Vertical Farming: जानें क्या है बिना जमीन के खेती करने की तकनीक
Markets And Markets की एक रिपोर्ट के मुताबिक़, दुनिया की वर्टिकल फार्मिंग की मार्केट वैल्यू साल 2021 में 3.1 बिलियन डॉलर्स आंकी गयी, और अगले 5 साल में इसकी वैल्यू 9.7 बिलियन डॉलर हो जाने की उम्मीद है.
क्या है वर्टिकल फार्मिंग?
वर्टिकल फार्मिंग हमारे पारंपरिक खेती करने के तरीके से अलग दीवारों पर खेती करने की तकनीक को कहते हैं. इसीलिए वर्टिकल फार्मिंग को 'दीवार पर खेती करना' भी कहा जाता है. धान-गेहूं की खेती के साथ-साथ सब्जियां भी दीवारों पर ही उगाई जाती हैं. इस्रायल (Israel) में इस तकनीक से खेती की जा रही है. और अब यह तकनीक धीरे-धीरे दुनियाभर में भी लोकप्रिय हो रही है.
इस्रायल में खेती लायक जमीन की काफी कमी है. 2018 में आई वर्ल्ड बैंक के डेवलप्मेंटल इन्डीकेटर्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक़, इस्रायल में खेती के लायक सिर्फ 28.8 प्रतिशत ज़मीन है. इसी रिपोर्ट के मुताबिक, भारत, जो कि एक कृषि-प्रधान देश है, में खेती के लायक ज़मीन 60.43 प्रतिशत है.
इस्रायल के पास खेती योग्य जमीन की कमी होने के कारण यह देश खाद्यान्न की आपूर्ति के लिये दूसरे देशों पर निर्भर रहता है. ऐसे में वर्टिकल फार्मिंग की तकनीक किसी वरदान से कम नहीं है.
हालांकि, यह तकनीक अमेरिका, यूरोप, चीन, कोरिया और जापान जैसे जगहों में भी तेजी से फैल रही है क्योंकि इन देशों में गांव या खेत बड़े शहरों से काफी दूर होते हैं. ऐसे में, कम जगह के बावजूद यह तकनीक शहरों में खेती करने का आप्शन खोल देता है. बहु-मंजिली इमारतों या उनकी दीवारों पर वर्टिकल रूप में पेड़-पौधे अन्दर या बाहर लगाकर खेती की जा सकती है. यह तकनीक भारत के कुछ शहरों में भी लोकप्रिय हो रही है. मुबंई, पुणे, बैंगलोर, चेन्नई, गुरुग्राम जैसे शहरों में कई लोग नौकरियां छोड़कर वर्टिकल फार्मिंग करके अच्छी आमदनी कमा रहे हैं.
वर्टिकल फार्मिंग की तकनीकें:
वर्टिकल फार्मिंग में हाइड्रोपोनिक्स (hydroponics) , एरोपोनिक्स (aeroponics) सबसे लोकप्रिय तकनीकें हैं. हाइड्रोपोनिक्स तकनीक में मिट्टी का उपयोग नहीं होता है और उसके बिना ही पौधों को एक सोल्यूशन में उगाया जाता है. एरोपोनिक्स में केवल हवा में ही पौधों को विकसित किया जाता है.
पर्यावरण के लिए बेहतर है खेती की ये नई तकनीक:
वर्टिकल फार्मिंग का सबसे बड़ा फायदा ये है कि दीवार पर पौधे होने से घर के तापमान में बढ़ोतरी नहीं होती और यह आसपास के वातावरण में भी नमी बनाए रखता है. इस तरह की खेती की सिंचाई में पानी का बहुत किफायत तरीके से उपयोग होता है. इसके अलावा इससे ध्वनि प्रदूषण का असर भी कम ही होता है. शहरों में हरियाली बनी रहती है. सबसे ख़ास बात कि वर्टिकल फार्मिंग करने के लिए मौसम पर निर्भर नहीं रहना होता, यानी आप जब चाहें तब खेती कर सकते हैं. कम जगह में दीवार बनाकर खेती करने का ये तरीका न केवल अच्छा उत्पादन देता है, इससे संसाधनों की भी बचत होती है.