वीकली रिकैप: पढ़ें इस हफ्ते की टॉप स्टोरीज़!
यहाँ आप इस हफ्ते प्रकाशित हुई कुछ बेहतरीन स्टोरीज़ को संक्षेप में पढ़ सकते हैं।
इस हफ्ते हमने कई प्रेरक और रोचक कहानियाँ प्रकाशित की हैं, उनमें से कुछ को हम यहाँ आपके सामने संक्षेप में प्रस्तुत कर रहे हैं, जिनके साथ दिये गए लिंक पर क्लिक कर आप उन्हें विस्तार से भी पढ़ सकते हैं।
83 वर्षीय पेंटर लता चौधरी
अल्जाइमर के साथ जीते हुए, यह 83 वर्षीय मुंबईकर आदिवासी कला में फोकस और प्रेरणा पाती है, और उनके पास केवल उनके बचपन की ही यादें बची हैं।
लता चौधरी के बांद्रा (पूर्व) स्थित घर की दीवारों पर लगी पेंटिंग्स उज्ज्वल, समृद्ध और रंगीन हैं, जो उनके अस्सी साल के निर्माता के व्यक्तित्व की तरह हैं। उन्होंने अपनी बड़ी बहन माई से कला की मूल बातें सीखते हुए, एक बच्चे के रूप में पहली बार ब्रश उठाया। आठ भाई-बहनों में से एक, वह अक्सर मुंबई के ओपेरा हाउस के पास अपने बचपन के घर के बारे में बात करती है।
चार साल पहले, उन्हें अल्जाइमर हो गया था, जिसने उनकी अल्पकालिक स्मृति (short-term memory) को प्रभावित किया है। उनकी माँ के घर की यादें स्पष्ट हैं और वह अक्सर अपनी माँ और भाई-बहनों के बारे में पूछती है, जिनमें से सभी गुजर चुके हैं, और वे उसे क्यों नहीं बुला रहे हैं। महामारी ने भी अपना रूख ले लिया है क्योंकि वह यह समझने में विफल है कि सड़कें खाली क्यों हैं और वह जिस जीवन को जानती है वह अब मौजूद नहीं है। उनकी प्राथमिक देखभाल करने वाले उनके पति हैं जो उनके समर्थन में दृढ़ रहे हैं और उनके डायग्नोसिस के बाद से उसका सामना करने में मदद कर रहे हैं।
बिना ड्राइवर वाली गाड़ी बना रहा यह स्टूडेंट-आंत्रप्रेन्योर
गगनदीप रीहल की उम्र भले ही 21 साल है, लेकिन वह इसी उम्र में एक आंत्रप्रेन्योर, इनोवेटर, लेखक और मेंटॉर बन चुके हैं। फिलहाल वह माइनस जीरो नाम की एक स्टार्टअप को खड़ा करने में लगे हैं, जिसका मकसद देश में सेल्फ-ड्राइविंग इलेक्ट्रिक कारों को किफायती और सुलभ बनाना है।
इस साल के अप्रैल में, गगनदीप और उनके सह-संस्थापक ने जालंधर में एक इलेक्ट्रिक ऑटोरिक्शा के साथ भारत का पहला सेल्फ-ड्राइविंग टेस्ट किया।
केवल चार महीनों में 50,000 रुपये की राशि के साथ विकसित, इस तिपहिया प्रोटोटाइप ने कई जटिल ड्राइविंग अभ्यास किए, जो भारतीय सड़कों के हिसाब से शानदार रहीं।
गगनदीप का दावा है कि यह वाहन अपने कैमरा सूट पर निर्भर करता है। साथ ही यह लेन मार्किंग और महंगे LiDAR पर शून्य निर्भरता जैसे फीचर के साथ लैस है। यह अत्यधिक कम्प्यूटेशनल रूप से कुशल AI द्वारा संचालित होता है और डेटा पर इसकी निर्भरता कम है।
वे कहते हैं, “यह पहली बार है जब किसी कंपनी ने भारतीय सड़कों पर चालक रहित वाहन का परीक्षण किया है। भारत में सड़कों पर ट्रैफिक नियमों का पालन करने वालों की संख्या काफी कम है। इसलिए, हर चीज को वास्तविक समय में प्रॉसेस करने की आवश्यकता होती है। अब पहले टेस्ट ड्राइव के बाद, हमें विश्वास है कि सेल्फ-ड्राइविंग कारें जल्द ही एक वास्तविकता बन जाएंगी क्योंकि जो भारतीय सड़कों पर काम कर सकता है वह कहीं भी काम कर सकता है।”
कॉर्पोरेट नौकरी छोड़ घर पर मोती की खेती से कमा रहे मुनाफा
अच्छी कंपनी में बढ़िया सैलरी वाली नौकरी होने के बावजूद रोहित अपने गाँव आकर अपने कुछ ऐसा करना चाहते थे जिससे उनके साथ उनके आस-पास के लोगों को भी लाभ मिल सके। रोहित को कॉलेज खत्म करते ही गुरुग्राम स्थित इनवेस्टमेंट बैंक एचएसबीसी कंपनी में नौकरी मिल गई थी, हालांकि इसके बाद उन्होंने एमबीए की डिग्री ली और उसके बाद बतौर एचआर रिलायंस इंडस्ट्रीज जॉइन कर ली।
इन सालों के दौरान के दौरान एक बात जो हमेशा उन्हें हमेशा परेशान करती रही वह उनके गाँव से हो रहे युवाओं का पलायन था, जो बेहतर मौकों की तलाश में लगातार गाँव छोड़ कर जा रहे थे।
रोहित इस समस्या को हल करना चाहते थे और तकनीक के साथ खेती करने के उनके विचार ने उन्हें उस पलायन को रोकने का भी एक अवसर दे दिया। बस इसी के बाद कई सालों तक बतौर एचआर काम करने के वाले रोहित ने अगस्त 2020 में अपनी कॉर्पोरेट नौकरी को अलविदा कह दिया।
इसके बाद रोहित ने अपने भाई मोहित के साथ मिलकर एग्रीटेक स्टार्टअप ‘एग्रीकाश’ की स्थापना की। इसी के साथ रोहित ने अपने घर के पीछे बने हुए तालाब में मोती की खेती शुरू कर दी।
रोहित और उनके भाइयों के इस काम की सराहना खुद पीएम मोदी भी कर चुके हैं।
आंत्रप्रेन्योर्स और प्रोफेशनल्स के लिए नेटवर्किंग स्टार्टअप
SupremeMinds एक बेंगलुरु और बे एरिया (US) स्थित इनवाइट-ओनली नेटवर्किंग स्टार्टअप है जो यूजर्स को उनके गोल के अनुसार क्यूरेट किए गए हजारों प्रासंगिक और विशेषज्ञ लोगों को खोजने में मदद करने के लिए AI का उपयोग करता है।
लेंसकार्ट के सह-संस्थापक रमनीक खुराना ने महसूस किया कि उन्हें हैदराबाद कार्यालय को इनक्यूबेट करने के लिए विभिन्न साधनों का उपयोग करना पड़ेगा, इसलिए उन्होंने नेटवर्किंग प्लेटफॉर्म सुप्रीममाइंड्स के साथ साझेदारी करने का फैसला किया।
एआई-संचालित पेशेवर नेटवर्किंग प्लेटफॉर्म यूजर्स को वास्तविक परिणामों को देने के लिए उनके लक्ष्यों (Goals) के आधार पर नेटवर्क बनाने की अनुमति देता है। दो चीजें
को अन्य नेटवर्किंग प्लेटफॉर्म से अलग बनाती हैं: यह एक निर्यात-संचालित मॉडल को फॉलो करता है और इनवाइट-ओनली है (और निकट भविष्य के लिए ऐसा ही रहेगा)। इनवाइट-ओनली यानी कि यह प्लेटफॉर्म केवल उन लोगों के लिए ओपन है जिन्हें इनवाइट यानी आमंत्रित किया गया है।इसकी स्थापना 2020 सितंबर में अंकित सिंह और कर्ण मेहता द्वारा की गई। दोनों ही IIT और IIM ग्रेजुएट हैं।
सुप्रीममाइंड के पास पहले से ही 7,500 से अधिक यूजर्स हैं, और पिछले तीन महीनों में 40 से अधिक प्रोडक्ट मैजेनर और इंजीनियरों को जॉब दिलाने में मदद मिली है।
मुफ्त में 3500 छात्रों को गणित पढ़ा रहे हैं ये सरकारी शिक्षक
पंजाब के एक शिक्षक ने आर्थिक रूप से कमजोर छात्रों के लिए खुद आगे आकर उन्हें अपने खर्चे पर ऑनलाइन पढ़ाने का जिम्मा उठाने का काम किया और आज करीब 35 सौ से अधिक छात्र उनके इस कदम के चलते मुफ्त में गणित की शिक्षा ग्रहण कर पा रहे हैं।
पंजाब के भटिंडा के रहने वाले 43 वर्षीय शिक्षक संजीव कुमार ने बीते साल ही लॉकडाउन लागू होने के साथ जरूरतमंद छात्रों के लिए गणित की मुफ्त ऑनलाइन क्लास शुरू कर दी थीं। संजीव खुद एक सरकारी शिक्षक हैं और पिछले करीब 17 सालों से छात्रों को गणित पढ़ा रहे हैं।
पहल शुरू होने के करीब डेढ़ साल बाद आज आलम यह है कि संजीव कुमार कक्षा 8वीं से लेकर कक्षा 12वीं तक के करीब 35 सौ से अधिक छात्रों को गणित की ऑनलाइन क्लास दे रहे हैं। भारत के अलावा कई अन्य देशों के छात्र भी संजीव कुमार से गणित की क्लास ले रहे हैं।
अधिकांश छात्र तमिलनाडु, केरल और जम्मू-कश्मीर से हैं, जबकि विदेश की बात करें तो संयुक्त अरब अमीरात, केन्या, मलेशिया, ओमान, क़तर और सऊदी अरब जैसे देशों के छात्र सजीव से ऑनलाइन शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं।
संजीव छात्रों को बेहतर ढंग से पढ़ा सकें इसके लिए उन्होंने Zoom का प्रीमियम प्लान लिया हुआ है। संजीव छात्रों से किसी भी तरह की फीस नहीं लेते हैं, जबकि इस दौरान ऑनलाइन क्लास के संचालन में उन्हें लगभग खुद से 20 हज़ार रुपये हर महीने खर्च करने पड़ जाते हैं।
संजीव के ये सेशन हर रोज़ शाम 4 बजे से लेकर शाम 7 बजे तक चलते रहते हैं। इतना ही नहीं, संजीव अपने हर सेशन के नोट्स बनाकर उन्हें पीडीएफ़ फाइल के जरिये छात्रों को मुहैया कराते हैं ताकि छात्रों में किसी भी तरह की कन्फ़्यूजन ना रहे।