[स्टार्टअप भारत] प्लास्टिक कचरे का इस्तेमाल कर कम लागत वाले स्टाइलिश फर्नीचर बना रहे हैं इंदौर के ये छात्र
इंदौर स्थित स्टार्टअप Plament को उम्मीद है कि पर्यावरण के अनुकूल, आकर्षक और उपयोगी उत्पादों को बनाकर प्लास्टिक कचरे का पर्यावरण पर पड़ने वाले प्रभाव को कम किया जा सकता है।
सभी जानते हैं कि प्लास्टिक से पर्यावरण और स्वास्थ्य से जुड़े खतरों को पैदा होते हैं। हालांकि इसके बावजूद हम इसका उपयोग करना बंद नहीं कर सकते हैं। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) की एक रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में हर साल 33 लाख मीट्रिक टन प्लास्टिक कचरा पैदा होता है।
हालांकि नरसी मोंजी इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट स्टडीज (NMIMS) के दो छात्रों- सनी गोयल और उन्नति मित्तल ने प्लास्टिक के नुकसानदायक प्रभाव को कम करने का फैसला किया है। दोनों ने इस साल की शुरुआत प्लामेंट नाम की एक कंपनी की स्थापना की। यह कंपनी प्लास्टिक कचरे से कई तरह के मटेरियल बनाती है, जिसका उपयोग फर्नीचर और आंतरिक सजावट के लिए वस्तुओं के निर्माण के लिए किया जा सकता है।
इंदौर स्थित Plament को कम लागत वाले एक कारोबारी प्रयास के रूप में लॉन्च किया गया था, जिसका उद्देश्य पर्यावरण के अनुकूल, आकर्षक और उपयोगी उत्पादों का बनाकर प्लास्टिक कचरे को खत्म करना था। प्लामेंट नाम, प्लास्टिक और मैनेजमेंट शब्दों से मिलकर बना है।
प्लामेंट ने मूल रूप से एक नया मटेरियल विकसित किया है, जिसका उपयोग कम लागत और अच्छी क्वालिटी वाले वाले फर्नीचर और आंतरिक साज-सज्जा के उत्पादों को बनाने में किया जा सकता है। यह शत प्रतिशत रिसाइकिल किया जाता है और बेकार या फेंक दिए गए प्लास्टिक से बनाया जाता है।
कंपनी के को-फाउंडर सनी कहते हैं, "यह पूरी तरह से पर्यावरण के अनुकूल है क्योंकि भले ही उत्पाद अक्षम और/या फ्रैक्चर हो जाए, लेकिन इससे बने मैटेरियल का उपयोग फिर से एक नया उत्पाद बनाने के लिए किया जा सकता है। इसलिए यह एक निरंतर रीसाइक्लिंग प्रक्रिया है।”
प्लामेंट अपने खरीदारों को क्षतिग्रस्त वस्तुओं के बदले में नए उत्पादों लेने का अवसर भी देता है। कंपनी दावा करती है कि स्कूलों और फर्नीचर निर्माताओं के साथ बिक्री की एक पाइपलाइन भी पहले ही पैदा कर चुकी है।
शुरुआत
महामारी की शुरुआत से ठीक पहले मध्य प्रदेश में अमरकंटक हिल्स की एक कैंपिंग ट्रिप के दौरान इसकी शुरुआत हुई थी, जहां सन्नी और उन्नति ने पाया कि सभी फूड की दुकाने उन्हें प्लास्टिक की पैकेजिंग में फूड सर्व कर रहे हैं।
सनी याद करते हैं, “यह पैकेजिंग केवल एक बार उपयोग की जाती हैं और अधिकतर पर्यटक इन्हें इधर-उधर फेंक देते थे, जिससे आसपास के वातावरण भी प्रदूषित हो जाते हैं। हमने देखा कि जानवर इन बचे हुए खाने और इनसे साथ प्लास्टिक की पैकेजिंग को भी खा रहे हैं।”
उन्होंने यह भी पाया कि स्थानीय लोग सर्दियों के दौरान गर्मी के लिए लकड़ी के साथ प्लास्टिक और पॉलिथीन को जलाते हैं, जिससे पर्यावरण प्रदूषित होता है और हानिकारक गैसों का उत्सर्जन होता है।
सनी कहते हैं, "उन्नति और मैंने फिर इस समस्या को ठीक करने के लिए कुछ करने का फैसला किया और फिर हम प्लामेंट को शुरू करने के विचार पर पहुंचे।"
प्लामेंट के विचार को अमल में लाने से पहले, दोनों ने यह सोचना शुरू किया कि प्लास्टिक कचरे से क्या किया जा सकता है और फिर उन्हें इस एक नई सामग्री के बारे में सोचा, जिसका इस्तेमाल डिजाइनर फर्नीचर बनाने में किया जा सकता है।
उन्नति बताती हैं, “हमने पहला प्रोटोटाइप अपने कैंपस, एनएमआईएमएस इंदौर में विकसित किया। रसायन विज्ञान प्रयोगशाला का उपयोग करने के लिए जरूरी अनुमति हासिल करने में हमारे मेंटॉर और फैकल्टी डॉ. राजर्षि सरकार ने हमारी मदद की। टेस्ट और ट्रायल करने के कुछ महीनों के भीतर, हमने प्लास्टिक से सामग्री विकसित की।”
प्रोटोटाइप सिंगल-यूज प्लास्टिक या लो-डेंसिटी पॉलीइथाइलीन से बना है।
सनी बताते हैं, “हमने रेजिस्टेंस टेस्ट (पानी और गर्मी), स्ट्रेंथ टेस्ट और ड्यूराबिलिटी टेस्ट जैसे गुणों को समझने के लिए प्रोटोटाइप पर कई तरह के टेस्ट किए हैं। उत्पाद का टेक्सचर काफी खूबसूरत हैं, संगमरमर की तरह महसूस होता है और विभिन्न बनावट और रंगों में उपलब्ध हैं। उत्पादों का आधार स्टेनलेस स्टील या लकड़ी है, जो उन्हें वजन और सपोर्ट देते हैं। 18 किलोग्राम उत्पाद बनाने के लिए करीब 30-32 किलोग्राम प्लास्टिक की कच्चे माल या प्लास्टिक कचरे के तौर पर आवश्यकता होती है।”
कारोबार और प्रतिस्पर्धा
प्लामेंट का मुख्य फोकस फर्नीचर और आंतरिक उत्पादों पर है। संस्थापकों का कहना है कि सामग्री की कम लागत के चलते, इससे ऐसे उत्पादों को बनाने में मदद करती है जो अधिक महंगे नहीं होते हैं।
उन्होंने आगे बताया, "लकड़ी का फर्नीचर महंगा है और वनों की कटाई से पर्यावरण को नुकसान पहुंचाता है। दूसरी ओर, हम 180cmX120cm चौड़ाई और मोटाई का एक मानक आकार तालिका बनाने में सक्षम हैं, जो 2,000 रुपये प्रति यूनिट की दर से बिक रही है।”
उन्नति का कहना है कि प्लामेंट का फिलहाल बाजार में किसी से सीधा मुकाबला नहीं है। वह आगे कहती हैं, "हम एक नई सामग्री का उपयोग कर रहे हैं। हालांकि हम लकड़ी, संगमरमर, सादे प्लास्टिक आदि में पहले से उत्पाद लाइनों को देख सकते हैं। नीलकमल प्लास्टिक सामग्री फर्नीचर बाजार में सबसे बड़े खिलाड़ियों में से एक है।"
सनी का कहना है कि इंदौर एक बेस के रूप में जरूरतों के अनुकूल है क्योंकि शहर के नगर निगम ने कच्चे माल- प्लास्टिक कचरे के जरिए दोनों की मदद करने के लिए हाथ बढ़ाया है।
प्लामेंट दावा करती है कि वह इंदौर में फर्नीचर निर्माताओं को अपना उत्पाद बेचती है और वित्त वर्ष 2021-22 में करीब 12 लाख रुपये का लाभ कमाने की राह पर है।
वह कहते हैं, "हम एक प्रसिद्ध विश्वविद्यालय के लिए 25 पेपरवेट बनाने और वितरित करने में सफल रहें है और दूसरे संगठन को 30 टेबल की आपूर्ति भी की है।"
उन्नति कहते हैं कि कोविड-19 की दूसरी लहर के कारण, मैन्युफैक्चरिंग को रोकना पड़ा। हालांकि प्लामेंट को नेत्रहीन बच्चों के एक स्कूल के लिए 120 टेबल का ऑर्डर मिला है और इसे जल्द से जल्द पूरा करने की योजना है।
फंडिंग और भविष्य
प्लामेंट ने कंपनी को शुरू करने के लिए संस्थापकों के दोस्तों और परिवार से 3 लाख रुपये की शुरुआती पूंजी जुटाई। इस उद्यम को वाधवानी फाउंडेशन के एनईएन नेक्स्ट जेन प्रोग्राम द्वारा भी चुना गया है ताकि इसकी यात्रा शुरू करने में मदद मिल सके। आने वाले समय में दोनों इस साल लगभग 15 लाख रुपये जुटाने की सोच रहे हैं।
यह स्टार्टअप अपने कामकाज का विस्तार करने के लिए एक मैन्युफैक्चरिंग प्लांट स्थापित करना चाहती है।
सनी कहते हैं, “हम शुरुआत में इस नई पेशकश से पारंपरिक फर्नीचर बाजार पर कब्जा करने के उद्देश्य से टेबल फर्नीचर के निर्माण पर ध्यान फोकस करेंगे। हमारी योजना 18-25 आयु वर्ग के लोगों को ध्यान में रखकर उन्हें अपने घरों, स्कूलों, रेस्टोरेंट, कार्यालय आदि के लिए नए स्टाइल और कम लागत वाले फर्नीचर की पेशकश करने की है।"
महामारी ने कंपनी को हायरिंग रोकने पर मजबूर कर दिया और वर्तमान में प्लामेंट का प्रबंधन केवल दो संस्थापकों द्वारा किया जाता है।
सनी कहते हैं, “हमारी योजना कम से कम 15 कुशल टीम के सदस्यों को नियुक्त करने की है जो महामारी की स्थिति में सुधार के तुरंत बाद प्रभावी ढंग से संचालन कर सकें।”