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जब बेटियों की शिक्षा के लिए साड़ी पहनकर हाफ मैराथन में दौड़ीं 140 महिलाएं

जब बेटियों की शिक्षा के लिए साड़ी पहनकर हाफ मैराथन में दौड़ीं 140 महिलाएं

Thursday December 05, 2019 , 3 min Read

अलग-अलग स्वयं सहायता समूहों की 140 से अधिक महिलाओं सदस्यों ने साड़ी पहनकर इस मैराथन में हिस्सा लिया। यह मैराथन बुलंदशहर जिले के अनूपशहर कस्बे में आयोजित की गई। 'परदादा-परदादी ग्रामीण हाफ मैराथन' नाम से आयोजित की गई इस मैराथन का उद्देश्य आम लोगों के बीच लड़कियों की शिक्षा के लिए जागरूकता पैदा करना था।

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पीएम नरेंद्र मोदी ने साल 2014 में पहली बार सत्ता में आते ही साल 2015 में देश की लड़कियों के लिए बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ योजना शुरू की थी। इसका लक्ष्य आम लोगों में लड़कियों और उनकी शिक्षा को लेकर जागरूकता पैदा करना था। सरकार के प्रयासों के अलावा भी देश में कई एनजीओ हैं जो इस दिशा में अच्छा काम कर रहे हैं।


ऐसा ही एक एनजीओ यूपी के बुलंदशहर का 'परदादा-परदादी एजुकेशनल सोसायटी' (PPSE) है। 1 दिसंबर को उत्तरप्रदेश राज्य के बुलंदशहर जिले में बेटियों की शिक्षा के समर्थन में हाफ मैराथन का आयोजन किया गया। इस हाफ मैराथन का आयोजन पीपीईएस ने किया जिसमें 3000 से अधिक प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया। 


इस मैराथन की सबसे खास बात रही कि अलग-अलग स्वयं सहायता समूहों की 140 से अधिक महिलाओं सदस्यों ने साड़ी पहनकर इस मैराथन में हिस्सा लिया। यह मैराथन बुलंदशहर जिले के अनूपशहर कस्बे में आयोजित की गई। 'परदादा-परदादी ग्रामीण हाफ मैराथन' नाम से आयोजित की गई इस मैराथन का उद्देश्य आम लोगों के बीच लड़कियों की शिक्षा के लिए जागरूकता पैदा करना था। मैराथन के आयोजकों ने बताया कि इस साल मैराथन का 6ठी बार आयोजन हुआ और इस साल सबसे अधिक लोगों ने भाग लिया। 


'बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ' योजना के समर्थन में हुई इस मैराथन में तीन कैटिगरी रखी गईं। इनमें हाफ मैराथन (21 किमी), मिनी मैराथन (10 किमी) और शॉर्ट रन (5 किमी) शामिल थी।


पीपीईएस के एक सदस्य ने बताया,

'यह हाफ मैराथन सुबह 5 बजे अनूपशहर के परदादा-परदादी स्कूल से शुरू हुई और अलीगढ़ बायपास होते हुए गुजरी।'





इस साल की हाफ मैराथन में स्थानीय स्वयं सहायता समूहों के 140 से अधिक महिला कर्मचारियों ने हिस्सा लिया। मैराथन में सभी ने साड़ी पहनी। यह इसलिए किया गया ताकि लोगों के बीच एक संदेश दिया जा सके कि दौड़ना या खेलकूद करना केवल पुरुषों का ही खेल नहीं है। महिलाओं का जेंडर या उनका परिधान इस खेल के लिए किसी भी तरह से बाधा नहीं है। इसमें चीफ गेस्ट योग एक्सपर्ट तान्या अग्रवाल थीं जिन्होंने मैराथन को हरी झंडी दिखाई। इस मैराथन में जहांगीराबाद बुलंदशहर की बी. के. सीनियर सेकेंडरी स्कूल ने पहला स्थान प्राप्त किया।


हिंदुस्तान टाइम्स में छपी रिपोर्ट के मुताबिक, परदादा-परदादी एजुकेशनल सोसायटी के फाउंडर वीरेंद्र सैम सिंह ने बताया,


'सभी प्रतिभागी इसे लेकर उत्साहित थे। उन्होंने अपना अनुभव हमसे साझा किया है। हमने साल 2014 में इस इवेंट को समाज में एक मैसेज देने के लिए शुरू किया था। अब यह लड़कियों की शिक्षा के लिए यह एक उत्सव बन गया है।' PPES की सीईओ रेणुका ने बताया, 'यह महिलाओं और लड़कियों के लिए दौड़ से कहीं बढ़कर है। यह दुनिया को बताने का अवसर है कि महिलाओं पर लड़की होने के कारण कोई भी पाबंदी नहीं लगाई जा सकती।'


मालूम हो कि परदादा-परदादी एजुकेशन सोसायटी एक गैर-लाभकारी एनजीओ है जो साल 2000 से बुलंदशहर के अनूपशहर कस्बे में काम कर रहा है। इसका लक्ष्य एक ऐसा समाज तैयार करना है जहां देश के विकास में महिलाओं की हिस्सेदारी भी पुरुषों जितनी हो। आसपास में वंचित समुदायों की लड़कियों की सहायता के लिए पीपीईएस उन्हें फ्री शिक्षा और वोकल ट्रेनिंग देता है। फिलहाल पीपीईएस द्वारा चलाई जा रहीं 4 स्कूलों में 1600 लड़कियां अपनी पढ़ाई कर रही हैं।