क्या है सतत विकास लक्ष्य-2? दुनिया से भूखमरी खत्म करने में कैसे करेगा मदद?
SDG के 17 लक्ष्यों में दूसरा और बेहद महत्वपूर्ण भूखमरी की समाप्ति है. यह भुखमरी की समाप्ति, खाद्य सुरक्षा प्राप्त करने तथा बेहतर पोषण एवं सतत कृषि को बढ़ावा देने पर फोकस करता है.
सतत विकास लक्ष्य (SDG) या ‘2030 एजेंडा’ बेहतर स्वास्थ्य, गरीबी उन्मूलन और सबके लिए शांति और समृद्ध जीवन सुनिश्चित करने के लिए सभी से कार्रवाई का आह्वान करता है. वर्ष 2015 में संयुक्त राष्ट्र द्वारा इसे एक सार्वभौमिक आह्वान के रूप में अपनाया गया था. 17 सतत विकास लक्ष्य और 169 उद्देश्य सतत विकास के लिए 2030 एजेंडा के अंग हैं.
SDG के 17 लक्ष्यों में दूसरा और बेहद महत्वपूर्ण भूखमरी की समाप्ति है. यह भुखमरी की समाप्ति, खाद्य सुरक्षा प्राप्त करने तथा बेहतर पोषण एवं सतत कृषि को बढ़ावा देने पर फोकस करता है. एसडीजी-2 खाद्य सुरक्षा, पोषण, ग्रामीण परिवर्तन और टिकाऊ कृषि के बीच जटिल अंतर्संबंधों पर प्रकाश डालता है.
संयुक्त राष्ट्र के विश्व में खाद्य सुरक्षा और पोषण की स्थिति (SOFI) का 2022 संस्करण रिपोर्ट के अनुसार, वैश्विक स्तर पर भुखमरी से प्रभावित लोगों की संख्या 2021 में बढ़कर 82.8 करोड़ हो गई, जो कि 2020 के बाद से लगभग 4.6 करोड़ और COVID-19 महामारी के प्रकोप के बाद से 15 करोड़ की वृद्धि हुई है. दक्षिण सूडान, सोमालिया, यमन और नाइजीरिया में वर्तमान में अकाल के खतरे में 2 करोड़ लोगों सहित, हर नौ में से एक व्यक्ति हर रात भूखा सोता है.
SDG-2 में प्रगति को मापने के लिए 8 टारगेट और 14 संकेतक हैं. 8 टारगेट में से 5 को टारगेट के रूप में निर्धारित किया गया है जबकि 3 को उन टारगेट को हासिल करने के साधन में तय किया गया है.
1. भूख को समाप्त करना और भोजन तक पहुंच में सुधार करना
2. कुपोषण के सभी रूपों को समाप्त करना
3. कृषि उत्पादकता
4. टिकाऊ खाद्य उत्पादन प्रणाली और लचीली कृषि पद्धतियां
5. बीज, खेती वाले पौधों और खेती और पालतू पशुओं की आनुवंशिक विविधता; निवेश, अनुसंधान और प्रौद्योगिकी।
6. व्यापार प्रतिबंधों का समाधान निकालना
7. विश्व कृषि बाजारों में कमियों का समाधान निकालना
8. खाद्य वस्तु बाजारों और उनके डेरिवेटिव में खामियों को संबोधित करना
बता दें कि, कई दशकों तक गिरावट के बाद साल 2015 से अल्पपोषण में बढ़ोतरी देखी जा रही है. यह मुख्य रूप से फूड सिस्टम में विभिन्न तनावों का परिणाम है जिसमें जलवायु के कारण पैदा होने, टिड्डी संकट और COVID-19 महामारी शामिल है.
वहीं, खरीदने की क्षमता में कमी, खाद्यान्न उत्पादन और वितरण में कमी अप्रत्यक्ष तौर पर प्रभावित करते हैं. यह गरीब जनता को सबसे अधिक प्रभावित करते हैं और खाद्यान्न तक पहुंच को सीमित कर देता है.
भारत की स्थिति
14 अक्टूबर को जारी हुई वैश्विक भूख सूचकांक में भारत की हालत पहले से भी खराब हो गई है. वैश्विक भूख सूचकांक (Global Hunger Index) 2022 में भारत 121 देशों में 107वें नंबर पर है. भारत 2021 में 116 देशों में 101वें नंबर पर था जबकि 2020 में वह 94वें पायदान पर था 29.1 अंकों के साथ भारत में भूख का स्तर ‘‘गंभीर’’ है.
पड़ोसी देश पाकिस्तान (99), बांग्लादेश (84), नेपाल (81) और श्रीलंका (64) भारत के मुकाबले कहीं अच्छी स्थिति में हैं. एशिया में केवल अफगानिस्तान ही भारत से पीछे है और वह 109वें स्थान पर है.
भारत में अल्पपोषण की व्यापकता 2018-2020 में 14.6 प्रतिशत से बढ़कर 2019-2021 में 16.3 हो गयी है. इसका मतलब है कि दुनियाभर के कुल 82.8 करोड़ में से भारत में 22.43 करोड़ की आबादी अल्पपोषित है.
पांच साल की आयु तक के बच्चों में मृत्यु दर के सबसे बड़े संकेतक ‘चाइल्ड वेस्टिंग’ की स्थिति भी बदतर हुई है. 2012-16 में 15.1 प्रतिशत से बढ़कर 2017-21 में यह 19.3 प्रतिशत हो गया है.
Edited by Vishal Jaiswal