RAMP scheme: 6000 करोड़ रु की 'रेजिंग एंड एक्सीलरेटिंग MSME परफॉरमेंस' योजना लॉन्च, जानिए इसके बारे में डिटेल में
पीएम मोदी ने कहा कि भारत का एक्सपोर्ट लगातार बढ़े, भारत के प्रॉडक्ट्स नए बाजारों में पहुंचें इसके लिए देश के MSME सेक्टर का सशक्त होना बहुत जरूरी है.
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (Narendra Modi) ने गुरुवार को 6000 करोड़ रुपये की 'रेजिंग एंड एक्सीलरेटिंग MSME परफॉरमेंस' (RAMP) योजना को लॉन्च किया. स्कीम को 'उद्यमी भारत' (Udyami Bharat) प्रोग्राम में लॉन्च किया गया. स्कीम का उद्देश्य मौजूदा MSME योजनाओं के प्रभाव में वृद्धि के साथ राज्यों में MSME की कार्यान्वयन क्षमता और कवरेज को बढ़ाना है. यह इनोवेशन को बढ़ावा देने, विचार को प्रोत्साहित करने, गुणवत्तापूर्ण मानकों को विकसित करके नए व्यवसाय और उद्यमिता को बढ़ावा देने, प्रैक्टिसेज और प्रक्रियाओं में सुधार करने, बाजार पहुंच बढ़ाने और तकनीकी उपकरण व उद्योग 4.0 के जरिए आत्मनिर्भर भारत अभियान को पूरक समर्थन प्रदान करेगी. साथ ही MSME उद्यमों को प्रतिस्पर्धी और आत्मनिर्भर बनाएगा.
RAMP स्कीम को केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने इसी साल मार्च में मंजूरी दी थी. यह 80.8 करोड़ अमेरिकी डॉलर या 6,062.45 करोड़ रुपये का विश्व बैंक से सहायता प्राप्त कार्यक्रम है. RAMP एक नई योजना है और इसकी शुरुआत वित्त वर्ष 2022-23 में होगी. इस योजना के लिए कुल खर्च 6,062.45 करोड़ रुपये है, जिसमें से 3750 करोड़ रुपये या 50 करोड़ डॉलर विश्व बैंक से ऋण के रूप में प्राप्त होंगे. शेष 2312.45 करोड़ रुपये या 30.8 करोड़ डॉलर का इंतजाम भारत सरकार द्वारा किया जाएगा. देश भर में अपने प्रभाव के साथ रैंप योजना प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से उन सभी 6.3 करोड़ उद्यमों को लाभान्वित करेगी जो एमएसएमई की अर्हता रखते हैं.
क्या हैं स्कीम के प्रमुख प्रभाव
रैम्प स्कीम का लक्ष्य बाजार एवं ऋणों तक MSME की पहुंच को बेहतर करना, केंद्र एवं राज्यों में स्थित विभिन्न संस्थानों और शासन को मजबूत करना, केंद्र-राज्य संबंधों और साझेदारियों को बेहतर करना, एमएसएमई को देर से होने वाले भुगतान और आपूर्तिकर्ताओं द्वारा एमएसएमई को मुख्यत: पर्यावरण अनुकूल उत्पाद एवं प्रक्रियाएं ही मुहैया कराने से संबंधित मुद्दों को सुलझाना है. राष्ट्रीय स्तर पर सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय का क्षमता निर्माण करने के अलावा रैम्प कार्यक्रम के तहत राज्यों में कार्यान्वयन क्षमता के साथ-साथ एमएसएमई की कवरेज बढ़ाने की कोशिश की जाएगी.
सरकार का कहना है कि रैम्प स्कीम विशेष रूप से प्रतिस्पर्धा के मामले में, मौजूदा एमएसएमई योजनाओं के प्रभाव में वृद्धि करने के माध्यम से एमएसएमई क्षेत्र की सामान्य और कोविड से जुड़ी चुनौतियों का समाधान करेगी. इसके अलावा, यह कार्यक्रम अन्य चीजों के साथ अपर्याप्त रूप से विकसित तत्वों जैसे क्षमता निर्माण, मार्गदर्शन व सहायता, कौशल विकास, गुणवत्ता संवर्धन, तकनीकी उन्नयन, डिजिटलीकरण, पहुंच में वृद्धि और प्रचार-प्रसार आदि को बढ़ावा देगा. राज्यों के साथ विस्तृत सहयोग के माध्यम से रैम्प स्कीम, रोजगार के अवसरों का सृजन करने वाली, बाजार को आगे बढ़ाने वाली, फाइनेंस की सुविधा देने वाली और कमजोर वर्गों व हरित पहल को समर्थन देने वाली सिद्ध होगी.
आत्मनिर्भर भारत मिशन को देगी समर्थन
उन राज्यों में जहां एमएसएमई की उपस्थिति कम है, रैम्प के तहत कवर की गई योजनाओं के उच्च प्रभाव के परिणामस्वरूप, बड़े पैमाने पर औपचारिकता की शुरुआत होगी. रैम्प उद्योग मानकों, काम-काज के तरीकों में इनोवेशन और वृद्धि को बढ़ावा देने के माध्यम से आत्मनिर्भर भारत मिशन को समर्थन देगी. साथ ही एमएसएमई को प्रतिस्पर्धी व आत्मनिर्भर बनाने, निर्यात बढ़ाने, आयात को प्रतिस्थापित करने और घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिए आवश्यक तकनीकी इनपुट प्रदान करेगी.
विश्व बैंक से रैम्प के लिए निधियों की अदायगी, भुगतान से जुड़े निम्नलिखित संकेतकों को पूरा करने पर की जाएगी:
। राष्ट्रीय एमएसएमई सुधार एजेंडा को लागू करना
ii. एमएसएमई क्षेत्र के केन्द्र-राज्य सहयोग को तेज करना
iii. प्रौद्योगिकी उन्नयन योजना (सीएलसीएस-टीयूएस) की प्रभावशीलता बढ़ाना
iv. एमएसएमई के लिए प्राप्य वित्त पोषण बाजार को मजबूत बनाना
v. सूक्ष्म और लघु उद्यमों (सीजीटीएमएसई) और "ग्रीनिंग एंड जेंडर" डिलीवरी के लिए
क्रेडिट गारंटी ट्रस्ट की प्रभावशीलता बढ़ाना
vi. विलंबित भुगतान की घटनाओं को कम करना
कौन करेगा स्कीम की निगरानी
रैम्प का महत्वपूर्ण भाग रणनीतिक निवेश योजना (एसआईपी) तैयार करना है, जिसमें सभी राज्यों/संघ शासित प्रदेशों को आमंत्रित किया जाएगा. एसआईपी में पहचान और रैम्प के अंतर्गत एमएसएमई के संग्रहण के लिए एक पहुंच योजना, प्रमुख बाधाओं और अंतरालों की पहचान, विशेष उपलब्धि और परियोजना का निर्धारण और नवीकरणीय ऊर्जा, ग्रामीण और गैर-कृषि व्यवसाय, थोक और खुदरा व्यापार, ग्रामीण और कुटीर उद्योग, महिला उद्यम आदि सहित प्राथमिकता वाले क्षेत्रों में प्रयासों के लिए आवश्यक बजट पेश करना शामिल है.
रैम्प की समग्र निगरानी और नीति का अवलोकन एक शीर्ष राष्ट्रीय एमएसएमई परिषद द्वारा किया जाएगा, जिसमें विभिन्न मंत्रालयों के प्रतिनिधियों सहित एमएसएमई मंत्री शामिल होंगे. दिन-प्रतिदिन के कार्यान्वयन के लिए राष्ट्रीय स्तर पर और राज्यों में कार्यक्रम प्रबंधन इकाइयां होंगी, जिसमें एमएसएमई मंत्रालय और राज्यों के सहयोग से उद्योग से प्रतिस्पर्धात्मक रूप से चुने गए पेशेवर और विशेषज्ञ शामिल होंगे, जो आरएएमपी कार्यक्रम को लागू करने, उसकी निगरानी और मूल्यांकन करने के लिए होंगे.
RAMP स्कीम के दायरे में आने वाले राज्य/जिले
सभी राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को एसआईपी तैयार करने के लिये आमंत्रित किया जाएगा और एसआईपी के तहत दिए जाने वाले प्रस्तावों को उनके मूल्यांकन के आधार पर वित्तपोषित किया जाएगा. फाइनेंसिंग वस्तुनिष्ठ चयन मानदंड पर आधारित होगी और एसआईपी का मूल्यांकन और उसकी मंजूरी सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय द्वारा स्थापित कड़ी प्रक्रिया के जरिए दी जाएगी.
एक और स्कीम की भी हुई शुरुआत
बुधवार को 'उद्यमी भारत' कार्यक्रम के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने 'पहली बार के एमएसएमई निर्यातकों का क्षमता निर्माण' (सीबीएफटीई) योजना और 'प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम' (पीएमईजीपी) की नई विशेषताओं का भी शुभारंभ किया. 'उद्यमी भारत' प्रोग्राम एमएसएमई के सशक्तिकरण के लिए सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाता है. 'पहली बार के एमएसएमई निर्यातकों का क्षमता निर्माण' (सीबीएफटीई) योजना का उद्देश्य एमएसएमई को वैश्विक बाजार के लिए अंतरराष्ट्रीय मानकों के उत्पादों और सेवाओं की पेशकश करने के लिए प्रोत्साहित करना है. इससे वैश्विक मूल्य श्रृंखला में भारतीय एमएसएमई की भागीदारी बढ़ेगी और उन्हें अपनी निर्यात क्षमता का लाभ प्राप्त करने में मदद मिलेगी.
इस मौके पर पीएम मोदी ने कहा कि भारत का एक्सपोर्ट लगातार बढ़े, भारत के प्रॉडक्ट्स नए बाजारों में पहुंचें इसके लिए देश के MSME सेक्टर का सशक्त होना बहुत जरूरी है. हमारी सरकार, आपके इसी सामर्थ्य, इस सेक्टर की असीम संभावनाओं को ध्यान में रखते हुए निर्णय ले रही है, नई नीतियां बना रही है. सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम, भारत की विकास यात्रा का बहुत बड़ा आधार हैं. भारत की अर्थव्यवस्था में लगभग एक तिहाई हिस्सेदारी MSME सेक्टर की है. MSME सेक्टर को मजबूती देने के लिए पिछले आठ साल में हमारी सरकार ने बजट में 650 प्रतिशत से ज्यादा की बढ़ोतरी की है.