रंगकर्मी, कवयित्री, लेखिका, मिथिला फोक सिंगर और अवितोको की फाउंडर विभा रानी से एक खास बातचीत
पंद्रह से अधिक नाटक, दो फिल्में, एक टीवी सीरियल और बीस से अधिक किताबें लिख चुकी विभा को जब पता चला कि उन्हें कैंसर है तो कुछ पल को उनकी दुनिया वहीं ठहर गई, लेकिन फिर उन्होंने उस ठहरी दुनिया में इंद्रधनुषी रंग भर एक नया आकाश बना लिया। कैंसर से लड़ाई सकारात्मकता और हौसले के साथ किस तरह जीती जाती है, विभा रानी इसका बेहतरीन उदाहरण हैं। कई विधाओं में पारंगत विभा सोशल मीडिया और अपने लेखन के माध्यम से लोगों के बीच कैंसर को लेकर जागरूकता भी फैला रही हैं।
कैंसर तो एक खतरनाक बीमारी है, फिर इसे कोई सैलिब्रेट कैसे कर सकता है? क्यों नहीं कर सकता है और इसका सबसे बड़ा उदाहरण है मुंबई की विभा रानी। विभा वो मजबूत नाम हैं, जिन्हें ब्रेस्ट कैंसर जैसी खतरनाक बीमारी भी हरा नहीं पाई। विभा ने अपनी कमजोरी को ही अपनी ताकत बना लिया और अब वो अपनी उसी ताकत को दूसरों की ज़िंदगी में भरने का प्रयास कर रही हैं अलग-अलग माध्यमों से। कोविड-19 के इस कठिन समय को भी विभा ने बड़ी बहादुरी, कुशलता और खूबसूरत से जीने की कोशिश की है।
विभा कहती हैं, मेरे पास मेरा कुछ नहीं हैं। मैंने जो कुछ भी सीखा है, उसे मैं सारी दुनिया में बांट देना चाहती हूं, दूसरों को सीखा देना चाहती हूं, कि ताकि मेरी कला सिर्फ मुझ तक ही सीमित ना रह जाये बल्कि उसका विस्तार हो और वो बाकी लोगों तक भी पहुंचे।
जानी-मानी रंगकर्मी और मैथिली साहित्यकार विभा रानी ने कैंसर के इस 'आनंद' को असल जिंदगी में जिया है। वो एक ब्रेस्ट 'कैंसर अचीवर' हैं। उन्होंने न केवल कैंसर से जंग जीती बल्कि उसके प्रति लोगो में जागरूकता फैलाने को अपना मिशन बना लिया। उन्होंने कैंसर पर कविताएं लिखी नाटक लिखे और उनका एकल मंचन भी किया। विभा रानी ने जेल में बंद कैदियों के साथ भी साहित्य और नाटक के ज़रिये बहुत काम किया है।