भारत के छोटे व्यवसायों के लिए Google ने घटाई प्ले स्टोर फीस, लेकिन साथ में शर्त भी है
यह कदम चुनिंदा बाजारों में गूगल प्ले बिलिंग सिस्टम के लिए वैकल्पिक बिलिंग सिस्टम प्रदान करने के गूगल के निर्णय के बाद आया है.
प्रति वर्ष 10 लाख डॉलर से कम राजस्व वाले भारतीय व्यवसायों को अब गूगल प्ले स्टोर (Google Play Store) पर कम इन-ऐप परचेज फीस देनी होगी. परंपरागत रूप से अभी यह फीस 30 प्रतिशत है लेकिन 31 अक्टूबर से इसे चुनिंदा ऐप टाइप्स के लिए घटाकर 6 प्रतिशत और 11 प्रतिशत कर दिया जाएगा. इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, गूगल प्ले स्टोर अपनी नीतियों में बदलाव कर रहा है. वीडियो, ऑडियो या बुक कंटेंट की पेशकश करने वाले कुछ भारतीय ऐप डेवलपर और स्टार्टअप्स, गूगल प्ले स्टोर पर इन-ऐप परचेसेज के लिए केवल 6 प्रतिशत कमीशन देने के पात्र हो सकते हैं लेकिन ऐसा तभी होगा अगर वे वैकल्पिक बिलिंग सिस्टम का विकल्प चुनते हैं.
गूगल ने हाल ही में भारत सहित चुनिंदा बाजारों में अपने बिलिंग सिस्टम के विकल्प की अनुमति देने की घोषणा का की है. प्ले स्टोर कमीशन भारत में 31 अक्टूबर से लागू होने वाला है.
गेमिंग कॉन्टेंट वाले ऐप्स इस दायरे से बाहर
रिपोर्ट में आगे कहा गया कि गेमिंग कॉन्टेंट की पेशकश करने वालों को छोड़कर अन्य ऐप्स पर, यदि वे गूगल प्ले बिलिंग सिस्टम के बजाय वैकल्पिक बिलिंग मैकेनिज्म को अपनाते हैं तो लगभग 11 प्रतिशत शुल्क/कमीशन लागू किया जाएगा. 6 प्रतिशत और 11 प्रतिशत का घटा हुआ कमीशन ऐसे नॉन-गेमिंग ऐप्स पर लागू होगा, जो प्रति वर्ष 10 लाख डॉलर से कम राजस्व अर्जित करते हैं.
यह कदम चुनिंदा बाजारों में गूगल प्ले बिलिंग सिस्टम के लिए वैकल्पिक बिलिंग सिस्टम प्रदान करने के गूगल के निर्णय के बाद आया है. कोई भी ऐप जो राजस्व मानदंड को पूरा करता है और वैकल्पिक बिलिंग सिस्टम का उपयोग करने वाला ग्राहक है, वह कम शुल्क संरचना के लिए पात्र होंगे.
पिछले साल सर्विस फीस मॉडल में बदलाव
पिछले अक्टूबर में गूगल ने गूगल प्ले के सर्विस फीस मॉडल में बदलाव की घोषणा की थी, सदस्यता के लिए शुल्क 30 प्रतिशत से घटाकर 15 प्रतिशत और प्ले मीडिया एक्सपीरियंस कार्यक्रम में ऐप्स के विशिष्ट वर्टिकल के लिए शुल्क को कम करके 10 प्रतिशत तक कम कर दिया था. मुख्य रूप से वीडियो, ऑडियो या पुस्तकों की पेशकश करने वाले ऐप्स जिनमें यूजर्स कॉन्टेंट का उपभोग करने के लिए भुगतान करते हैं, प्ले मीडिया एक्सपीरियंस प्रोग्राम के अंतर्गत आते हैं. यदि डेवलपर्स वैकल्पिक बिलिंग प्रणाली चुनते हैं तो 6 प्रतिशत शुल्क, कार्ड पेमेंट प्रॉसेसिंग में 4 प्रतिशत की कमी के कारण है.
गूगल ने दो साल पहले अपनी प्ले स्टोर कमीशन नीति बनाते समय कहा था कि शुल्क 30 प्रतिशत रहेगा. उस घोषणा ने डेवलपर्स और नीति निर्माताओं की ओर से भारी पुशबैक क्रिएट किया, भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग ने इस मामले की जांच शुरू की जो कथित तौर पर पूरा होने के करीब है. गूगल को अपने प्ले बिलिंग सिस्टम के लिए विकल्पों की पेशकश न करने के लिए आलोचनाओं को सामना भी करना पड़ा है.
बदलाव के कारण क्या आएगा अंतर
रिपोर्ट के मुताबिक, गूगल के सरकारी मामलों और सार्वजनिक नीति के वैश्विक वाइस-प्रेसिडेंट विल्सन व्हाइट ने बिलिंग सिस्टम में बदलाव के कारण होने वाले अंतर को समझाया है. उन्होंने कहा कि यदि ऐप्स वैकल्पिक प्रणालियों का उपयोग करना शुरू करते हैं तो गूगल, क्रेडिट या डेबिट कार्ड के माध्यम से पेमेंट प्रॉसेस करने की लागत को छोड़ देगी, जो लगभग 4 प्रतिशत है. तो यूजर चॉइस बिलिंग में यदि यूजर्स गूगल प्ले स्टोर बिलिंग के विपरीत डेवलपर्स बिलिंग चुनता है तो सेवा शुल्क 4 प्रतिशत कम हो जाएगा जो कि पेमेंट प्रॉसेस करने की सामान्यीकृत लागत है. लेकिन इसके अलावा अन्य सभी सेवाएं समान हैं.
YourStory ने इस रिपोर्ट की स्वतंत्र रूप से पुष्टि नहीं की है. भारत के अलावा अन्य बाजारों में जहां गूगल, वैकल्पिक बिलिंग विकल्प की पेशकश कर रहा है उनमें ऑस्ट्रेलिया, इंडोनेशिया, जापान और यूरोपीय आर्थिक क्षेत्र शामिल हैं.
Edited by Ritika Singh