कहां गया कानून का राज, रोज़ाना रेप और मर्डर से सिहर उठा है पूरा देश!
बेटियों की बात : चार
वर्ष 2018 में थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन के सर्वे ने पूरे विश्व में भारत को आधी आबादी के लिए सबसे खतरनाक और असुरक्षित बताया था। आज हर देशवासी के मन में एक ही सवाल घुमड़ रहा है कि आखिर हमारा सिस्टम ऐसे हादसे क्यों नहीं रोक पा रहा है? ऐसे क्रिमिनल्स में पुलिस-कानून का जरा भी ख़ौफ क्यों नहीं?
लड़कियों और महिलाओं से दुराचार, हिंसा, हत्या किसी एक देश की समस्या नहीं। पूरी दुनिया की आधी आबादी इस बर्बरता से जूझ रही है। अमेरिका, कनाडा, स्वीडन, ब्रिटेन जैसे अतिविकसित देशों में रेप की सबसे ज्यादा घटनाएं हो रही हैं। विश्व में करीब 36 फीसदी महिलाएं शारीरिक या यौन हिंसा की शिकार हैं। अमेरिका में 12 से 16 साल की 83 फीसदी लड़कियों का किसी न किसी रूप में यौन उत्पीड़न हो रहा है।
इंग्लैंड में हर पांचवीं और स्वीडन में हर चौथी महिला यौन हिंसा की शिकार है। स्वीडन में रेप की घटनाओं में 1472 फीसदी की वृद्धि हुई है। इस देश की तीन में से एक स्वीडिश महिला का यौन उत्पीड़न बचपन में ही हो जाता है। रेप की सर्वाधिक वारदातें दक्षिण अफ्रीका में हो रही हैं, जहां हर दिन औसतन 1400 महिलाएं इसकी शिकार हो रही हैं।
पिछले कुछ वर्षों में रेप की कई घटनाओं के कारण भारत को पूरी दुनिया में शर्मिंदगी झेलनी पड़ी है। जम्मू-कश्मीर के कठुआ रेप केस के बाद तो अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष की तत्कालीन अध्यक्ष क्रिस्टिन लैगार्डे को कहना पड़ा था कि भारत सरकार दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करे। निर्भया कांड से पूरा देश हिल उठा।
अब तो हमारे देश में आधी आबादी का भगवान ही मालिक है। हैदराबाद की तरह उन्नाव (यूपी) में सुनवाई के लिए कोर्ट जा रही रेप पीड़िता को गांव के बाहर आरोपी ने साथियों की मदद से केरोसिन छिड़क कर जिंदा जला दिया। वह नब्बे फीसदी झुलस चुकी है। पीड़िता ने पांच आरोपियों के नाम बताए हैं, जिन्हे पकड़ लिया गया है। पीड़िता को गंभीर हालात में लखनऊ के किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी के ट्रॉमा सेंटर रैफर किया गया है। ये वही पीड़ित लड़की है, जिसके साथ इसी साल मार्च में रायबरेली में रेप हुआ था।
पिछले साल थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन के एक सर्वे ने पूरी दुनिया में भारत को महिलाओं के लिए सबसे खतरनाक और असुरक्षित देश बताया था। सचाई यह है कि हमारी व्यवस्था महिला सुरक्षा के प्रति जरा भी संवेदनशील नहीं है। आज हर देशवासी के मन में एक ही सवाल घुमड़ रहा है कि आखिर हमारा सिस्टम ऐसे हादसे क्यों नहीं रोक पा रहा है? जिस दिन हैदराबाद की घटना घटी उसके ठीक एक दिन पहले झारखंड की राजधानी रांची में बारह लोगों ने व्यस्त सड़क से एक लड़की को उठाकर गैंग रेप किया। महिलाएं आखिर क्यों डर-डर कर जिंदा रहने को मजबूर हैं?
निर्भया कांड के बाद कई कानूनों में अहम बदलाव किए गए, केंद्रीय बजट में निर्भया फंड नाम से 100 करोड़ रुपये की राशि बढ़ाकर 300 करोड़ हो चुकी है, पेट्रोलिंग से लेकर एफआईआर तक के तौर-तरीकों और ट्रैफिक व्यवस्थाओं में फेरबदल किए गए, पुलिस की सोच बदलने को लेकर भी कई योजनाएं बन चुकीं, देश में 600 ऐसे केंद्र खोले जाने थे, जहां एक ही छत के नीचे पीड़ित महिला को चिकित्सा, कानूनी सहायता और मनोवैज्ञानिक परामर्श हासिल हो, सार्वजनिक जगहों पर सीसीटीवी कैमरे लगाने, महिला थानों की संख्या बढ़ाने और नई हेल्पलाइनें शुरू करने की बात भी कही गई मगर नतीजा ये रहा कि आज तकरीबन रोजाना देश के किसी न किसी कोने से बलात्कार और हत्या की खबरें आ रही हैं।
हैदराबाद में 26 वर्षीय पशु चिकित्सक की गैंगरेप और हत्या के बाद अब ऐसा ही एक और मामला तेलंगाना के आदिलाबाद जिले से सामने आया है। यह घटना रामन्यकतंडा और एलापट्टर गाँव के बीच हुई। 25 नवंबर को इसी क्षेत्र में पुलिस को एक महिला की लाश मिली। उसके साथ गैंगरेप हुआ था। गैंग रेप के बाद दरिंदों ने उसे मार डाला। चिकित्सक महिला के रेप-मर्डर की सुनवाई के लिए महबूबनगर में फास्ट ट्रैक कोर्ट नामित किया गया है।
अभी कुछ दिन पहले ही टोंक (राजस्थान) में जब छह साल की एक बच्ची स्कूली कार्यक्रम में हिस्सा लेने गई तो अगले दिन उसका शव पास के एक गांव से बरामद हुआ है। परीक्षण में पता चला है कि 38 वर्षीय ट्रक ड्राइवर महेंद्र मीणा उर्फ धोल्या ने रेप के बाद उसी के यूनीफार्म की बेल्ट से गला दबाकर उसे मार डाला। आज पूरे देश में ऐसे अपराधियों के भीतर कानून का कोई खौफ नहीं है। बर्बरता कम होने की बजाय और भयावह होती जा रही है।