंत्री ने कहा, "हमारे प्रधानमंत्री की परिकल्पना एक बेहतर कल के लिए कार्य करना है। सरकार का कुशलता के साथ लुक ईस्ट से एक्ट ईस्ट नीति की तरफ बढ़ना इस परिकल्पना का साक्षी है। सरकार इस नीति के लिए गहराई से प्रतिबद्ध है और इसके केन्द्र में आसियान देश हैं। गतिशील दक्षिण पूर्व एशियाई राष्ट्रों के साथ एक गहरा आर्थिक एकीकरण, हमारी एक्ट ईस्ट नीति का एक महत्वपूर्ण पहलू है। इस आशय के लिए, हम रेल, सड़क, वायु और समुद्री सम्पर्कों के गहन नेटवर्क के माध्यम से एक जाल में गुंथ रहे हैं। हम भारत में जलमार्गों को पुनर्जीवित करने और कार्गो तथा यात्री यातायात के लिए उनका आक्रामक रूप से उपयोग करने के लिए भी काम कर रहे हैं क्योंकि यह लागत को बचाता है और पर्यावरण की दृष्टि से परिवहन का अच्छा साधन है।
उन्होंने आगे कहा, "हमने भारी माल के परिवहन के लिए इंडो बांग्लादेश प्रोटोकॉल रूट (IBRP) का उपयोग करने में प्रभावशाली प्रगति की है। इससे हिन्द महासागर तक पहुँचने के लिए नेपाल और भूटान जैसे हमारे पड़ोसी देशों को भी लाभ हुआ है। समुद्री परिवहन आर्थिक एकीकरण को मजबूत करने में मदद करता है। मैं आप सभी से सभी प्रमुख बंदरगाहों पर बुनियादी ढांचे और क्षमता को बढ़ाने के लिए कदम उठाने का आह्वान करता हूं। हम सभी को समुद्री और शिपिंग बुनियादी ढांचे के संदर्भ में संरचनात्मक अंतर को कम करने के लिए समयबद्ध पहल करनी होगी।”
पारिस्थितिक संतुलन पर चलने वाले आर्थिक विकास के आधार पर बोलते हुए, सोनोवाल ने 'ब्लू इकोनॉमी' अवधारणा पर जोर दिया और कहा, "एक जुड़ा हुआ पहलू क्षेत्र में समृद्धि के एक आशाजनक नए स्तंभ के रूप में 'ब्लू इकोनॉमी' का उभरना है, जिसमें आर्थिक और रोजगार क्षमता की अपार संभावनाएं हैं। भारत महासागर आधारित नीली अर्थव्यवस्था के विकास के माध्यम से इस क्षेत्र के लिए एक अधिक सहयोगी और एकीकृत भविष्य की तलाश कर रहा है। ब्लू इकोनॉमी की एक विशेषता इन सीमित प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण और पुन: पूर्ति को कमजोर किए बिना आर्थिक एवं सामाजिक विकास और पर्यावरणीय स्थिरता के लिए समुद्री संसाधनों के दोहन में निहित है।”
इस सत्र में भारत में बांग्लादेश के उच्चायुक्त मुहम्मद इमरान, भूटान के महावाणिज्य दूत जिग्मे थिनले नामग्या, भारत में ब्रुनेई दारुस्सलाम के उच्चायुक्त दातो अलैहुद्दीन मोहम्मद ताहा, भारत में कंबोडिया के राजदूत आंग सीन, भारत में इंडोनेशिया की राजदूत इना एच. कृष्णमूर्ति; भारत में लाओ पीडीआर के राजदूत बौनेमे चौआंगहोम; भारत में मलेशिया के उच्चायुक्त दातो हिदायत अब्दुल हामिद; भारत में म्यांमार के राजदूत मो क्याव आंग; रेमन एस भारत में फिलीपींस के राजदूत असाधारण और पूर्णाधिकारी रेमन एस. बागात्सिंग; भारत में सिंगापुर के उच्चायुक्त साइमन वोंग वि कुएन; भारत में थाईलैंड की राजदूत पट्टारत होंगटोंग; भारत में वियतनाम के राजदूत फाम सान चाऊ ने अन्य गणमान्य व्यक्तियों और प्रतिष्ठित लोगों के साथ भाग लिया।