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वीकली रिकैप: पढ़ें इस हफ्ते की टॉप स्टोरीज़!

यहाँ आप इस हफ्ते प्रकाशित हुई कुछ बेहतरीन स्टोरीज़ को संक्षेप में पढ़ सकते हैं।

वीकली रिकैप: पढ़ें इस हफ्ते की टॉप स्टोरीज़!

Sunday October 17, 2021 , 9 min Read

इस हफ्ते हमने कई प्रेरक और रोचक कहानियाँ प्रकाशित की हैं, उनमें से कुछ को हम यहाँ आपके सामने संक्षेप में प्रस्तुत कर रहे हैं, जिनके साथ दिये गए लिंक पर क्लिक कर आप उन्हें विस्तार से भी पढ़ सकते हैं।

1,000 बच्चों को स्कूल भेज चुका है यह एनजीओ

जयपुर स्थित Smile For All सोसाइटी झुग्गी-झोपड़ियों के बच्चों को वापस स्कूलों में लाने के मिशन पर है। 500 रुपये प्रति माह से शुरू होने वाले इसके हैप्पीनेस सब्सक्रिप्शन के साथ, संरक्षक वंचित बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्राप्त करने में मदद कर सकते हैं।

Smile For All

जयपुर की Smile For All society (SFA) इन बच्चों को वापस स्कूल भेजने की कोशिश कर रही है। भुनेश शर्मा और उनकी पत्नी नेहा शर्मा की एक पहल, SFA एक गैर सरकारी संगठन है जो वंचित बच्चों को निजी स्कूली शिक्षा प्रदान करने के लिए समर्पित है।


संगठन, जो दो साल पहले रजिस्टर हुआ था, वर्तमान में एक सार्वजनिक समावेशन कार्यक्रम, "Happiness subscription" चला रहा है।

भुनेश YourStory को बताते हैं, "हम वर्तमान में भारत में 25 राज्यों में फैले 200+ शहरों में कार्य कर रहे हैं और बांग्लादेश में भी सक्रिय कल्याण कार्यक्रम चला रहे हैं।"


Happiness Subscription का उपयोग करते हुए, संरक्षक प्रति माह 500 रुपये दान करते हैं। इस राशि का उपयोग वंचित बच्चों की स्कूल फीस का भुगतान करने के लिए किया जाता है।


भुनेश कहते हैं, “हमारे पास 623 हैप्पीनेस सब्सक्राइबर हैं, और 1000 से अधिक बच्चों को निजी स्कूलों में नामांकित किया है। इनमें से 100 आरटीई के माध्यम से, और बाकी निजी फंड के माध्यम से।”


विस्तार योजनाओं पर जोर देते हुए, भुनेश कहते हैं, “हम अगले पांच वर्षों में कम से कम दस लाख हैप्पीनेस सब्सक्राइबर्स तक पहुँचना चाहते हैं। हम दक्षिण पूर्व एशिया और अफ्रीका में भी SFA का विस्तार करने के इच्छुक हैं। हम आठवीं और उससे ऊपर की कक्षा में नामांकित बच्चों के लिए कौशल और व्यावसायिक प्रशिक्षण और शौक पैदा करने की रणनीति पर भी काम कर रहे हैं।

सुप्रीम कोर्ट का काम हल्का कर रहा है यह AI स्टार्टअप

SUPACE को तैयार करने का काम पुणे, नागपुर और दिल्ली में स्थित स्टार्टअप मैनकॉर्प इनोवेशन लैब्स ने किया है। लोगों को कम समय में न्याय मिल सके इसके लिए इस स्टार्टअप ने टेक्नालजी का सहारा लिया है।

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देश की अदालतें पेंडिंग केस के बोझ तले दबी हुई हैं और देश की सर्वोच्च अदालत भी इससे अलग नहीं है। हालांकि अब एक एआई ड्रिवेन स्टार्टअप ने सुप्रीम कोर्ट को इस समस्या से बाहर निकालने का काम शुरू कर दिया है।


इसी साल अप्रैल के पहले हफ्ते में भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने एक एआई-संचालित पहल का अनावरण किया था, जिसे सुप्रीम कोर्ट पोर्टल फॉर असिस्टेंस इन कोर्ट्स एफिशिएंसी (SUPACE) कहा जाता है। यह पहल देश की विभिन्न कोर्ट में पड़े लंबित मामलों को निपटाने का काम करेगी।


SUPACE को तैयार करने का काम पुणे, नागपुर और दिल्ली में स्थित स्टार्टअप मैनकॉर्प इनोवेशन लैब्स ने किया है। लोगों को कम समय में न्याय मिल सके इसके लिए इस स्टार्टअप ने टेक्नालजी का सहारा लिया है। स्टार्टअप ने पटना हाईकोर्ट में अपने पायलट प्रोजेक्ट भी चलाये हैं जहां केस के आवंटन के लिए AI का सहारा लिया गया था। इसी के साथ स्टार्टअप ने झारखंड की हाईकोर्ट के लिए झारखंड संवाद नामक एक चैटबॉट बनाया था।


साल 2018 में रथिन देशपांडे और विष्णु गीते के साथ कंपनी की स्थापना करने वाले मंथन त्रिवेदी ने मीडिया से बात करते हुए बताया है कि झारखंड उच्च न्यायालय के पास न्यायाधीशों की सहायता के लिए पर्याप्त कर्मचारी नहीं थे। चैटबॉट उसी तरह सवालों का जवाब देता है जैसे एक कानून रिसर्चर केस को पढ़कर देता है।


मंथन त्रिवेदी 2015 में हार्वर्ड विश्वविद्यालय में थे और अपने इस आइडिया पर काम करने के लिए हावर्ड की पढ़ाई छोड़कर भारत आ गए। इस दौरान त्रिवेदी ने यहाँ की समस्या को ढंग से समझने के लिए भारत का दौरा भी किया।


मैनकॉर्प इनोवेशन लैब्स का एक नया स्मार्ट सॉल्यूशंस प्रॉडक्ट एक इंटीग्रेटेड सिस्टम है जो माइक्रोसॉफ्ट वर्ड, पीडीएफ रीडर और एडिटर, जूम या गूगल मीट जैसे कई सिस्टम को एक प्लेटफॉर्म पर लाता है और दूर से काम करने वालों की मदद करता है। मैनकॉर्प इनोवेशन लैब्स अब आयकर विभाग के लिए एक ऑटोमेटिक डिफेक्ट आइडेंटिफिकेशन सिस्टम पर भी काम कर रहा है।

स्टॉक ट्रेडिंग में युवाओं और ट्रेडर्स को कुशल बनाने वाले छात्र आंत्रप्रेन्योर

Havenspire में आम लोगों को नौ सप्ताह के भीतर एक्सपर्ट स्टॉक ट्रेडर बनने के लिए प्रशिक्षित किया जाता है।

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हर कॉलेज के छात्र की तरह, आकाश जयन और ऋत्विक विपिन 2015 में वेल्लोर इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (वीआईटी) में पढ़ते समय अपनी पॉकेट मनी बढ़ाने के तरीकों की तलाश कर रहे थे। यही वह वक्त था जब उन्होंने पैसा बनाने के तरीके के रूप में स्टॉक ट्रेडिंग की ओर देखा। 


हालांकि, दोनों ने YouTube पर कई तरह की स्ट्रेटजीज के बारे में देखा, लेकिन उन्होंने पाया कि वे कारगर साबित नहीं हुईं। और उचित परामर्श के बिना, उनके पास सही बाजार अंतर्दृष्टि का भी अभाव था।


आकाश YourStory को बताते हैं, "हमने इसे ट्रायल और एक्सपेरिमेंट के तौर पर लिया। हमने शुरुआत में 3,000 रुपये का निवेश करके शुरुआत की थी, लेकिन यह घटकर 700 रुपये रह गया। साल 2017-18 में जब हम चौथे वर्ष में थे, तब तक हम प्रतिदिन 1,000 रुपये कमा रहे थे। उस समय तक हमारे कई दोस्त भी हमारे पास आ गए और हमने उन्हें पढ़ाना शुरू कर दिया। हमने स्टॉक ट्रेडिंग सिखाने के लिए एक वेबसाइट बनाने के बारे में सोचा, और इसके बारे में फेसबुक ग्रुप्स पर बात करना शुरू कर दिया। सबसे पहले, दो लोगों ने स्टॉक ट्रेडिंग सीखने के लिए हमसे संपर्क किया और हमें फीस के रूप में 2,000 रुपये का भुगतान किया। वह हमारा यूरेका मूमेंट था।”


वह कहते हैं, “हेवनस्पायर में, हम आम लोगों को नौ सप्ताह के भीतर एक्सपर्ट स्टॉक ट्रेडर बनने के लिए प्रशिक्षित करते हैं। भारतीय शिक्षा प्रणाली के साथ सबसे बड़ी समस्याओं में से एक यह है कि यह वित्तीय साक्षरता को प्रोत्साहित नहीं करती है। हेवनस्पायर में, हम लोगों को आर्थिक रूप से साक्षर बनने और उनके पैसे को अच्छी तरह से प्रबंधित करने में मदद करते हैं।”

ट्रांसवुमेन ने हैरेसमेंट के बावजूद छोटे बिरयानी स्टॉल से खड़ा कर दिया बड़ा बिजनेस

केरल के कोच्चि की सजना तब महज 13 साल की थीं जब उन्होंने अपने घर को पूरी तरह से छोड़ दिया था और इसके बाद उन्होंने अपने जीवन में तमाम तरह के संघर्ष का सामना किया। सजना अपने गुज़ारे के लिए शुरुआत में ट्रेनों में भीख भी मांगा करती थीं।

सजना, फोटो साभार : Instagram

सजना, फोटो साभार : Instagram

कभी बतौर स्ट्रीट वेंडर अपनी आजीविका के लिए संघर्ष करने वाली सजना शाजी आज एक सफल बिजनेस वुमेन बन चुकी हैं, लेकिन उनकी यह यात्रा बिल्कुल भी आसान नहीं रही है। आज तमाम लोगों के लिए प्रेरणाश्रोत बन चुकीं सजना को उनके ट्रांसजेंडर होने के चलते इस यात्रा में उन्हें तमाम तरह की मुश्किलों का सामना करना पड़ा है।


केरल के कोच्चि की सजना तब महज 13 साल की थीं जब उन्होंने अपने घर को पूरी तरह से छोड़ दिया था और इसके बाद उन्होंने अपने जीवन में तमाम तरह के संघर्ष का सामना किया। सजना अपने गुज़ारे के लिए शुरुआत में ट्रेनों में भीख भी मांगा करती थीं।


हालांकि इन सब के बीच सजना के लिए हमेशा से ही अपने लिए एक बेहतर जीवन तलाश जारी रही। संघर्ष के दिनों के दौरान की हुई बचत के जरिये सजना ने एक स्टॉल लगाकर लोगों को बिरयानी खिलानी शुरू कर दी। इस दौरान सजना के इस व्यवसाय को शुरू करने में अन्य तीन लोगों ने उनकी मदद भी की।


इसी दौरान सजना को उनके ट्रांसजेंडर होने के चलते हैरेसमेंट का भी शिकार होना पड़ा। इतना ही नहीं, हालात इतने बदतर हो गए थे कि इस बीच सजना ने आत्महत्या का भी कदम उठाने का फैसला कर लिया था। हालांकि अपनी मजबूत इच्छाशक्ति के साथ सजना एक बार फिर से खड़ी हुईं और उन तमाम चुनौतियों का अपने बल पर सामना करने का निर्णय लिया।


तब सजना ने एक सोशल मीडिया पोस्ट के जरिये अपने ऊपर बीत रहे अनुभव को सभी के साझा भी किया था और वह पोस्ट बहुत जल्द वायरल हो गई थी। इसके बाद सजना को जगह-जगह से समर्थन मिलना शुरू हो गया था।

10 लाख लोगों को 'पहली नौकरी' दिलाने में मदद कर रहा Able Jobs

Able Jobs एक ऐप है, जो युवा स्नातकों को उनकी पहली नौकरी पाने के लिए जरूरी कौशल मुहैया कराने में मदद करता है।

Able Jobs

रवीश अग्रवाल, सिद्धार्थ श्रीवास्तव और स्वतंत्र कुमार जब स्टार्टअप शुरू करने की तैयारी में थे, उस समय उनके दिमाग में जॉब मार्केट की स्थित चल रही थी। तीनों ने महसूस किया कि छात्रों को सही नौकरी खोजने और उसके लिए जरूरी कौशल विकसित करने के लिए मदद की जरूरत है।


रवीश कहते हैं, “हमने देखा की गैर-तकनीकी कौशल वाले लोगों के जॉब से जुड़ा इकोसिस्टम काफी अस्त व्यस्त है। शुरुआती स्तर पर गैर-तकनीकी स्नातकों के लिए नौकरी की तलाश की समस्या को हल करने वाला कोई नहीं था। (जबकि उनकी संख्या इंजीनियरिंग स्नातकों की तुलना में 6 गुना अधिक हैं)"


इस समस्या ने उन्हें 2019 में, एबल जॉब्स शुरू करने के लिए प्रेरित किया। यह एक ऐप है, जो युवा स्नातकों को उनकी पहली नौकरी पाने के लिए जरूरी कौशल मुहैया कराने में मदद करता है। यह ऐप शीर्ष कंपनियों को सेल्स, कस्टमर सर्विस जैसे क्षेत्रों में अत्यधिक सलीके से तैयार किए स्किलिंग कार्यक्रमों का एक व्यापक सेट प्रदान करता है। 


रवीश कहते हैं, “हम एडटेक में स्किल-टेक नामक एक नए वर्टिकल का नेतृत्व कर रहे हैं। स्किल-टेक का लक्ष्य ऐसी तकनीक विकसित करना है जो शिक्षार्थियों में कौशल पैदा करें ताकि वे नौकरी या प्रमोशन जैसे व्यावसायिक लक्ष्यों को पूरा कर सकें। इसमें कई तरह के प्रोडक्ट शामिल हैं, जो शिक्षार्थियों को सीखने, कौशल-आधारित-कार्य (वास्तविक या बस ट्रेनिंग के उद्देश्य के लिए) करने और विश्वसनीय और त्वरित प्रतिक्रिया प्राप्त करने में मदद करने के लिए डिजाइन किए गए हैं।” 

YourStory की फ्लैगशिप स्टार्टअप-टेक और लीडरशिप कॉन्फ्रेंस 25-30 अक्टूबर, 2021 को अपने 13वें संस्करण के साथ शुरू होने जा रही है। TechSparks के बारे में अधिक अपडेट्स पाने के लिए साइन अप करें या पार्टनरशिप और स्पीकर के अवसरों में अपनी रुचि व्यक्त करने के लिए यहां साइन अप करें।


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