सतत विकास लक्ष्य-5 क्या है? लैंगिक समानता सुनिश्चित करने में कैसे करेगा मदद?
December 14, 2022, Updated on : Wed Dec 14 2022 11:56:57 GMT+0000

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सतत विकास लक्ष्य (SDG) या ‘2030 एजेंडा’ बेहतर स्वास्थ्य, गरीबी उन्मूलन और सबके लिए शांति और समृद्ध जीवन सुनिश्चित करने के लिए सभी से कार्रवाई का आह्वान करता है. वर्ष 2015 में संयुक्त राष्ट्र द्वारा इसे एक सार्वभौमिक आह्वान के रूप में अपनाया गया था. 17 सतत विकास लक्ष्य और 169 उद्देश्य सतत विकास के लिए 2030 एजेंडा के अंग हैं.
17 SDGs मानते हैं कि एक क्षेत्र में कार्रवाई से दूसरे क्षेत्र में परिणाम प्रभावित होंगे, और यह कि विकास को अवश्य ही प्रभावित होना चाहिए. सामाजिक, आर्थिक और पर्यावरणीय स्थिरता को संतुलित करें. एक प्रणालीगत सोच दृष्टिकोण वैश्विक स्थिरता के लिए आधार है.
SDG के 17 लक्ष्यों में 5वां सतत विकास लक्ष्य-5 (SDG-5 या वैश्विक लक्ष्य-5) लैंगिक समानता से संबंधित है. SDG-5 में नौ लक्ष्य और 14 संकेतक हैं. इन लक्ष्यों में से 6 आउटकम ओरिएंटेड हैं.
1. हर जगह सभी महिलाओं और लड़कियों के खिलाफ सभी प्रकार के भेदभाव को समाप्त करना
2. महिलाओं और लड़कियों की हिंसा और शोषण को समाप्त करना
3. बाल विवाह, समयपूर्व विवाह और जबरन विवाह और महिला जननांग विकृति जैसी हानिकारक प्रथाओं को समाप्त करना
4. अवैतनिक देखभाल का मूल्य बढ़ाना और साझा घरेलू जिम्मेदारियों को बढ़ावा देना
5. नेतृत्व और निर्णय लेने में महिलाओं की पूर्ण भागीदारी सुनिश्चित करना
6. सार्वभौमिक प्रजनन अधिकारों और स्वास्थ्य तक पहुंच सुनिश्चित करना
SDG-5 को हासिल करने के लिए तीन साधन भी हैं:
7. महिलाओं के लिए आर्थिक संसाधनों, संपत्ति के स्वामित्व और वित्तीय सेवाओं के समान अधिकार को बढ़ावा देना
8. प्रौद्योगिकी के माध्यम से महिलाओं के सशक्तिकरण को बढ़ावा देना
9. लैंगिक समानता के लिए नीतियों को अपनाना, मजबूत करना और कानून लागू करना
‘किसी को पीछे नहीं छोड़ने’ की प्रतिज्ञा के माध्यम से, देशों ने सबसे पीछे रहने वालों के लिए तेजी से प्रगति करने के लिए प्रतिबद्धता जताई है. SDG-5 का उद्देश्य महिलाओं और लड़कियों को समान अधिकार, कार्यस्थल पर भेदभाव या किसी और हिंसा सहित भेदभाव के बिना मुक्त रहने के अवसर प्रदान करना है. यह लैंगिक समानता हासिल करने और सभी महिलाओं और लड़कियों को सशक्त बनाने के लिए है.
Covid-19 महामारी ने सबसे अधिक प्रभावित किया
Covid-19 महामारी ने महिलाओं को सबसे अधिक प्रभावित किया क्योंकि वे सबसे अधिक सुरक्षित थीं और इलाज की सुविधा सबसे कम थी. आकंड़ों से पता चलता है कि महामारी के दौरान महिलाओं के खिलाफ हिंसा में भारी बढ़ोतरी देखी गई.
संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के अनुसार, अगर मौजूदा रफ्तार से भी जारी रहा तब भी राष्ट्रीय राजनीति में लीडरशिप की भूमिका में महिलाओं को पुरुषों को समान प्रतिनिधित्व पाने के लिए अभी 40 साल और लगेंगे.
साल 2015 में राष्ट्रीय संसद में महिलाओं की हिस्सेदारी 22.4 फीसदी थी जबकि 2022 में यह बढ़कर 26.2 फीसदी तक ही पहुंच पाया. साल 2019 में दुनियाभर में कुल रोजगार में महिलाओं की हिस्सेदारी 39 फीसदी थी लेकिन साल 2020 में 45 फीसदी महिलाओं की नौकरी चली गई.
15 साल से अधिक उम्र की हर 4 में से 1 महिला को अपनी जिंदगी में कम से कम एक बार अपने करीबी पार्टनर से हिंसा का सामना करना पड़ता है. साल 2020 में यह संख्या 64.1 करोड़ थी. 15 से 49 साल की केवल 57 फीसदी महिलाएं ही सेक्स और प्रजनन से जुड़ी हेल्थ केयर को लेकर अपना खुद का फैसला ले पाती हैं.
Edited by Vishal Jaiswal
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