पढ़ें इस हफ्ते की सबसे बेहतरीन और प्रेरणादायक कहानियाँ!
इधर हम आपके सामने इस हफ्ते प्रकाशित हुईं कुछ बेहतरीन स्टोरीज़ संक्षेप में पेश कर रहे हैं, जिन्हे उनके साथ दिये गए लिंक पर क्लिक कर आप विस्तार से भी पढ़ सकते हैं।
कर्नाटक की पहली महिला गृह सचिव बनीं डी रूपा मौदगिल हमेशा से महिला सशक्तिकरण को लेकर आवाज़ उठाती रही हैं, तो वहीं दूसरी ओर राजस्थान की चन्द्रकला राव ने अपने फुटबॉलर भाई की याद में खुद इसी फील्ड में करियर बनाने की ठानी और आज वे कोच के रूप में बच्चों को खेल के साथ समानता का पाठ भी पढ़ा रही हैं।
इसी तरह की कुछ बेहतरीन कहानियाँ हमने इस हफ्ते प्रकाशित की हैं। यहाँ हम आपके सामने उन्हे संक्षेप में प्रस्तुत कर रहे हैं, जिनके साथ दिये गए लिंक पर क्लिक कर आप उन्हे विस्तार से पढ़ सकते हैं।
राज्य की पहली महिला गृह सचिव
कर्नाटक की पहली महिला गृह सचिव बनीं डी रूपा मौदगिल महिला सशक्तिकरण को लेकर हमेशा से आवाज़ उठाती रही हैं। साल 2002 बैच की ये आईपीएस अधिकारी महिलाओं को उनके हक के लिए खड़े होने और लड़ने के लिए भी प्रेरित करती रहती हैं।
इस बारे में बात करते हुए डी रूपा कहती हैं,
“अगर हमारा कोई सपना है, तो हमें लगातार उसका पीछा करना होगा और सपने के प्रति काम करने की यह हिम्मत घर पर शुरू होती है। हमें पुरुषों और महिलाओं की सामाजिक सौंपी गई भूमिकाओं के साथ दूर करने की जरूरत है- कि लड़कियां रसोई में मां की मदद करती हैं जबकि लड़के बाजार में पिता की मदद करते हैं।”
इन आईपीएस अधिकारी के बारे में और अधिक आप इधर पढ़ सकते हैं।
भाई की याद में बनीं फुटबॉल कोच
आठ साल पहले जब चंद्रकला राव के भाई जो खुद भी एक स्टार फुटबॉल प्लेयर थे और राजस्थान की तरफ से खेलते हुए राष्ट्रीय फुटबॉल टूर्नामेंट में राज्य का मान बढ़ा चुके थे, उनका जब सड़क दुर्घटना में देहांत हुए तो चंद्रकला के लिए यह बेहद कठिन समय था। उनके भाई उनके लिए फुटबॉल के गुरु थे और वे उन्हे ही अपनी प्रेरणा मानती थीं। उनके भाई जब भी फुटबॉल खेलते थे और वे अपने भाई और उनकी टीम को चीयर करती थी।
योरस्टोरी के साथ हुई बातचीत में उन्होने बताया,
“मैं उन्हें खेलते हुए देखना पसंद करती थी। मैं उनकी हरकतों को बहुत ही बारीकी से देखती थी। मैं उनके हर टार्गेट को सेलिब्रेट करती थी, जैसे मैं उनकी टीम का हिस्सा थी।”
बाद में फुटबॉल खेलने की शौकीन चन्द्रकला ने अपने भाई के कदमों पर चलते हुए फुटबॉल के खेल से जुड़े रहने का फैसला किया और आज वो चर्चित फुटबॉल कोच हैं। चन्द्रकला की यह स्टोरी आप इधर विस्तार से पढ़ सकते हैं।
छोड़ दी सरकारी नौकरी
गरीब और आदिवासी जनजातियों से जुड़े बच्चों की शिक्षा के लिए अपनी केंद्र सरकार की शिक्षक की नौकरी छोड़ देने वाली डॉ. ह्रदेश चौधरी की कहानी बेहद प्रेरणापूर्ण है। साल 2011 में सड़क किनारे खेलते इन बच्चों की शिक्षा के उद्देश्य से अपनी डॉ. ह्रदेश ने सरकारी नौकरी से त्यागपत्र दे दिया था।
वो कहती हैं,
“शिक्षा सबका हक है ऐसे में इन बच्चों को भी शिक्षा मिलनी चाहिए। पढ़-लिखकर ये बच्चे भी बेहतर समाज और राष्ट्र का निर्माण करने में अहम भूमिका निभा सकते हैं।”
डॉ. ह्रदेश को उनके इस सराहनीय काम के लिए उन्हे मलाला अवार्ड से भी नवाजा जा चुका है। इनकी यह प्रेरणा से भरी हुई कहानी आप इधर विस्तार से पढ़ सकते हैं।
खास है ‘चोखाहार’
झीलों का शहर और मेवाड़ के पूर्व साम्राज्य की राजधानी उदयपुर इतिहास, राजघराने, महलों, संस्कृति और परंपराओं का पर्याय है। उदयपुर की समृद्ध संस्कृति से प्रेरित होकर 2019 में जेनी चौधरी ने एक ऑनलाइन और ऑफलाइन मार्केटप्लेस चोखाहार को लॉन्च किया, जो सिल्वर ज्वैलरी की रेंज पेश करता है।
जेनी की सिल्वर एसेसरीज़ को माधुरी दीक्षित और मोनी रॉय भी पहन चुकी हैं। जेनी का ब्रांड ‘चोखाहार’ आज तेजी के साथ इस लग्जरी बाज़ार में जगह बनाने के उद्देश्य से आगे बढ़ रहा है। चोखाहार की पूरी स्टोरी आप इधर पढ़ सकते हैं।
लॉकडाउन में बेंचे 40 लाख के आम
कोरोना वायरस महामारी के चलते लागू हुए देशव्यापी लॉकडाउन ने एक ओर जहां किसानों के सामने बड़ी समस्याओं को खड़ा किया है, वहीं इस दौरान एक किसान ऐसा भी है जिसने केसर आमों के जरिये 40 लाख रुपये का व्यापार करने में सफलता पाई है। आज भारत के लगभग सभी हिस्सों के साथ इनके आमों की मांग विदेशों में भी है।
गुजरात के राजकोट में रहने वाले कपिल सोरठिया ने महज 2 साल पहले ही आमों के व्यवसाय में अपने कदम रखे हैं और उन्होंने पहले साल से ही मुनाफा कमाना शुरू कर दिया था। कपिल इसके पहले बतौर एक आईटी इंजीनियर अपनी सेवाएँ दे रहे थे, लेकिन कुछ अलग करने की चाह उन्हें आमों के इस व्यवसाय तक खींच लाई। कपिल यह खास कहानी आप इधर विस्तार से पढ़ सकते हैं।