Vodafone Idea में जल्द ही सरकार बन सकती है सबसे बड़ी शेयरधारक, जानें क्या चल रही तैयारी
एक दिन पहले खबर आई थी कि वोडाफोन आइडिया लिमिटेड ने 8,837 करोड़ रुपये के अतिरिक्त AGR के भुगतान को 4 साल टालने का फैसला किया है.
(Vi) में हो सकता है कि जल्द ही सरकार सबसे बड़ी शेयरधारक बन जाए. सीएनबीसी टीवी18 की एक रिपोर्ट के अनुसार, टाले गए बकाया पर टेलिकॉम कंपनी की उपार्जित ब्याज देयता को इक्विटी में बदलने के बाद सरकार वोडाफोन आइडिया में 33 प्रतिशत हिस्सेदारी को खरीदने के करीब है. बकाया का कन्वर्जन जल्द ही पूरा हो जाएगा. इसके बाद वोडाफोन आइडिया की प्रमोटर कंपनी Vodafone PLC और भारत के आदित्य बिड़ला समूह (एबीजी) की सामूहिक रूप में कंपनी में लगभग 50 प्रतिशत हिस्सेदारी होगी.
सरकार कंपनी अधिनियम, 2013 की धारा 62(4) के अनुसार वोडाफोन आइडिया की 16,133 करोड़ रुपये की ब्याज देनदारियों को इक्विटी में बदल देगी. यह कार्रवाई आवश्यक धन जुटाने में भारी कर्ज के बोझ तले दबे दूरसंचार निगम की सहायता करेगी. एक दिन पहले खबर आई थी कि वोडाफोन आइडिया लिमिटेड ने 8,837 करोड़ रुपये के अतिरिक्त एडजस्टेड ग्रॉस रेवेन्यु (एजीआर) के भुगतान को 4 साल टालने का फैसला किया है.
कंपनी ने 22 जून को देर रात दी सूचना में बताया कि दूरसंचार विभाग ने 15 जून को वित्त वर्ष 2016-17 के बाद अतिरिक्त दो वित्त वर्षों के लिए एजीआर की मांग की है. यह मांग वैधानिक बकाए पर सुप्रीम कोर्ट के आदेश के तहत शामिल नहीं थी. वोडाफोन आइडिया ने कहा कि उसके निदेशक मंडल ने दूरसंचार विभाग के उक्त लेटर के अनुसार, एजीआर से संबंधित बकाया राशि को चार साल की अवधि के लिए स्थगित करने के विकल्प को तत्काल प्रभाव से मंजूरी दे दी. सरकार दूरसंचार परिचालकों से उनके एजीआर के आधार पर राजस्व के अपने हिस्से की गणना करती है.
लेटर में बकाया राशि के ब्याज को इक्विटी में बदलने का विकल्प
विभाग के लेटर में कंपनी को इन एजीआर से संबंधित बकाया राशि के ब्याज को इक्विटी में बदलने का विकल्प भी दिया गया, जिसके लिए उक्त लेटर की तारीख से 90 दिनों का वक्त दिया गया है. कंपनी ने बकाया राशि के ब्याज को इक्विटी में बदलने का विकल्प चुना.
प्रमोटर श्रेणी में नहीं होगी हिस्सेदारी
रिपोर्ट में कहा गया है कि वोडाफोन आइडिया में सरकार की हिस्सेदारी सार्वजनिक स्वामित्व का हिस्सा है, और प्रमोटर श्रेणी में नहीं होगी. इस 33 प्रतिशत इक्विटी होल्डिंग के बाद सरकारी उम्मीदवारों के लिए कंपनी बोर्ड में कोई जगह नहीं होगी. सूत्रों के हवाले से कहा गया कि कंपनी की बैलेंसशीट में सुधार होने पर सरकार, वोडाफोन आइडिया में अपनी इक्विटी हिस्सेदारी को कम करना चाहेगी.