Brands
YSTV
Discover
Events
Newsletter
More

Follow Us

twitterfacebookinstagramyoutube
Yourstory
search

Brands

Resources

Stories

General

In-Depth

Announcement

Reports

News

Funding

Startup Sectors

Women in tech

Sportstech

Agritech

E-Commerce

Education

Lifestyle

Entertainment

Art & Culture

Travel & Leisure

Curtain Raiser

Wine and Food

Videos

ADVERTISEMENT

दो साल के निचले स्तर पर पहुंची थोक महंगाई, जानिए किन चीजों के दामों में आई कमी

डब्ल्यूपीआई आधारित मुद्रास्फीति नवंबर, 2022 में 5.85 प्रतिशत और दिसंबर, 2021 में 14.27 प्रतिशत थी. वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय ने बयान में कहा कि पिछले महीने सब्जियों और प्याज के सस्ता होने से खाद्य वस्तुओं की मुद्रस्फीति घटकर शून्य से 1.25 प्रतिशत नीचे आ गई.

दो साल के निचले स्तर पर पहुंची थोक महंगाई, जानिए किन चीजों के दामों में आई कमी

Monday January 16, 2023 , 4 min Read

थोक मूल्य सूचकांक (WPI) आधारित मुद्रास्फीति दिसंबर, 2022 में घटकर 22 महीने के निचले स्तर 4.95 प्रतिशत पर आ गई. मुख्य रूप से सब्जियों और तिलहन सहित खाद्य पदार्थों की कीमतों में कमी के चलते यह गिरावट हुई.

डब्ल्यूपीआई आधारित मुद्रास्फीति नवंबर, 2022 में 5.85 प्रतिशत और दिसंबर, 2021 में 14.27 प्रतिशत थी. वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय ने बयान में कहा कि पिछले महीने सब्जियों और प्याज के सस्ता होने से खाद्य वस्तुओं की मुद्रस्फीति घटकर शून्य से 1.25 प्रतिशत नीचे आ गई.

हालांकि, गेहूं, दाल और आलू महंगे बने रहे. इसके अलावा दूध, अंडा, मीट और मछली जैसी प्रोटीन युक्त वस्तुओं में भी तेजी रही.

समीक्षाधीन अवधि में सब्जियों का थोक भाव 35.95 प्रतिशत और प्याज का 25.97 प्रतिशत घटा. तिलहन और खनिजों में भी क्रमश: 4.81 प्रतिशत और 2.93 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई.

बयान के मुताबिक, ‘‘दिसंबर, 2022 में मुद्रास्फीति की दर में कमी मुख्य रूप से खाद्य पदार्थों, खनिज तेल, कच्चे तेल तथा प्राकृतिक गैस, खाद्य उत्पादों, वस्त्रों और रसायनों तथा रासायनिक उत्पादों की कीमतों में गिरावट के चलते हुई.’’

डब्ल्यूपीआई मुद्रास्फीति का पिछला निचला स्तर फरवरी, 2021 में 4.83 प्रतिशत था. थोक मूल्य सूचकांक में गिरावट पिछले सप्ताह जारी खुदरा मुद्रास्फीति के आंकड़ों के अनुरूप है. दिसंबर में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) यानी खुदरा कीमतों पर आधारित मुद्रास्फीति घटकर 5.72 प्रतिशत पर आ गई थी. सीपीआई आधारित मुद्रास्फीति लगातार दूसरे महीने रिजर्व बैंक के छह प्रतिशत के संतोषजनक स्तर से नीचे रही है.

सोमवार को जारी आंकड़ों के अनुसार, ईंधन तथा बिजली की मुद्रास्फीति 18.09 प्रतिशत थी. समीक्षाधीन महीने में विनिर्मित उत्पादों की मुद्रास्फीति 3.37 प्रतिशत थी. कच्चे पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस में थोक मुद्रास्फीति दिसंबर में घटकर 39.71 प्रतिशत रह गई, जो इससे पिछले महीने 48.23 प्रतिशत थी.

बार्कले के प्रबंध निदेशक राहुल बजोरिया ने कहा कि सीपीआई की तरह डब्ल्यूपीआई भी तेजी खो रही है. यह गिरावट आधार प्रभाव और खाद्य कीमतों में गिरावट के चलते है. उन्होंने कहा, ‘‘हमें उम्मीद है कि आने वाले महीनों में आयात लागत घटने से डब्ल्यूपीआई काबू में रहेगी, लेकिन फिलहाल सीपीआई पर इसका सीमित असर हो सकता है.’’

दिसंबर में खुदरा मुद्रास्फीति एक साल के निचले स्तर पर

इससे पहले, पिछले हफ्ते सामने आई रिपोर्ट में खुदरा मुद्रास्फीति दिसंबर, 2022 में घटकर एक साल के निचले स्तर 5.72 प्रतिशत पर आ गई. आंकड़ों के मुताबिक, मुख्य रूप से खाद्य पदार्थों की कीमतों में नरमी के चलते यह कमी हुई.

उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) आधारित खुदरा मुद्रास्फीति नवंबर, 2022 में 5.88 प्रतिशत और दिसंबर, 2021 में 5.66 प्रतिशत थी. राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक, दिसंबर में खाद्य वस्तुओं की मुद्रास्फीति 4.19 प्रतिशत रही, जो इससे पिछले महीने नवंबर में 4.67 प्रतिशत थी.

खुदरा मुद्रास्फीति जनवरी, 2022 से लगातार रिजर्व बैंक के संतोषजनक स्तर छह प्रतिशत से ऊपर रहने के बाद नवंबर में घटकर 5.88 प्रतिशत और दिसंबर में 5.72 प्रतिशत रह गई.

आरबीआई गवर्नर ने कहा था- महंगाई पर लगाम लगाना प्राथमिकता

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर शक्तिकांत दास ने इस महीने की शुरुआत में कहा था कि भारत जैसे दक्षिण एशियाई देशों के लिए मुद्रास्फीति पर लगाम लगाना शीर्ष प्राथमिकता है क्योंकि अनियंत्रित कीमतें वृद्धि और निवेश परिदृश्य के लिए जोखिम पैदा कर सकती हैं.

दास ने अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (आईएमएफ) की तरफ से आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा था कि कर्जों का बढ़ता स्तर और कीमतों में बढ़ोतरी का अनवरत दबाव इस क्षेत्र की आर्थिक वृद्धि के लिए जोखिम हैं लिहाजा इन दोनों पर ही काबू पाना होगा.

उन्होंने कहा कि दक्षिण एशियाई देशों को पिछले कुछ वर्षों में कई बाह्य झटकों का सामना करना पड़ा है. कोविड-19 महामारी से वैश्विक आपूर्ति शृंखला बाधित होने के अलावा रूस-यूक्रेन युद्ध से खाद्य एवं ऊर्जा संकट पैदा हुआ और आक्रामक ढंग से मौद्रिक नीतियों को सख्त किए जाने से वित्तीय बाजार में उतार-चढ़ाव की स्थिति पैदा हुई. उन्होंने कहा कि इन बाहरी झटकों ने दक्षिण एशियाई अर्थव्यवस्थाओं में कीमतों पर लगातार दबाव डाला है.


Edited by Vishal Jaiswal