Brands
YSTV
Discover
Events
Newsletter
More

Follow Us

twitterfacebookinstagramyoutube
Yourstory
search

Brands

Resources

Stories

General

In-Depth

Announcement

Reports

News

Funding

Startup Sectors

Women in tech

Sportstech

Agritech

E-Commerce

Education

Lifestyle

Entertainment

Art & Culture

Travel & Leisure

Curtain Raiser

Wine and Food

Videos

ADVERTISEMENT
Advertise with us

आनंद महिंद्रा के ट्वीट से वह कौन सी बात निकली, जो दूर तक चलती चली गई!

आनंद महिंद्रा के ट्वीट से वह कौन सी बात निकली, जो दूर तक चलती चली गई!

Sunday December 29, 2019 , 5 min Read

भारत के शीर्ष उद्योगपतियों में आनंद महिंद्रा की बात ही कुछ ऐसी रही, निजी जिंदगी में मोबाइल की दखलंदाजी की। इस पते की बात में 'बाल की खाल' कहावत की तरह आनंद महिंद्रा की एक चूक सोशल मीडिया पर वायरल होने लगी कि कोट कविता गुलजार की नहीं। चूक स्वाभाविक थी। आनंद महिंद्रा कवि-शायर तो है नहीं।

k

भारत के शीर्ष उद्योगपतियों में एक आनंद महिंद्रा की एक बात जो निकली तो बहुत दूर तक, दूर-दूरतक चलती चली गई। बात ही कुछ ऐसी रही। बात निजी जिंदगी में मोबाइल की दखलंदाजी की।


सचमुच, मोबाइल फोन जितनी तेजी से पूरी दुनिया में आम जिंदगी का हिस्सा बन गया है, वैसा शायद किसी और नए आविष्कार के साथ कम ही हुआ है। वह हर खासोआम जनजीवन में कितने गहरे पैठ चुका है, इसका अंदाजा अमेरिका की मिसूरी यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों की एक सलाह से मिल चुका है।


उनका कहना है कि जो लोग आईफोन इस्तेमाल करते हैं, उन्हें तब अपना फोन जरूर साथ रखना चाहिए, जब वे ऐसा कोई काम कर रहे हों, जो बहुत महत्वपूर्ण हो या जिसमें बहुत ज्यादा ध्यान लगाने की जरूरत हो।


अगर आईफोन इस्तेमाल करने वाले अपने फोन से दूर होते हैं, तो उनकी एकाग्रता और कार्यक्षमता घट जाती है, क्योंकि फोन सिर्फ उनके रोजमर्रा के जीवन का नहीं, बल्कि व्यक्तित्व का हिस्सा बन जाता है। जब वे फोन से दूर रहते हैं, तो उन्हें ऐसा महसूस होता है कि उनके व्यक्तित्व का एक हिस्सा छूट गया है और एक अधूरेपन का एहसास होता है। इसका शारीरिक और मानसिक असर भी होता है और वे पूरी क्षमता से काम नहीं कर पाते।





आनंद महिंद्रा से जुड़ा मोबाइल का ताज़ा वाकया कुछ इस तरह है। वह सोशल मीडिया पर तो लगातार सक्रिय रहते ही हैं और उनके ट्वीट यूजर्स के बीच खासे पसंद भी किए जाते हैं लेकिन उनके एक ट्वीट में यूजर्स ने गलती निकाल दी। दरअसल, आनंद महिंद्रा ने एक हिंदी कविता को ट्विटर पर शेयर किया, जिसमें उन्होंने बताया था कि आखिर मोबाइल अब हमारे रोजमर्रा का कितना अहम हिस्सा हो चुका है।


गुलजार को धन्यवाद देते हुए इसी पोस्ट के साथ उन्होंने एक कविता को शेयर कर लिया- 'खुद से ज्यादा संभाल कर रखता हूं मोबाइल अपना, क्योंकि रिश्ते सारे अब इसी में कैद हैं।' साथ ही लिख दिया कि कविता गुलजार की है। (Thank you Gulzarji, for giving me the logic for remaining wedded to my device!) बस यही आनंद महिंद्रा से चूक हो गई।

यूजर्स ने उन्हें उनकी गलती का अहसास कराते हुए तारीफ के साथ यह भी बता दिया कि उनके ट्वीट में प्रसारित एक जानकारी सही नहीं है। यूजर्स ने उनके इस ट्वीट पर पोस्ट किया कि यह लाइनें गुलजार की नहीं हैं। कुछ यूजर्स ने आगाह किया कि फेसबुक पर भी यह कविता गुलजार के नाम से ही चल रही है लेकिन दरअसल, यह गुलजार की है नहीं।


जब बातें ढेर सारी होने लगती हैं, रोजमर्रा में उनकी तरह तरह से आमद होने लगती है तो चूक हो जाना भी लाजिमी रहता है। यहां तक कि कोई डॉक्टर भी जानबूझकर ऑपरेशन के बाद मरीज के पेट में अपने उपकरण नहीं छोड़ देता है, न ही कोई न्यायाधीश वादी-प्रतिवादी को गलत फैसला देने के हक में होता है।


आनंद महिंद्रा वैसे भी कवि-शायर नहीं कि उनके दिमाग साहित्य को मुकम्मल कोई तस्दीक रहे। बात इस चूक की भी नहीं, बात है आनंद महिंद्रा के उस मूल कथ्य की, जिसमें वह मोबाइल के जिंदगी का हिस्सा बन जाने की बात करते हैं। वैसे भी उनका हर ट्वीट पल-भर में वायरल हो जाता है। उनका मोबाइल वाला ट्वीट इसलिए भी लोगों के दिल को छू गया कि उसने लोगों के व्यक्तित्व पर कब्जा कर लिया है। मोबाइल की व्यस्तता सेल्फी के बहाने सैकड़ों लोगों की जानतक ले चुकी है।


इसी क्रम में 27 दिसंबर को एक वीडियो शेयर करते हुए आनंद महिंद्रा लिखते हैं कि

‘‘हम अक्सर मोबाइल की आलोचना करते हैं। हम कहते हैं कि मोबाइल ने हमारी जिंदगी में कब्जा कर लिया है लेकिन हमें समझना चाहिए कि इन उपकरणों ने हम में से कई लोगों के लिए संचार की एक पूरी दुनिया खोल कर रख दी है।’’

शेयर होने के बाद उस वीडियो को तीन हजार से ज्यादा लाइक्स और 700 से ज्यादा रि-ट्वीट्स मिल चुके हैं। लोग इस वीडियो की खूब तारीफ कर रहे हैं।


एक यूजर ने लिखा,

‘‘देश जैसे-जैसे आगे बढ़ रहा है, वैसे-वैसे नई तकनीकी आ रही हैं। नए गैजेट्स बन रहे हैं। बहुत कुछ नया हो रहा है। हर चीज के दो पहलू होते हैं। बस आप उससे फायदा उठाते हैं या नुकसान करते हैं, यह आपके ऊपर निर्भर करता है। इस वीडियो कॉल का बहुत अच्छा उपयोग किया गया, जो वॉइस कॉल से पॉसिबल नहीं था।’’


आज मोबाइल साथ न हो, तो ज्यादातर लोगों को लगने लगता है कि ‘भीड़ में अकेले’ हो गए हैं, वह दुनिया से अलग हो गया है। मानव और यंत्र का ऐसा रिश्ता इतिहास में पहले कभी सुनने में नहीं आया। आनंद महिंद्रा इसी निष्कर्ष की ओर इशारा करते हैं।