इमरजेन्सी फंड बनाना क्यों है जरूरी? किन बातों का रखें ध्यान
इमरजेन्सी फंड के अलग से रहने से मुश्किल वक्त में आपकी दूसरी सेविंग्स पर आंच नहीं आती है.
जिंदगी में मुसीबत कभी बताकर नहीं आती. आपको कभी भी अचानक से पैसों की तत्काल जरूरत पड़ सकती है. इसे ही इमरजेन्सी सिचुएशन कहते हैं जैसे कि कोई मेडिकल इमरजेन्सी, नौकरी जाना आदि. ऐसी ही आकस्मिक परिस्थितियों के लिए हर किसी को एक फंड जोड़कर रखना चाहिए. इसे ही इमरजेंसी फंड (Emergency Fund) कहते हैं. इमरजेन्सी फंड के अलग से रहने से सबसे बड़ा फायदा यह है कि मुश्किल वक्त में आपकी दूसरी सेविंग्स पर आंच नहीं आती है. आइए जानते हैं कि आप कैसे इमरजेन्सी फंड बना सकते हैं और कैसे उसे बरकरार रख सकते हैं...
पहले जानें किस तरह की हो सकती हैं इमरजेन्सी
शार्ट टर्म इमरजेन्सीः घर या ऑफिस में रिपयेरिंग का काम, आकस्मिक यात्रा, यात्रा के दौरान गाड़ी खराब हो जाना, महंगे इलाज वाली बीमारी या माइनर सर्जरी, यात्रा के दौरान चोरी, बाढ़ से घर के सामान को पहुंचा नुकसान, आदि.
लॉन्ग टर्म इमरजेन्सीः किसी मेडिकल या पारिवारिक समस्या के चलते काम से लंबा ब्रेक, अत्यधिक महंगे इलाज वाली गंभीर बीमारी, नौकरी चली जाना, प्राकृतिक आपदा में घर को नुकसान आदि.
कितना अमाउंट इमरजेन्सी के लिए निकालें
इमरजेन्सी फंड में सामान्य रूप से इतना अमाउंट सेव होना चाहिए जितना कि 6-7 माह के लिए आपके पारिवारिक खर्चों की पूर्ति के लिए पर्याप्त हो. अगर कभी ऐसे हालात पैदा हो जाएं कि कुछ वक्त तक आय का स्त्रोत न रहे तो आपके घर के खर्चों को चलाने में इतना फंड मददगार रहेगा. वहीं किसी मेडिकल इमरजेन्सी में भी एक पर्याप्त इमरजेन्सी फंड काफी हद तक वित्तीय बोझ को कम कर सकता है.
किधर जमा करें इमरजेन्सी फंड
इमरजेन्सी फंड का मतलब ही यही है कि मुश्किल घड़ी में आप इसे बिना देरी और आसानी से एक्सेस कर सकें. इसलिए यह फंड पूरी तरह लिक्विड फॉर्म में रखें और ऐसे वित्तीय प्रॉडक्ट में पैसे लगाएं, जिसमें से जरूरत पड़ने पर आसानी से पैसे निकाले जा सकें. साथ ही रिटर्न भी ठीक-ठाक मिले. उदाहरण के तौर पर सेविंग्स अकाउंट में, स्वीप इन फिक्स्ड डिपॉजिट में, लिक्विड म्यूचुअल फंड में या कैश के फॉर्म में. कैश इसलिए क्योंकि कुछ परिस्थितियां ऐसी हो सकती हैं जब डिजिटल पेमेंट का विकल्प काम न आए, जैसे कि चक्रवात, भारी बर्फबारी आदि. ऐसी आपदाओं में इंटरनेट कनेक्शन प्रभावित हो जाते हैं. कोशिश रहनी चाहिए कि आपके पास इतना कैश हो कि 7-10 दिन के खर्चे चल सकें.
‘फिर कर लेंगे’ कहकर टालना नुकसानदेह
टालमटोल किसी भी काम के लिए अच्छी नहीं है और इमरजेन्सी फंड के मामले में तो टालमटोल नुकसानदेह है. इसे जितनी जल्दी हो सके क्रिएट कर लें और कोशिश करें कि आप अपनी हर माह की अर्निंग का एक हिस्सा इमरजेन्सी फंड में जरूर डालें. इसे एक आदत बना लें और बाकी बचे पैसों में अपने खर्चों को मैनेज करने की कोशिश करें.