कभी खेती करने को थे मजबूर, अब 40 लाख रुपये की स्कॉलरशिप पर UK पढ़ने जाएंगे केरल के एबी जॉर्ज
अपने परिवार की मदद करने के लिए खेतों में काम करने वाले एबी जॉर्ज अब यूनाइटेड किंगडम के एक बड़े विश्वविद्यालय में पढ़ाई करने जाने वाले हैं। केरल के कुट्टनाड के चेंपमपुरम के एक छोटे से गाँव के निवासी एबी जल्द ही दक्षिण पश्चिम इंग्लैंड में स्थित डेवोन काउंटी के एक्सेटर विश्वविद्यालय में ‘ग्लोबल सस्टेनेबिलिटी सोल्यूशंस’ में मास्टर्स की पढ़ाई शुरू करेंगे।
मालूम हो कि एबी को अपनी पढ़ाई के लिए 40 लाख रुपये की कॉमनवेल्थ स्कॉलरशिप हासिल हुई है।
एबी जिस विषय की पढ़ाई करने जा रहे हैं दरअसल उसकी शुरुआत उनके घर से ही हुई है। एबी का गाँव पानी से भरा हुआ है और वहाँ अधिकांशत: धान की ही खेती की जाती है और दिलचस्प बात यह है, कि एबी ने भी धान की खेती करते हुए ही अपने विषय को लेकर ज्ञान जुटाया है।
किसानी के गुर ने दिलाई स्कॉलरशिप
एबी के पिता जॉर्ज जोसेफ एक पारंपरिक किसान हैं और एबी ने अपने पिता के साथ उनके पाँच एकड़ खेत में होने वाली धान की फसल की देखरेख में शुरुआत से ही पिता का हाथ बटाया है। चंबाकुलम पंचायत के पुथेनकारी पोल्डर गाँव के निवासी एबी ने अपने खेती-किसानी के इस गुर के चलते ही यह खास स्कॉलरशिप हासिल की है।
द न्यू इंडियन एक्सप्रेस के साथ हुई बातचीत में एबी ने बताया है कि वे प्रकृति की अनियमितताओं से लड़ते हुए अपनी जीविका कमाते हैं। क्षेत्र के किसान अक्सर बाढ़, ताजे पानी की कमी, कीटों के हमले और इस तरह की तमाम प्राकृतिक आपदाओं का सामना करते रहते हैं। गौरतलब है कि इन सब के बीच कई बार किसानों को समय से पहले ही अपनी फसलों को काटना पड़ जाता है।
एबी के अनुसार खेती के दौरान सामने आए समस्याओं और उनसे निपटने के अनुभव ने ही उन्हें इन बाधाओं को दूर करने और इस प्रतिष्ठित स्कॉलरशिप को हासिल करने का साहस दिया है।
अब यह स्कॉलरशिप एबी को एक्सेटर विश्वविद्यालय में सभी खर्च के साथ उनके 12 महीनों के कार्यक्रम को पूरा करने में सक्षम बनाएगी। मालूम हो कि एबी ने साल 2019 में चंगानस्सेरी स्थित सेंट बर्चमैन कॉलेज से बीकॉम पूरा किया था और इसी के बाद शोध में उनकी रुचि बढ़ी है।
शोध की तरफ बढ़ा झुकाव
इसके बाद एबी अलाप्पुझा स्थित इंटरनेशनल सेंटर फॉर टेक्नालॉजिकल इनोवेशन में एक शोध सहयोगी के रूप में भी काम किया है। एबी के अनुसार वहाँ उन्हें कुट्टनाड में खेती की विशिष्टता को देखते हुए स्थायी खेती में परियोजनाओं के समन्वय का अवसर मिला। कुट्टनाड में बेमौसम बारिश और बाढ़ लगातार होती रहती है जिससे फसलों को नुकसान पहुंचता है।
इस दौरान उन्होने जलवायु के अनुसार कृषि और धान की खेती में आपदा-जोखिम को कम करने के बारे में अध्ययन किया। एबी के अनुसार उन्होने बचपन से जो खेती के बारे में बुनियादी ज्ञान हासिल किया था उससे इस दौरान उन्हें काफी मदद हासिल हुई है।
किसानों के लिए बनाया खास संगठन
गौरतलब है कि इसके पहले स्थानीय स्तर पर कृषि क्षेत्र असंगठित था और कई किसानों को विभिन्न सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा था। इस समस्या को हल करने के लिए एबी ने एक 'किसान उत्पादक संगठन' बनाया। अब इस संगठनके लगभग 900 सदस्य हैं।
एबी की इस पहल को कृषि-व्यवसाय संघ, केंद्र सरकार और भारत की कृषि बीमा कंपनी से भी समर्थन मिला है। इस प्रयास से उनके गाँव और कुट्टनाड में कई धान किसानों को सीधा फायदा हुआ है। एबी के साथ अब उनके भाई एलोशियस भी खेती में लोगों की मदद करते हैं।
Edited by Ranjana Tripathi