नए साल में समृद्धि लाने के लिए वास्तु की रस्में
क्या कुछ ऐसी वास्तु रस्में हैं जिन्हें करने से हम आगामी वर्ष को प्रगतिशील बना सकते हैं? आइये समझते हैं वास्तुआचार्य मनोज श्रीवास्तव से।
नव वर्ष हमेशा से ही नयी आशाओं और उमंग को लेकर आता है। ख़ास तौर से तब जब पूरा विश्व पिछले डेढ़-दो साल से महामारी की मार सह रहा है आगामी वर्ष से सभी को समृद्धि की उम्मीदें हैं। क्या कुछ ऐसी वास्तु रस्में हैं जिनके करने से हम आगामी वर्ष को प्रगतिशील बना सकते हैं? आइये समझते हैं वास्तुआचार्य मनोज श्रीवास्तव से।
आजकल के दौर में जहां हम दिवाली पर पूजा करके लक्ष्मी जी का स्वागत करते हैं, वहीँ कई लोग नए वर्ष का स्वागत पार्टी और डांस से करते हैं और नववर्ष के दिन देर तक सोते रहते हैं। इस लेख में बताई गई रस्में नववर्ष के दिन भोर सवेरे करनी हैं इसलिए आपको सुबह जल्दी उठना होगा। वास्तुआचार्य मनोज श्रीवास्तव बताते हैं कि जनवरी 1, 2022 को ब्रहम मुहर्त सुबह 05:25 से 06:19 तक का है इसलिए इन उपायों को इस समय के बीच करें।
पहली रस्म
एक कागज़ पर रोली या कुंकुम से बड़े अक्षरों में “श्रीं” लिखें। अब इस कागज़ को एक बड़ी थाली में अपने घर के उत्तर-पूर्व या पूजाघर में स्थापित करें। सब से पहले इस रीति को करने के प्रयोजन का संकल्प लें। आचमन में थोडा पानी लेकर संकल्प लें कि में ये रीति अपने जीवन में सुख समृद्धि और प्रगति के लिए कर रहा हूँ। मैं और मेरा परिवार इस नववर्ष में धन-धान्य और समृद्धि का खुले ह्रदय से स्वागत करते हैं। एक कटोरी में हल्दी से रंगे चावल लें और इस मंत्र से जाप कर एक-एक चावल को “श्रीं” को अर्पित कर दें।
मंत्र है “ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्मये नमः” जब सारे चावल अर्पित हो जाएँ तो इस कागज़ को पूरे दिन पूजा रूम में रहने दें और अगले दिन इसको चावल समेत मोड़ कर अपने घर के लाकर में रख दें। अगर आप के घर में लाकर नहीं है तो जहाँ आप कैश रखते हैं वहीँ रख दें।
दूसरी रस्म
पहली रीति के क्रियान्वन के बाद अब हम दूसरी रस्म को समझते हैं। इस रीति को घर के दक्षिण पशिम में करना है। एक स्टील की या पीतल की थाली लें। एक छोटे चोकोर कागज़ पर अपना पूरा नाम और जन्मतिथि बीच में लिखें और इसके चारो और समृद्धिसुचक शब्दों को लिखे जैसे – समृद्धि, बरकत, उन्नति, शुभ-लाभ, आदि। अब इस कागज़ को थाली के मध्य में रख दें और एक मोमबत्ती इस पर खड़ी कर दें। अब एक-चुटकी पिपरमिंट, एक चुटकी पीसी दालचीनी, एक चुटकी मैथी पाउडर और एक छोटी चम्मच अक्षत चावल एक-एक कर, मन ही मन अपने समृद्धि के संकल्प या आशय को स्मरण करते हुए मोमबत्ती के चारो और छिड़क दें।
ऊपर दी गयी सामग्री में से कुछ उपलब्ध नहीं हो तो चिंता नहीं करें और जितनी है उनका प्रयोग करें। आखरी में मोमबत्ती को प्रजवलित कर लें। इस रीति में मोमबत्ती की जगह दिया या दीपक का भी इस्तेमाल कर सकते हैं। जब मोमबत्ती पूरी जल जाये तो इस सामान को घर के पौधों के गमलों में छिड़क दें।
तीसरी रीति
इस रीति को कुबेर-दीपं या जलदीप के नाम दे जाना जाता है और इसको घर की उत्तर दिशा में करना होता है। इसके लिए एक कांच का गिलास लें और उसको तीन चौथाई के करीब पानी से भर दें। बाकी का हिस्सा तिल के तेल से भर दें। अब एक रुई की बाती लगा कर उसे प्रजवलित कर दें। अपने दोनो हथेलियों को इस दीप के दोनों तरफ रख कर इस अभिवचन (अफ्फरमेसन) का स्मरण करें – “हे जलदीपं इस वर्ष मेरे जीवन में सुख समृद्धि और उन्नति का वास हो। आपके प्रकाश से मेरा घर, मेरा परिवार और हम सब का जीवन प्रकाशवान हो और हम सब को शुभ अवसर की प्राप्ति हो”
अंत में जब दीप पूरा जल जाये तो इसकी बाती निकाल कर इस पानी को अपने बदन पर छिड़क कर स्नान कर लें।
वास्तुआचार्य मनोज श्रीवास्तव द्वारा वर्णित इन सरल रीतियों के प्रयोग से आप नव वर्ष का स्वागत नए अवसर और शुभ लाभ के साथ कर सकते हैं।