वीकली रिकैप: पढ़ें इस हफ्ते की टॉप स्टोरीज़!
यहाँ आप इस हफ्ते प्रकाशित हुई कुछ बेहतरीन स्टोरीज़ को संक्षेप में पढ़ सकते हैं।
इस हफ्ते हमने कई प्रेरक और रोचक कहानियाँ प्रकाशित की हैं, उनमें से कुछ को हम यहाँ आपके सामने संक्षेप में प्रस्तुत कर रहे हैं, जिनके साथ दिये गए लिंक पर क्लिक कर आप उन्हें विस्तार से भी पढ़ सकते हैं।
खुद पर विश्वास करें; दुनिया आप पर विश्वास करेगी: रितु फोगाट
रितु फोगाट, जो इस समय सिंगापुर में भारत की तरफ सेे ONE Championship मिक्स्ड मार्शल आर्ट्स (MMA) टूर्नामेंट में भाग ले रही हैं। दरअसल, 28 मई को ONE Championship: Empower में 2021 ONE Women’s Atomweight Grand Prix के क्वार्टर फाइनल मुकाबले में रितु दो बार की चीनी एमएमए चैंपियन मेंग बो का सामना करने के लिए पूरी तरह तैयार हैं।
उन्होंने 2016 कॉमनवेल्थ रेसलिंग चैंपियनशिप में भी गोल्ड जीता था। सात साल की उम्र में पेशेवर खेल से मुखातिब होने वाली रितु या उनके परिवार के लिए कुश्ती कोई नई बात नहीं थी।
'फोगाट' नाम को शायद ही किसी परिचय की जरूरत है। इस तथ्य के अलावा कि आमिर खान की फिल्म - दंगल ने रितु की बहनों गीता और बबीता के नाम को घर-घर पहुँचा दिया, फोगाट बहनें अपने दम पर प्रसिद्ध हैं।
रितु YourStory को बताती है, “हम हरियाणा के एक बहुत छोटे से गाँव से आते हैं जिसे बलाली कहा जाता है। एक लड़की के रूप में, चुनने के लिए कई करियर विकल्प नहीं थे। कुश्ती ऐसी चीज थी जिसे देखते और जीते हुए मैं बड़ी हुई हूं, इसलिए मैंने सात साल की उम्र में इस खेल को अपनाया। तब से, पीछे मुड़कर नहीं देखा है। 2019 के लिए तेजी से आगे, मुझे अपने देश और राज्य के लिए कई पदक जीतने के बाद एमएमए में अपना हाथ आजमाने का मौका मिला।”
प्रथमेश ने बनाई चांद की सबसे साफ और खूबसूरत तस्वीर
हाल ही में पुणे के 16 वर्षीय प्रथमेश जाजू द्वारा खीचीं गई चांद की सबसे साफ तस्वीरों में से एक ने इंटरनेट पर गजब की लोकप्रियता हासिल की है। ये तस्वीरें अब सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रही हैं। चांद की बेहद साफ और रंगीन तस्वीरें क्लिक करने वाले प्रथमेश ने 50 हजार से ज्यादा फोटो खींची और 186 गीगाबाइट डेटा का इस्तेमाल किया।
प्रथमेश जाजू खुद को एक शौकीन एस्ट्रोनोमर और एस्ट्रो फोटोग्राफर बताते हैं। वह बताते हैं कि यह मिनरल मून की थर्ड क्वार्टर का सबसे ज्यादा जानकारियों से भरपूर और साफ शॉट है।
अपने इंस्टाग्राम अकाउंट पर इन तस्वीरों को शेयर करते हुए उन्होंने जानकारी दी कि उन्होंने पहले चांद के छोटे-छोटे हिस्सों के 38 वीडियो लिए। हर वीडियो में करीब 2000 फ्रेम हैं। उन्हें स्टेबलाइज करके एक-एक तस्वीर में तब्दील किया गया और फिर साथ में लगाया गया जिससे चांद की पूरी तस्वीर बनी। इसके लिए उन्होंने Celestron 5 Cassegrain OTA (टेलिस्कोप), ZWO ASI120MC-S सुपर-स्पीड USB कैमरा, SkyWatcher EQ3-2 माउंट और GSO 2X BARLOW लेंस का इस्तेमाल किया। फिर शार्पकैप की मदद से तस्वीरें लीं और उन्हें स्टेबलाइज किया।
प्रथमेश ने बताया, "मैंने 3 मई को रात 1 बजे तस्वीर क्लिक की थी। मैंने करीब 4 घंटे तक वीडियो और फोटो कैप्चर की। इसके बाद इसे प्रोसेस करने में 38-40 घंटे लगे। 50,000 तस्वीरों के पीछे मुख्य वजह चांद की सबसे क्लियर तस्वीर उतारना था। मैंने सारी तस्वीरों को एक साथ जोड़ा और चांद की बारीक जानकारी देखने के लिए तस्वीर को शार्प किया।"
44 करोड़ के रेवेन्यु वाले डेयरी ब्रांड सिड्स फार्म की कहानी
आईआईटी खड़गपुर से ग्रेजुएट करने वाले किशोर इंदुकुरी की यह महत्वाकांक्षाएं तब हकीकत बन गईं, जब उन्होंने अमेरिका के एमहर्स्ट में स्थित मैसाचुसेट्स यूनिवर्सिटी से पॉलिमर साइंस एंड इंजीनियरिंग में मास्टर और पीएचडी की डिग्री पूरी की और फिर उन्हें वही इंटेल कंपनी में नौकरी मिल गई।
हालाँकि नौकरी करने के करीब छह साल बाद, किशोर को एहसास हुआ कि उनका असली जुनून खेती-बाड़ी है।
भारत में उनके परिवार के पास कर्नाटक में कुछ जमीन थी, और किशोर यहां रहने के दौरान उन खेतों में जाया करते थे और वहां किसानों के साथ बातचीत करते थे।
वह कहते हैं, “मैंने अपनी नौकरी छोड़ने और कृषि से जुड़ी अपनी जड़ों की ओर लौटने का फैसला किया। हैदराबाद वापस आने पर, मैंने महसूस किया कि यहां किफायती और बिना मिलावट वाले दूध के विकल्प सीमित हैं। मैं ना केवल अपने बेटे और अपने परिवार के लिए, बल्कि हैदराबाद के लोगों के लिए भी बदलाव लाना चाहता था।
इससे उन्हें अपना डेयरी फार्म और दूध ब्रांड शुरू करने के लिए प्रेरणा मिली। 2012 में, उन्होंने कोयंबटूर से 20 गायें खरीदीं और हैदराबाद में एक डेयरी फार्म शुरू किया। किशोर ने सब्सक्रिप्शन के आधार पर शहर के उपभोक्ताओं को सीधे दूध सप्लाई करना शुरू कर दिया और उनका कारोबार बढ़ने लगा।
उन्होंने 2016 में, ब्रांड को आधिकारिक तौर पर सिड्स फार्म (Sid’s Farm) के नाम से रजिस्टर कराया। किशोर ने इस फार्म का नाम अपने बेटे सिद्धार्थ के नाम पर रखा है। किशोर का दावा है कि आज की तारीख में उनके ब्रांड में करीब 120 कर्मचारी हैं और वे प्रतिदिन 10,000 से अधिक ग्राहकों को दूध पहुंचाते है। साथ ही पिछले साल इस फार्म ने 44 करोड़ रुपये का कारोबार भी किया।
हीरे की खान में काम करने वाले का लड़का है देश का सबसे युवा IPS
गुजरात के कनोदर गाँव में साल 1995 में जन्मे सफीन हसन ने सबसे कम उम्र में आईपीएस बन कर इतिहास रच दिया था। जब सफीन आईपीएस अधिकारी बने थे उस समय उनकी उम्र महज 22 साल थी। शुरुआती जीवन की तमाम कठिनायों के साथ ही UPSC परीक्षा की तैयारी के दौरान भी हसन ने ऐसी कई मुश्किलें झेलीं जिनके सामने किसी का भी मनोबल टूट सकता था, लेकिन हसन के इरादों के आगे वे सभी मुश्किलें बौनी ही साबित हुईं।
सफीन ने साल 2018 में UPSC सिविल सेवा परीक्षा पास करते हुए 570वीं रैंक हासिल की थी। आईपीएस की ट्रेनिंग पूरी करने के बाद 23 दिसंबर 2019 में सफीन की पहली तैनाती गुजरात के जामनगर में बतौर सहायक पुलिस अधीक्षक हुई थी।
सफीन का जन्म एक गरीब परिवार में हुआ था जहां उनके पिता घर चलाने के लिए हीरे की खदान में बतौर मजदूर काम करते थे, जबकि सफीन की शिक्षा में कोई रुकावट ना आए इसके लिए उनकी माँ दूसरों के घरों में खाना बनाने का काम किया करती थीं।
पढ़ाई के प्रति सफीन की लगन को देखते हुए उनके स्कूल के प्रधानाचार्य ने उनकी फीस माफ कर दी थी, इसी के साथ एक अन्य परिवार ने उनके ट्यूशन का खर्च उठाना शुरू कर दिया था।
हसन मानते हैं कि, "लोगों को अपने भाग्य के भरोसे नहीं बैठे रहना चाहिए बल्कि अपने लक्ष्य की तरफ हर परिस्थिति में बढ़ते रहना चाहिए, अगर हम बिना रुके लक्ष्य की तरफ बढ़ने की ठान लेते हैं तो ऐसे में भाग्य को साथ देने के लिए आना ही पड़ता है।"
प्लास्टिक कचरे का इस्तेमाल कर कम लागत वाले स्टाइलिश फर्नीचर बना रहा है ये स्टार्टअप
नरसी मोंजी इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट स्टडीज (NMIMS) के दो छात्रों- सनी गोयल और उन्नति मित्तल ने प्लास्टिक के नुकसानदायक प्रभाव को कम करने का फैसला किया है। दोनों ने इस साल की शुरुआत प्लामेंट नाम की एक कंपनी की स्थापना की। यह कंपनी प्लास्टिक कचरे से कई तरह के मटेरियल बनाती है, जिसका उपयोग फर्नीचर और आंतरिक सजावट के लिए वस्तुओं के निर्माण के लिए किया जा सकता है।
इंदौर स्थित Plament को कम लागत वाले एक कारोबारी प्रयास के रूप में लॉन्च किया गया था, जिसका उद्देश्य पर्यावरण के अनुकूल, आकर्षक और उपयोगी उत्पादों का बनाकर प्लास्टिक कचरे को खत्म करना था। प्लामेंट नाम, प्लास्टिक और मैनेजमेंट शब्दों से मिलकर बना है।
प्लामेंट ने मूल रूप से एक नया मटेरियल विकसित किया है, जिसका उपयोग कम लागत और अच्छी क्वालिटी वाले वाले फर्नीचर और आंतरिक साज-सज्जा के उत्पादों को बनाने में किया जा सकता है। यह शत प्रतिशत रिसाइकिल किया जाता है और बेकार या फेंक दिए गए प्लास्टिक से बनाया जाता है।
कंपनी के को-फाउंडर सनी कहते हैं, "यह पूरी तरह से पर्यावरण के अनुकूल है क्योंकि भले ही उत्पाद अक्षम और/या फ्रैक्चर हो जाए, लेकिन इससे बने मैटेरियल का उपयोग फिर से एक नया उत्पाद बनाने के लिए किया जा सकता है। इसलिए यह एक निरंतर रीसाइक्लिंग प्रक्रिया है।”
उन्नति बताती हैं, “हमने पहला प्रोटोटाइप अपने कैंपस, एनएमआईएमएस इंदौर में विकसित किया। रसायन विज्ञान प्रयोगशाला का उपयोग करने के लिए जरूरी अनुमति हासिल करने में हमारे मेंटॉर और फैकल्टी डॉ. राजर्षि सरकार ने हमारी मदद की। टेस्ट और ट्रायल करने के कुछ महीनों के भीतर, हमने प्लास्टिक से सामग्री विकसित की।”