REC लिमिटेड को मिला ‘महारत्न’ कंपनी का दर्जा, जानें क्या होती है ‘महारत्न’ कंपनियां

आरईसी एक नॉन–बैंकिंग फाइनेंस कंपनी (NBFC) है, जो देश भर में बिजली क्षेत्र को फंड्स मुहैया कराने और विकास पर ध्यान केंद्रित करती है. लेकिन ‘महारत्न’ कंपनी होने के मायने क्या है, किसे और कैसे यह दर्जा हासिल होता है?

REC लिमिटेड को मिला ‘महारत्न’ कंपनी का दर्जा, जानें क्या होती है ‘महारत्न’ कंपनियां

Friday September 23, 2022,

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पब्लिक सेक्टर कंपनी REC लिमिटेड को हाल ही में ‘महारत्न’ का दर्जा दिया गया है. इस प्रकार, आरईसी को संचालन और वित्तीय मामलों में अपेक्षाकृत अधिक ऑटोनमी दी गई है. वित्त मंत्रालय के अंतर्गत आने वाले लोक उद्यम विभाग की ओर से इस आशय का एक आदेश जारी कर दिया गया है. वर्ष 1969 में स्थापित, आरईसी एक नॉन–बैंकिंग फाइनेंस कंपनी (NBFC) है, जो देश भर में बिजली क्षेत्र को फंड्स मुहैया कराने और विकास पर ध्यान केंद्रित करती है.

आरईसी को 'महारत्न' का दर्जा दिए जाने से कंपनी के बोर्ड को वित्तीय निर्णय लेने के दौरान बढ़ी हुई शक्तियां हासिल होंगी. एक ‘महारत्न’ केन्द्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यम (CPSE) का बोर्ड वित्तीय संयुक्त उद्यम और पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनियों को शुरू करने के लिए इक्विटी निवेश कर सकता है और भारत एवं विदेशों में विलय तथा अधिग्रहण कर सकता है. इस विलय तथा अधिग्रहण की सीमा संबंधित CPSE की नेट वर्थ के 15 प्रतिशत हिस्से और एक परियोजना में 5,000 करोड़ रुपये तक सीमित होती है. बोर्ड कार्मिक एवं मानव संसाधन प्रबंधन और प्रशिक्षण से संबंधित योजनाओं की संरचना और कार्यान्वयन भी कर सकता है. ‘महारत्न’ के इस दर्जे के साथ, आरईसी अन्य बातों के अलावा टेक्नोलॉजी आधारित संयुक्त उद्यम या अन्य रणनीतिक गठजोड़ में भी कदम रख सकता है.

आरईसी के सीएमडी विवेक कुमार देवांगन ने कहा कि आरईसी ने वैश्विक कोविड-19 महामारी के दौरान भी अपनी अनुकूलन क्षमता, लचीलेपन और लगातार प्रदर्शन के कारण यह उपलब्धि हासिल की है.

देवांगन ने कहा, “वित्तीय वर्ष 2022 में, आरईसी ने अपनी किफायती संसाधन प्रबंधन और मजबूत वित्तीय नीतियों के कारण, 10,046 करोड़ रुपये का अपना अब तक का सबसे अधिक शुद्ध लाभ कमाया और 50,986 करोड़ रुपये की नेट वर्थ अर्जित की. आरईसी ने DDUGJY और सौभाग्य (SAUBHAGYA) जैसी भारत सरकार की प्रमुख योजनाओं की सफलता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है और देश में ग्रामीण एवं घरेलू विद्युतीकरण के लक्ष्य को हासिल करने में योगदान दिया है. आरईसी वर्तमान में वित्तीय और संचालन संबंधी समस्याओं को दूर करते हुए वितरण क्षेत्र में सुधार के लिए संशोधित वितरण क्षेत्र योजना (RDSS) के लिए नोडल एजेंसी की भूमिका निभा रहा है. हम अपने उन सभी हितधारकों को धन्यवाद देते हैं जिन्होंने इस कंपनी पर अपना भरोसा जताया है. विशेष रूप से हमारे उन कर्मचारियों को, जिन्होंने हमारे संचालन के पांच दशकों से अधिक समय तक अपना अटूट समर्थन दिया है. हम विद्युत मंत्रालय के प्रति हार्दिक आभार व्यक्त करते हैं जिसका मार्गदर्शन और समर्थन इस उपलब्धि को संभव बनाने में बेहद महत्वपूर्ण रहा है.”

देश में कुल कितनी ‘महारत्न’ कंपनियां है?

आरईसी महारत्न का खिताब पाने वाली 12वीं कंपनी है. इससे पहले महारत्न का दर्जा हासिल करने वाली कंपनियां हैं — Power Finance Corporation, Bharat Heavy Electricals Ltd, Bharat Petroleum Corp. Ltd, Coal India Ltd, GAIL India Ltd, Hindustan Petroleum Corp. Ltd, Indian Oil Corp. Ltd, NTPC Ltd, Oil & Natural Gas Corp. Ltd, Power Grid Corp. of India Ltd और Steel Authority of India Ltd.

इनके अलावा देश में 13 नवरत्न और 74 मिनीरत्न सेंट्रल सेंट्रल पब्लिक सेक्टर एंटरप्राइज शामिल हैं.

क्या हैं महारत्न होने के मायने?

महारत्न का दर्जा ऐसी कंपनियों को मिलता हैं जो स्टॉक एक्सचेंज पर लिस्टेड हो और जिसका सालाना टर्नओवर पिछले तीन साल में 25,000 करोड़ से अधिक हो. साथ ही पिछले तीन साल में इसकी औसत नेटवर्थ 15000 करोड़ रुपये से अधिक होनी चाहिए और औसत नेट प्रॉफिट 5000 करोड़ रुपये से अधिक होना चाहिए.

महारत्न का दर्जा मिलने के बाद आरईसी अब 5000 करोड़ रुपये या अपनी नेटवर्थ का 15 फीसदी तक किसी सिंगल प्रोजेक्ट में निवेश कर सकती है. कंपनी को महारत्न का दर्जा ऐसे समय मिला है जब सरकार उसे डेवलपमेंट फाइनेंस इंस्टीट्यूशन (DFI) का दर्जा देने पर विचार कर रही है. इससे कंपनी देश में ग्लोबल क्लाइमेंट फंडिंग और नेट जीरो इनवेस्टमेंट पर फोकस कर सकती है. अभी यह कंपनी राज्य बिजली बोर्डों, राज्य सरकारों, केंद्र और राज्यों की बिजली कंपनियों, इंडिपेंडेंट पावर प्रॉड्यूसर्स, रूरल इलेक्ट्रिक कोऑपरेटिव्स और प्राइवेट सेक्टर की कंपनियों को वित्तीय सहायता देती है.