होम्योपैथी के साथ किस तरह का आहार लेना होता है फायदेमंद? जानें प्रभावी उपचार के 5 स्वर्णिम नियम
होम्योपैथी के संस्थापक डॉ. सैमुअल हैनमैन, जो एक जर्मन डॉक्टर थे, ने ‘ऑर्गेनॉन ऑफ द हीलिंग आर्ट’ नामक किताब में होम्योपैथी के सिद्धांतों को लिखा है. ऑर्गेनॉन में उन सिद्धांतों का उल्लेख किया गया है जिसके आधार पर होम्योपैथी का प्रयोग किया जाना चाहिए, होम्योपैथी की फिलोसॉफी क्या है और किस तरह इसकी दवाईयाँ बनाकर दी जानी चाहिए. इस किताब के एक अध्याय में डॉ. हैनमैन ने होम्योपैथी और भोजन के संबंध के बारे में विशेष रूप से लिखा है.
वे लिखते हैं, “प्रत्येक व्यक्ति का पेट उसके पैर की तरह होता है.” जिस तरह सबके पैर का आकार एकदम अलग-अलग होता है, ठीक उसी तरह होम्योपैथी भी यूनिवर्सल डाइट के उपयोग के खिलाफ है.
प्रभावी उपचार के लिए पांच स्वर्णिम नियम इस प्रकार हैं:
1. स्वर्णिम नियम– किसी एक व्यक्ति द्वारा लिया जाने वाला आहार दूसरे के लिए ज़हर भी हो सकता है. एक व्यक्ति को बैंगन बहुत पसंद हो सकता है जबकि दूसरे व्यक्ति को इसकी एलर्जी हो सकती है और उसकी त्वचा पर चकत्ते पड़ सकते हैं. होम्योपैथी व्यक्तिगत डाइट में विश्वास करती है.
2. स्वर्णिम नियम– होम्योपैथी की दवा लेते समय डाइट पर कोई प्रतिबंध नहीं होता है. रोग के अनुसार प्रतिबंध लागू होते हैं, उदाहरण के लिए, उच्च रक्त चाप के मरीज़ को खाने में नमक की मात्रा कम करने की सलाह दी जाएगी, उच्च कोलेस्ट्रॉल के मरीज़ को फैट यानी वसायुक्त आहार नहीं खाने के लिए कहा जाएगा और गाउट के मरीज़ को शराब न पीने की सलाह दी जाएगी.
3. स्वर्णिम नियम– होम्योपैथिक दवाईयाँ तंत्रिका सिरे के माध्यम से कार्य करती हैं इसलिए इन्हें जीभ के नीचे रखकर चूसना होम्योपैथिक दवाईयाँ लेने का सर्वोत्तम तरीका है.
4. स्वर्णिम नियम– यह एक मिथक है कि यदि आप होम्योपैथिक दवाईयाँ ले रहे हैं तो आपको कॉफी का सेवन नहीं करना चाहिए. क्योंकि कॉफी में कैफीन होता है जो मूड को बेहतर बनाता है, इसलिए यह माना जाता है कि यह होम्योपैथिक दवाईयों में हस्तक्षेप करता है जो तंत्रिका के माध्यम से कार्य करती हैं. उदाहरण के लिए – बार-बार कॉफी पीने वाला व्यक्ति अधिक उतार-चढ़ाव का अनुभव कर सकता है. हमारे जीवन में हम सभी उतार-चढ़ाव का सामना करते हैं और यही कारण है कि यदि लोग होम्योपैथिक दवाईयाँ ले रहे हों तो वे कॉफी का सेवन कर सकते हैं बशर्तें वे इस बात का ध्यान रखें कि भोजन लेने और दवाईयां खाने के बीच आधे घंटे का अंतर होना चाहिए.
5. स्वर्णिम नियम– भोजन दवा है – होम्योपैथी का मानना है कि न सिर्फ पोषण की कमी से बीमारियाँ होती हैं, लेकिन महत्वपूर्ण रूप से ठीक से भोजन का अवशोषण नहीं कर पाना असली समस्या है. तो भले ही आप सही प्रकार के आहार का सेवन कर रहे हों लेकिन यदि आप इसे अवशोषित नहीं कर पा रहे हैं तो इससे आपके स्वास्थ्य को कोई लाभ नहीं मिलेगा.
(लेखक पद्म श्री पुरस्कार से सम्मानित हैं और ‘Dr Batra's Group of Companies’ के फाउंडर और चेयरमैन हैं. आलेख में व्यक्त विचार लेखक के हैं. YourStory का उनसे सहमत होना अनिवार्य नहीं है.)
Edited by रविकांत पारीक