वीकली रिकैप: पढ़ें इस हफ्ते की टॉप स्टोरीज़!
यहाँ आप इस हफ्ते प्रकाशित हुई कुछ बेहतरीन स्टोरीज़ को संक्षेप में पढ़ सकते हैं।
इस हफ्ते हमने कई प्रेरक और रोचक कहानियाँ प्रकाशित की हैं, उनमें से कुछ को हम यहाँ आपके सामने संक्षेप में प्रस्तुत कर रहे हैं, जिनके साथ दिये गए लिंक पर क्लिक कर आप उन्हें विस्तार से भी पढ़ सकते हैं।
लड़कियों के लिए डॉक्टर ने अपने PF के पैसों से खरीदी बस
61 वर्षीय डॉ. आर पी यादव कोटपुतली (राजस्थान) के हैं और पेशे से डॉक्टर हैं। कोटपुतली की लड़कियां अब उसी बस से स्कूल-कॉलेज जाती हैं, जिसे डॉक्टर आरपी यादव ने अपने पीएफ के पैसों से खरीदा है।
डॉक्टर आर पी यादव को जब पता चला कि उनके गाँव की लड़कियां भी स्कूल-कॉलेज पैदल चलकर जाती हैं, तो उनसे रहा नहीं गया और उन्होंने अपने पीएफ के पैसों से 19 लाख रुपए निकाल कर लड़कियों के लिए बस खरीद दी। इस दिल छू लेने वाली कहानी को IAS ऑफिसर अवनीष शरण ने अपने ट्विटर पर शेयर किया है।
आपको बता दें, कि यह कहानी 2017 में भी सामने आई थी, लेकिन अवनीष शरण के ट्वीट के बाद यह फिर वायरल हो गई है। उन्होंने इस ट्वीट को 11 मार्च की सुबह शेयर किया था।
महिला सशक्तीकरण की मिसाल बनीं महाराष्ट्र की भाग्यश्री
महाराष्ट्र के नक्सल प्रभावित गढ़चिरौली क्षेत्र के नौ गांवों वाली ग्राम पंचायत कोटि की जुझारू बाईस वर्षीय सरपंच भाग्यश्री लेखामी अपने आदिवासी बहुल इलाके में सामाजिक बदलाव की नई बयार बहा रही हैं। वह प्रायः रोजाना यहां के गांवों में बाइक से पहुंच कर उनके सुख-दुख साझा करती हैं। भाग्यश्री के प्रयासों से अब ये ग्राम पंचायत महिला सशक्तीकरण की मिसाल बन चुकी है।
मुंबई से लगभग दो हजार किलोमीटर दूर छत्तीसगढ़ की सीमा से सटे महाराष्ट्र के नक्सल प्रभावित क्षेत्र गढ़चिरौली के गांव कोटि में जुझारू सरपंच भाग्यश्री लेखामी सामाजिक बदलाव की नई बयार बहा रही हैं। जैसे यहां का पूरा ग्रामीण इलाका उनकी कामयाबियों की नई दास्तान लिख रहा है। भामरागढ़ तहसील स्थित आदिवासी बहुल गांव कोटि का कायाकल्प करने का जब बाईस वर्षीय लेखामी ने बीड़ा उठाया तो यहां को लोगों को न ये पता था कि देश में आजादी के साढ़े सात दशक हो चुके हैं, न ये मालूम था कि चुनाव क्या चीज होती है।
भाग्यश्री लेखामी बताती हैं कि कोटि ग्रामपंचायत में कुल नौ गांव हैं। वर्ष 2019 तक यहां कोई सरपंच नहीं चुना गया क्योंकि नक्सलियों के डर से यहां के लोगों ने सरपंच निर्वाचित करने के लिए कभी न वोट डाले, न नामांकन किया था। उसी साल वर्ष 2019 में पहली बार यहां के लोगों ने अपने मताधिकार का इस्तेमाल कर उन्हे (भाग्यश्री लेखामी) अपना सरपंच निर्वाचित किया। उसके बाद से वह अबुझमार के नक्सल प्रभावित जंगल-पहाड़ी वाले क्षेत्र के नौ गांवों के आदिवासियों का जीवन स्तर आसान करने में जुट गईं।
भाग्यश्री कहती हैं, एक समय ऐसा जरूर आएगा, जब 'दंगल' और 'सांड़ की आंख' जैसी फिल्मों में दिखे हरियाणा के गांवों जैसी गढ़चिरौली की कोटि ग्राम पंचायत की भी किस्मत चमकेगी। वह नक्सली हिंसा और पुलिस मुठभेड़ों से अपने इलाके को बचाकर देश की मुख्य धारा में शामिल करना चाहती हैं।
महिला आंत्रप्रेन्योर्स के लिए सरकार की 'उद्योगिनी योजना'
भारत सरकार ने महिलाओं के कल्याण और उनके विकास के लिए विभिन्न योजनाएं शुरू की हैं। इन सभी योजनाओं को शुरू करने के पीछे सरकार का मकसद महिलाओं को व्यापार और श्रम शक्ति में सशक्त बनाकर आत्मनिर्भर बनाने का रहा है, जिसके लिए महिला विकास निगम (Women Development Corporation) ने उद्योगिनी योजना लागू की है। जैसा कि नाम से पता चलता है, यह योजना देश के ग्रामीण और पिछड़े क्षेत्रों में गरीब, मुख्य रूप से निरक्षर महिलाओं को आर्थिक रूप से समर्थन देकर महिलाओं के बीच उद्यमशीलता को प्रेरित करने में मदद करती है।
इस सरकारी योजना का मुख्य उद्देश्य व्यवसायों और सूक्ष्म उद्यमों को शुरू करके महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने में सहायता करने के लिए इसे नियोजित करना है और उन्हें साहूकारों से उच्च ब्याज दरों पर पैसा उधार लेने से रोकना है।
उद्योगिनी योजना बिना किसी भेदभाव के सभी वर्गों की महिलाओं को ब्याज मुक्त ऋण प्रदान करती है। आवेदक प्रत्येक जिले की निगम शाखा से ऋण के लिए आवेदन प्राप्त कर सकती है। किराणा उद्योग, बेकरी, अचार व्यापार, मछली व्यवसाय, सिलाई कार्य, ब्यूटी पार्लर, एसटीडी बूथ सहित 88 छोटे उद्योगों को ब्याज मुक्त ऋण स्वीकृत किए जाएंगे।
ऋण राशि को बढ़ाकर 3 लाख रुपये किया गया है, जो पहले 1 लाख रुपये थी। सरकार ऋण पर 30% अनुदान (सब्सिडी) का प्रस्ताव करती है। लाभार्थी का चयन पारदर्शी और निष्पक्ष होने पर मूल्यांकन करने के लिए उद्योगी मूल्यांकन का संचालन करता है।
रेलवे स्टेशन पर सैकड़ों बच्चों की ज़िंदगी बचाने वाली महिला पुलिस अफसर
मुंबई के प्रसिद्ध छत्रपति शिवाजी टर्मिनस में तैनात रेलवे पुलिस बल की अफसर रेखा मिश्रा ने अपनी ड्यूटी करते हुए सैकड़ों बच्चों की ज़िंदगी बचाई है। स्टेशन पर ड्यूटी करते हुए उन्होने ऐसे कई बच्चों को रेस्क्यू करने का काम किया है, जिन्हे अगर बचाया न गया होता तो उन बच्चों की ज़िंदगी पूरी तरह बर्बाद भी हो सकती थी।
मूल रूप से उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद की निवासी रेखा मिश्रा को उनके उत्कृष्ट काम के लिए राष्ट्रपति रामनाथ कोविन्द के हाथों सम्मान भी मिल चुका है, इतना ही नहीं साल 2018 में महाराष्ट्र सरकार ने 10वीं के पाठ्यक्रम में रेखा की कहानी को जोड़ने का फैसला भी किया था।
महिला सशक्तिकरण को लेकर उनके द्वारा किए गए इस सराहनीय काम को देखते हुए उन्हें साल 2017 में राष्ट्रपति के हाथों नारी शक्ति पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया था।
रेखा मिश्रा ने बताया है कि साल 2015 से अब तक उन्होंने इस तरह के करीब 950 बच्चों को रेस्क्यू किया है।
दिल्ली के इन भाइयों ने एक ही इमारत में शुरू किए 3 रेस्टॉरेंट
2019 में, सरीन भाइयों - शान, राहुल, और आकाश ने पंजाबी बाग, दिल्ली में एक तीन मंजिला इमारत ली और तीन रेस्टॉरेंट - प्रत्येक मंजिल पर एक, का शुभारंभ किया। तीनों रेस्टॉरेंट, जो एक रसोई साझा करते हैं, का नाम TEO Lounge and Bar, The Dineroom, और Cartoony Planet है।
भाइयों के अनुसार, TEO लाउंज और बार 5 करोड़ रुपये का कारोबार करता है, द डिनरूम 3 करोड़ रुपये का कारोबार करता है, और कार्टोनी प्लैनेट सालाना रेवेन्यू में 2 करोड़ रुपये कमाता है।
25-कर्मचारियों वाले TEO लाउंज एण्ड बार के फाउंडर शान सरीन कहते हैं, "TEO उन लोगों को टारगेट कर रहा है जो पार्टी और डांस करना पसंद करते हैं, विशेष रूप से कपल, कॉलेज के छात्र और कामकाजी पेशेवर।"
कार्टोनी प्लैनेट (Cartoony Planet) - जिसे राहुल सरीन ने स्थापित किया था - भाइयों को इसे शुरू करने में एक साल का समय लगा। माता-पिता होने के नाते, राहुल एक ऐसा स्थान बनाना चाहते थे, जहां उनके बच्चे अपना समय बिताना पसंद करें। जब उन्होंने कार्टोनी प्लैनेट लॉन्च किया, तो उन्होंने स्लाइड्स, सुरंगों, पर्वतारोहियों आदि के साथ एक इनडोर सॉफ्ट प्ले एरिया को शामिल किया।
द डाइनरूम (The Dineroom) में 20 कर्मचारी काम करते हैं। इसके साथ भाइयों का ध्यान उन ग्राहकों पर केंद्रित है जो बढ़िया भोजन का आनंद लेते हैं। द डाइनरूम के फाउंडर आकाश कहते हैं, “दिल्ली में दोस्तों और परिवार के साथ मौज-मस्ती करने के लिए अच्छी जगहों की कमी है। इसलिए, हम युवा लोगों को टारगेट करते हैं, जो लोग परिवार या दोस्तों के साथ उचित डाइन-इन अनुभव चाहते हैं।”
2020 में असफलता के बावजूद, भाई अपने बिजनेस आइडिया और रेस्टॉरेंट वेंचर्स के प्रति आसक्त रहते हैं। वास्तव में, वे विस्तार करना चाह रहे हैं। आकाश कहते हैं, "हम एक साल में दो और शाखाएं खोलने की योजना बना रहे हैं।"