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'वैल्युएशन गुरु' कभी नहीं खरीदेंगे अडानी एंटरप्राइजेज का शेयर, जानिए क्यों गिर सकता है 945 रुपये तक!

वैल्युएशन गुरु कहे जाने वाले अश्वथ दामोदरन ने भी गौतम अडानी पर हमला बोला है. उनका कहा है कि अभी आने वाले दिनों में इसमें और ज्यादा गिरावट देखने को मिल सकती है. ये शेयर 945 रुपये के लेवल तक जा सकता है.

'वैल्युएशन गुरु' कभी नहीं खरीदेंगे अडानी एंटरप्राइजेज का शेयर, जानिए क्यों गिर सकता है 945 रुपये तक!

Tuesday February 07, 2023 , 4 min Read

जब से हिंडनबर्ग की रिपोर्ट आई है, तब से गौतम अडानी (Gautam Adani) की कंपनियों के शेयरों में भारी गिरावट देखने को मिल रही थी. इसी बीच वैल्युएशन गुरु कहे जाने वाले अश्वथ दामोदरन (Aswath Damodaran) ने भी गौतम अडानी पर हमला बोला है. उन्होंने कहा है कि उनकी कंपनी अडानी एंटरप्राइजेज की वैल्युएशन बहुत ज्यादा बढ़ चुकी थी. उनका कहा है कि अभी आने वाले दिनों में इसमें और ज्यादा गिरावट देखने को मिल सकती है. उन्होंने तो साफ कहा है कि वह इस कंपनी के शेयर कभी नहीं खरीदेंगे, क्योंकि इसमें उनके परिवार की बहुत ज्यादा हिस्सेदारी है, जिससे इस कंपनी के शेयर में निवेश करने में जोखिम बहुत ज्यादा है. आइए जानते हैं क्या कहते हैं वैल्युएशन गुरु और किस आधार पर वह अडानी एंटरप्राइजेज से खफा दिख रहे हैं.

शेयर वैल्यू से लेकर पीई रेश्यो तक पर उठाए सवाल

वैल्युएशन गुरु कहे जाने वाले अश्वथ दामोदरन ने कहा है कि अडानी एंटरप्राइजेज के शेयर की सही वैल्यू 945 रुपये है. यानी अगर उनकी कैल्कुलेशन को देखा जाए तो इस कंपनी का शेयर अभी और गिरेगा. दोमादरन ने कहा है कि कंपनी के फंडामेंटल्स, कैश फ्लो, ग्रोथ और रिस्क को देखते हुए लगता है कि ये कीमत बहुत ज्यादा है. उनका कहा है कि कंपनी का प्राइस टू अर्निंग रेश्यो यानी पीई रेश्यो (PE Ratio) 15 गुना से बढ़कर पिछले 2 सालों में 2021 तक 214 गुना हो चुका है.

समझिए पीई रेश्यो का गणित

पीई रेश्यो यानी प्राइस टू अर्निंग रेश्यो का मतलब है कि एक रुपये का मुनाफा कमाने के लिए कंपनी को कितने रुपये खर्च करने पड़ते हैं. अगर किसी कंपनी का पीई रेश्यो 10 है तो इसका मतलब है कि कंपनी को 1 रुपये का मुनाफा कमाने के लिए 10 रुपये खर्च करने पड़ रहे हैं. ऐसे में कम पीई रेश्यो वाली कंपनी को निवेश के लिए बेहतर माना जाता है. 20-25 पीई रेश्यो तक को आम तौर पर अच्छा माना जाता है, लेकिन उससे ज्यादा पीई रेश्यो होने का मतलब है कि कंपनी ओवरवैल्यूड है.

अडानी एंटरप्राइजेज के मामले में भी ऐसा ही हो रहा है. दामोदरन ने कहा है कि कंपनी का पीई रेश्यो पिछले कुछ सालों में तेजी से बढ़ा है. अगर 7 फरवरी दोपहर तक के हिसाब से देखा जाए तो अडानी एंटरप्राइजेज का पीई रेश्यो करीब 170 है. यह शेयर में उतार-चढ़ाव के हिसाब से बढ़ता-घटता रहता है. इस पीई रेश्यो का मतलब है कि अडानी एंटरप्राइजेज को 1 रुपये का मुनाफा कमाने के लिए 170 रुपये के निवेश की जरूरत पड़ रही है. ये भी एक वजह है कि दामोदरन ने इस कंपनी को ओवरवैल्यूड कहा है.

कंपनी की बैलेंस शीट का क्या है हाल?

अगर पिछले 5 साल के आंकड़ों को देखा जाए तो कंपनी के मुनाफे में कोई खास बढ़त नहीं है. 2018 में कंपनी का मुनाफा सिर्फ 327 करोड़ रुपये था, जो 2019 तक और गिरकर 223 करोड़ रुपये रह गया. वहीं 2020 में यह बढ़कर 798 करोड़ रुपये हो गया. 2021 में कंपनी का मुनाफा मामूली गिरकर 746 करोड़ रुपये हुआ, लेकिन अगले साल 2022 में कंपनी के मुनाफे में तगड़ी गिरावट आई और यह 475 करोड़ रुपये पर आ गया. यानी कंपनी भले ही मुनाफे में रहती है, लेकिन यह मुनाफा बहुत ही कम है और इसमें उतार-चढ़ाव भी बहुत ज्यादा है.

कर्ज के दम पर बढ़ रहे हैं अडानी!

दामोदरन ने एक बात साफ कही है कि गौतम अडानी का पूरा बिजनेस ही कर्ज पर आधारित है. उन्होंने कहा है कि पिछले करीब डेढ़ साल में जितना भी नया कैपिटल जुटाया है, वह कर्ज के जरिए जुटाया है. 2021-22 में उन्होंने मामूली इक्विटी का इस्तेमाल किया. उन्होंने कहा कि यह कंपनी आगे बढ़ने के लिए पूरी तरह कर्ज पर निर्भर है. यही वजह है कि तमाम निवेशक घबराए हुए हैं, क्योंकि कर्ज के आधार पर बिजनेस में ग्रोथ अच्छी बात नहीं है. बिजनेस को मुनाफे के आधार पर बढ़ना चाहिए, ना कि कर्ज के आधार पर.

ग्लोबल इकनॉमिक सिस्टम में है एक कमजोरी

दामोदरन ने कहा है कि ग्लोबल इकनॉमिक सिस्टम में एक बड़ी कमजोरी है, जिसे गौतम अडानी ने अपनी ताकत बना लिया है. ग्लोबल इकोनामिक सिस्टम में एनवायरमेंट, सोशल और गवर्नेंस यानी ईएसजी (ESG) ऐसी चीजें हैं जो गौतम अडानी की कंपनियों और उनके कारोबार पर फिट बैठ गए हैं. दामोदरन ने अपने ब्लॉग में इस बात का जिक्र किया है कि अडानी एंटरप्राइजेज ने इस कमजोरी को अपने हक में भुनाने में सफलता हासिल की है. अडानी ग्रुप की कंपनी पूरे ईएसजी यूनिवर्स को अपनी कंपनियों के दायरे में लाने की कोशिश कर रही है. इस तरह देखा जाए तो ये कहना गलत नहीं होगा कि ग्रीन बॉन्ड मार्केट को ग्रीन एनर्जी बिजनेस के जरिए काबू करने की कोशिश की जा रही है. उनके अनुसार अडानी ग्रुप ने ग्रीन एनर्जी बिजनेस का बढ़ा-चढ़ाकर बखान किया है और ग्रीन बॉन्ड मार्केट को पर कब्जा करने की कोशिश की है.