ज्ञानवापी में मिले कथित 'शिवलिंग' की कार्बन डेटिंग नहीं होगी, कोर्ट ने खारिज की हिंदू पक्ष की याचिका
इस साल मई में ज्ञानवापी मस्जिद का सर्वे हुआ था. इस पर हिंदू पक्ष ने दावा किया था कि मस्जिद के वजूखाने के बीच में एक कथित शिवलिंग मिला है. वहीं मुस्लिम पक्ष ने उसे फब्वारा बताया था. हिन्दू पक्ष के याचिकाकर्ताओं की मांग थी कि 'शिवलिंग' की वैज्ञानिक जांच कार्बन डेटिंग के ज़रिए कराई जाए. कार्बन डेटिंग की मांग चार महिलाओं ने की थी. ज्ञानवापी मस्जिद में मिले कथित शिवलिंग की कार्बन डेटिंग को लेकर वाराणसी कोर्ट में सुनवाई आज होनी थी. वाराणसी जिला जज अजय कृष्ण विश्वेश ने हिंदू पक्ष की याचिका को खारिज करते हुए ‘शिवलिंग’ की कार्बन डेटिंग किये जाने की मांग को ठुकरा दिया है.
कोर्ट ने मांग को खारिज करते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि जहां कथित शिवलिंग पाया गया है, उसे सुरक्षित रखा जाए. ऐसे में अगर कार्बन डेटिंग के दौरान कथित शिवलिंग को क्षति पहुंचती है तो यह सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लंघन होगा.
क्या है पूरा मामला?
बता दें कि बीते सात अक्टूबर को अंजुमन इंतेजामिया मस्जिद कमेटी की तरफ से कोर्ट से समय मांगा गया था. इस पर जिला जज ने कहा था कि 11 अक्टूबर को मसजिद कमेटी का पक्ष सुनने के बाद ही कोर्ट अपना फैसला सुनाएगी. सुनवाई के दौरान मसाजिद कमेटी की तरफ से कहा गया कि कथित शिवलिंग की वैज्ञानिक जांच की कोई आवश्यकता नहीं है. जिसके पीछे तर्क दिया गया कि हिंदू पक्ष ने अपने केस में ज्ञानवापी में प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष देवी-देवताओं की पूजा की मांग की है. फिर हिंदू पक्ष कथित शिवलिंग की जांच कराने की मांग क्यों कर रहा है.
दूसरी ओर हिंदू पक्ष कमीशन ने मसजिद कमेटी की इस दलील का विरोध किया था. जिसपर अदालत ने सुनवाई के बाद फैसले को सुरक्षित रखते हुए सुनवाई की अगली तारीख 14 अक्टूबर तय की थी. अदालत ने ज्ञानवापी मस्जिद मैनेजमेंट को याचिकाकर्ता की याचिका पर जवाब दाखिल करने को कहा था. जिसके बाद फैसला सुनाते हुए आज जज ने हिन्दू पक्ष की कार्बन डेटिंग की मांग को खारिज कर दिया है.
क्या होती है कार्बन डेटिंग? ज्ञानवापी मामले में क्यों हो रही है इसके इस्तेमाल की मांग